ग्वालियर। ग्वालियर का विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण यानि 'साडा' में आज भी दूर-दूर तक वीरानी छाई हुई है. यहां जो भी घर बनाने की सोचते हैं वो दूर-दूर तक छाए सन्नाटे, चारों ओर बंजर मैदान और शाम होते ही छाए अंधेरे को देखकर लौट जाते हैं. साल 1992 में प्रदेश सरकार ने ग्वालियर की बढ़ती आबादी को देखकर दिल्ली के पास नोएडा की तर्ज पर एक नया शहर बसाने की योजना बनाई थी. नतीजा यह हुआ कि 29 सालों से लोगों को लुभाने में लगे साडा के अफसर बसाहट नहीं कर पाए.
8065 वर्ग किलोमीटर भूमि नोटिफाइड : अब साडा में ग्रीन फील्ड सिटी का नया प्रस्ताव है. माधवराज सिंधिया काउंटर मैग्नेट सिटी के लिए 8065 वर्ग किलोमीटर भूमि नोटिफाइड की जा चुकी है. इसमें से 90 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में आधारभूत सरंचनाएं हैं. जिसमें सड़क, बिजली, पानी सीवर लाइन पार्क शामिल हैं. इसके साथ ही यहां पर आवासीय क्षेत्र के साथ ही आइटी पार्क, लाजिस्टिक पार्क आदि भी हैं. इसलिए केंद्र सरकार की ग्रीन फील्ड योजना में शामिल करने के लिए यह काफी उपयुक्त है. आर्थिक अभाव के कारण वर्तमान में यहां पर कोई विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं. साथ ही जो विकास कार्य हो चुके हैं उनके रखरखाव एवं साडा के कर्मचारियों की सैलरी निकालने में भी परेशानी हो रही है. ऐसे में कांग्रेस तंज कस रही है, तो वहीं बीजेपी कह रही है कि ग्वालियर में ग्रीन फील्ड में शामिल हो जाता है तो यहां का विकास काफी तेजी से हो सकेगा.
अन्य विभागों से अफसरों को भेजा : अब दूसरे विभाग से आधिकारियों को अब साडा भेजा जा रहा है. अनिल बनवारिया को भू-अर्जन अधिकारी साडा, शिव प्रसाद को विधि अधिकारी साडा, कृष्णकांत कुशवाह को मुख्य नगर नियोजक साडा का प्रभार सौंपा है. पवन सिंघल को प्रभारी कार्यपालन यंत्री सिविल साडा, पी के गुप्ता को प्रभारी कार्यपालन यंत्री ईएण्डएम पीडब्ल्यूडी साडा, नागेन्द्र सक्सेना को आईटी प्रभारी साडा के लिये प्रभार सौंपा गया है.
लेकिन सवाल बाकी हैं : बहरहाल, अगले 25 साल में शहर की आबादी 26.49 लाख के करीब होगी. इससे शहर पर जनसंख्या का दबाव बढ़ेगा और अधिक संसाधनों की आवश्यकता होगी. इसे ध्यान में रखते हुए विभिन्न योजनाओं के तहत 2051 तक के विकास की कार्ययोजना तैयार की जा रही है. शहर पर बढ़ी हुई आबादी का अधिक दबाव न पड़े, इसके लिए तिघरा के पास एक नया शहर बसाने की प्लानिंग की जा रही है. ऐसे में सवाल यही है, जो विभाग पहले से कंगाल है. साथ ही 600 करोड़ खर्च करने बाद भी लोगों को अपनी आकर्षित नही कर सका है, वो ग्रीन फील्ड सिटी के लिए कैसे काम कर पाएगा.