ग्वालियर। शहर के बीचो-बीच गुजरने वाली यह स्वर्णरेखा नदी सिंधिया रियासत कालीन के दौरान बनाई गई थी, इस नदी को लंदन की टेम्स नदी की तर्ज पर बनाया गया था. इस नदी को बनाने का मुख्य कारण यही था कि लोगों को स्वास्थ्य पानी मिल सके ताकि उनकी प्यास बुझाई जा सके. इसी के चलते नदी को बीचो-बीच से गुजार कर शहर के बाहर आसपास के बांधों से जोड़ा गया, लेकिन सरकार की निष्क्रियता और स्थानीय नेताओं की पैसे की चाह ने इस नदी को पूरी तरह नाले में तब्दील कर दिया है. इस नदी के नाम पर कई प्रयोग कर करोड़ों रुपए निकाल लिए गए,लेकिन नदी की हालत जस की तस रही.
बदबू से परेशना शहरवासी: अब हालात यह है कि नदी में पानी की जगह गंदा नाली का पानी बह रहा है जिससे पूरा शहर बदबू से परेशान है. अब इस नदी का अस्तित्व पूरी तरह खतरे में है और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि स्वर्णरेखा नदी पर अब एलिवेटेड रोड बनाई जा रही है. इस एलिवेटेड रोड को नदी के ऊपर बनाया जा रहा है और यह मध्य प्रदेश की पहली एलिवेटेड रोड है. इसके उद्घाटन में खुद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित तमाम बड़े नेता शामिल हुए थे. स्वर्णरेखा नदी पर एलिवेटेड रोड बनेगी तो यह नदी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी. जब एलिवेटेड रोड बनाई जाएगी तो नदी पूरी तरह कंक्रीट और सीमेंट से पट जाएगी. मतलब इस नदी का इतिहास अब सिर्फ किताबों में ही देखने को मिलेगा.
स्वर्ण रेखा नदी में साफ पानी लाने के लिए 150 करोड़ खर्च: यह पहला प्रयोग नहीं है इससे पहले भी इस स्वर्णरेखा नदी पर सरकार की तरफ से कई प्रयोग किए गए, लेकिन इन प्रयोग का कोई नतीजा सामने नहीं आया. खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने स्वर्ण रेखा नदी में साफ पानी लाने के लिए 150 करोड़ रुपए खर्च किए थे. बताया गया था कि स्वर्णरेखा नदी में नीदरलैंड की तकनीक से बांधों से पानी लाया जाएगा. उसके बाद 150 करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन बांधों से इस नदी में एक बूंद पानी तक नहीं आ पाया और यह योजना पूरी तरह फेल हो गई. साथ ही करोड़ों रुपए का आपस में बंदरबांट कर दिया. उसके बाद फिर शिवराज सरकार ने खुद दोबारा प्रयोग किया, 60 करोड़ रुपए खर्च करके इसे पक्का कराया गया ताकि बरसात का पानी जमा होता रहे. इस स्वर्णरेखा नदी में बारिश का पानी तो जमा नहीं हुआ, लेकिन पूरे शहर का गंदा पानी इस नदी में बह रहा है. अब शिवराज सरकार द्वारा यह तीसरा प्रयोग हो रहा है जब इस स्वर्णरेखा नदी पर एलिवेटेड रोड बनाई जा रही है.
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ग्वालियर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर: एलिवेटेड रोड से स्वर्णरेखा नदी का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा, क्योंकि जब एलिवेटेड रोड नदी के ऊपर से होकर गुजरेगी तो इसके मोटे-मोटे पिलर अनेक स्थानों पर बनाए जाएंगे, जिनमें भारी मात्रा में कंक्रीट और सीमेंट का प्रयोग होगा और नदी का बहाव रुक जाएगा. यही कारण है कि पर्यावरण प्रेमी और ग्वालियर के नागरिकों के द्वारा नेताओं से लेकर अधिकारियों तक इस मामले में हस्तक्षेप कर नदी को बचाने का प्रयास किया गया, लेकिन जब यह प्रयास सफल नहीं हुए तो कुछ लोग अब अदालत की शरण में पहुंचे हैं. इस मामले को लेकर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसकी सुनवाई होनी है.
शिवराज सरकार ने नदी के नाम पर करोड़ों रुपए लूटे: स्वर्णरेखा नदी को लेकर राजनीति भी काफी होने लगी है. शिवराज सरकार के मंत्री भारत सिंह कुशवाहा का कहना है कि ''निश्चित रूप से स्वर्णरेखा लोगों की लाइफ लाइन थी और इस नदी में स्वच्छ पानी लाने के लिए प्रयास भी किया है. लेकिन पानी की कमी होने के कारण यह कार्य योजना सफल नहीं हो पाई है. आगामी समय में हनुमान बाण से पानी लाने का प्रयास कर रहे हैं और जल्द ही यह योजना सफल होने की उम्मीद है''. वहीं इसको लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि ''शिवराज सरकार और उनके मंत्रियों के लिए यह स्वर्णरेखा नदी स्वर्ण मुद्रा के समान है. शिवराज सरकार के द्वारा नए-नए प्रयोग कर इस नदी के नाम पर करोड़ों रुपए लूट लिए, लेकिन न तो इसमें पानी आ पाया और ना ही स्वर्णरेखा नदी का अस्तित्व बचा पाया. अब हालात यह है कि इस नदी के ऊपर एलिवेटेड रोड तैयार कर इसका अस्तित्व पूरी तरह समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं''.