ग्वालियर। ग्वालियर में हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर आयोजित होने वाले इस आयोजन के पहले दिन 24 दिसम्बर को शाम को पंडित गणपति भट्ट को 2022 का तानसेन अलंकरण दिया जाएगा. इसी मौके पर कवि प्रदीप सम्मान गुरु सक्सेना को तथा मालव लोक कला केंद्र उज्जैन को कालिदास अलंकरण प्रदान किया जाएगा. समारोह मे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और कई केंद्रीय मंत्रियों के उपस्थित रहने की उम्मीद है. इससे पहले दतिया और शिवपुरी सहित अंचल में 15 स्थानों पर गमक के नाम की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी. Tansen Music Festival Gwalior
22 दिसम्बर को सांस्कृतिक कार्यक्रम : संभागीय आयुक्त दीपक सिंह ने बताया कि तानसेन समारोह 22 दिसम्बर 2023 को ग्वालियर के जिन प्रमुख स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जायेंगे, उनमें टाउन हॉल बाड़ा, बैजाताल, हस्सू-हद्दू खाँ सभागार, जयविलास पैलेस, राजा मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय, शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय, शंकर गांधर्व महाविद्यालय, दत्त मंदिर, गंगादास की शाला, लक्ष्मीनारायण का मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर, ग्वालियर किला, तानसेन कलावीथिका आदि स्थल शामिल हैं. 22 दिसम्बर को ही शिवपुरी एवं दतिया में “गमक” के अंतर्गत विशेष संगीत सभाओं का आयोजन होगा. कला यात्रा 23 को निकलेगी. Tansen Music Festival Gwalior
'गमक' कार्यक्रम इंटक मैदान पर : समारोह के तहत 23 दिसम्बर को पूर्व रंग “गमक” कार्यक्रम का आयोजन इंटक मैदान पर होगा. इसके साथ ही लोक नृत्य के कलाकारों द्वारा कला यात्रा किले के द्वार से इंटक मैदान तक पहुंचेगी. तानसेन समारोह 24 से 28 दिसम्बर 2023 तक समाधि स्थल हजीरा पर मुख्य मंच एवं संगीत सभाओं का आयोजन होगा. 26 एवं 27 दिसम्बर को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में वादी-संवादी विचार विमर्श सत्र का आयोजन किया जायेगा. 27 दिसम्बर को बटेश्वर जिला मुरैना में प्रात:कालीन विशेष संगीत सभा का आयोजन होगा. 28 दिसम्बर को तानसेन की जन्मस्थली बेहट में रात्रिकालीन सभा का आयोजन एवं गूजरी महल में सायंकालीन संगीत सभा का आयोजन किया जायेगा.
इन दो शहरों के खास लोगों को आमंत्रण : संभागीय आयुक्त दीपक सिंह ने बताया कि नगर निगम आयुक्त से कहा गया है कि यूनेस्को द्वारा वाराणसी एवं चैन्नई शहर को भी संगीत नगरी की श्रेणी में शामिल किया है. इन दोनों नगरों के गणमान्य नागरिकों, जनप्रतिनिधियों को तानसेन समारोह में शामिल होने हेतु सादर आमंत्रित किया जाए. इसके साथ ही जिन महाविद्यालय एवं विद्यालयों में संगीत की शिक्षा दी जाती है, उनके विद्यार्थियों और शिक्षकों को भी कार्यक्रम में शामिल होने का आग्रह किया जाए. Tansen Music Festival Gwalior
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शुरुआत 1924 में उर्स के रूप में : अकबर के नौ रत्नों में शामिल रहे प्रख्यात शास्त्रीय गायक तानसेन की यादों को चिर स्थायी रखने के लिए 1924 में तत्कालीन सिंधिया शासकों द्वारा ग्वालियर में स्थित उनकी समाधि पर सालाना शास्त्रीय संगीत समारोह की शुरुआत उर्स के रूप में की गई थी. लेकिन 80 के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह द्वारा इसे अंतराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया गया. इस आयोजन में हर वर्ष किसी लब्ध प्रतिष्ठित शासत्रीय कलाकार तानसेन अलंकरण से विभूषित किया जाता है. यह इस क्षेत्र का देश मे सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है. इस बार यह 99वां आयोजन है. Tansen Music Festival Gwalior