ग्वालियर। सुबह की सर्द बेला में जिम्बाब्वे के ब्लेसिंग चिमंगा बैंड के कलाकारों ने (Zimbabwean band performed) जब अलावा मारींबा, सिंथेसाइजर, गिटार, सैक्सोफोन, ड्रम और मरीबा नामक वाद्य यंत्रों से शास्त्रीय संगीत से साम्य स्थापित कर मीठी-मीठी विशुद्ध अफ्रीकन धुनें निकालीं तो एकबारगी ऐसा लगा मानो गान महृषि तानसेन के आंगन में हो रहे संगीत के महाकुंभ में विश्व संगीत की आहुतियां हो रहीं हैं. इस बैंड ने अफ्रीका की सांस्कृतिक व मौलिक धुनों को जब ऊर्जावान होकर तेज रिदम के साथ प्रस्तुत किया तो युवा रसिक श्रोताओं में जोश भर गया.
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तानसेन समारोह का तीसरा दिन : वहीं प्रकृति से जुड़े और निखरे अफ्रीकन संगीत ने गुणीय रसिकों को भीतर तक प्रभावित किया. बैंड के मुख्य कलाकार चिमांगा हैं, जो अलावा मारींबा नामक अफ्रीकन वाद्य यंत्र बजाते हैं. तानसेन समारोह में हुई इस बैंड की प्रस्तुति में सिंथेसाइजर व मबीरा पर अलीशा, गिटार पर जोलास बास और तुलानी कुवानी ने सेक्सोफोन पर संगत की. ड्रम व अन्य ताल वाद्यों पर ब्लेसिंग मापरुत्सा ने प्रोत्साहन दिया. बता दें कि तानसेन समारोह का आज तीसरा दिन है. समारोह में देश और विदेश के कलाकार अपने संगीत से तानसेन को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.