ग्वालियर। जिले में अब एक नया ट्रेंड चल गया है. ये ट्रेंड जनसुनवाई में आने वाले लोगों और प्रशासन के बीच चल रहा है. बीते एक सप्ताह की बात करें, तो 2 लोगों ने जनसुनवाई में आत्मदाह की कोशिश की है. अगर एक साल की बात करें, तो ऐसे 4 बड़े मामले समाने आ चुके हैं, जिसमें 1 युवक की आत्मदाह के दौरन मौत हो गई थी. ऐसे में अब प्रशासन ने जनसुनवाई में पहरा लगाने के आदेश दे दिए हैं.
कलेक्टर जनसुनवाई में आत्मदाह का प्रयास: अभी हाल में ही ग्वालियर कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई प्रशासन के अधिकारियों के लिए मुसीबत बनती जा रही है. हालात ये हैं कि लोग अपनी शिकायतों के साथ ही ज्वलनशील पदार्थ लेकर यहां पहुंच रहे हैं. अगर प्रशासन उनकी बात नहीं मान रहा है तो वह तत्काल आत्महत्या करने का प्रयास करते हैं. हाल ही में 17 और 10 जनवरी को ऐसी घटना सामने आई थी. यह दोनों घटना ग्वालियर कलेक्ट्रेट के जनसनुवाई हॉल की हैं, जहां आम लोग अपनी जन समस्या के लिए आए हुए थे, लेकिन जब समस्या का निदान नहीं हुआ तो वे आत्मदाह की कोशिश करने लगे थे. इन घटनाओं के बाद कई और भी ऐसी घटनाएं कलेक्ट्रेट जनसुनवाई के दौरान देखने को मिली है.
जानें कलेक्ट्रेट में आत्मदाह के मामले: 17 जनवरी की घटना में कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई के दौरान एक परिवार के 4 लोगों ने आत्मदाह की कोशिश की थी. परिवार के लोग भू अधिकार के तहत दिए गए पट्टे की जगह, दूसरे स्थान पर जगह मांग रहे थे. अब प्रशासन दबाव में इनके लिए शहर में पट्टे की जमीन खोज रहा है. वहीं 10 जनवरी की घटना में आदिवासी महिलाओं ने हंगामा किया था. इस दौरान एक महिला ने सुसाइड करने की कोशिश की थी. पचास से ज्यादा महिलाएं एसटी के प्रमाण पत्र रद्द कर दिए गए जाने से नाराज थी, वो अदिवासी जति का प्रमाण पत्र चाहती थीं. 6 सितंबर 2022 को कलेक्टर चेंबर के बाहर आत्मदाह की कोशिश एक महिला ने की थी. वहीं 20 नवंबर 2019 में एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. युवक का आरोप था कि स्थानीय पार्षद की ओर से उसे जान से मारने की धमकी मिल रही थी.
जनसुनवाई से पहले होगी चेकिंग: ग्वालियर कलेक्ट्रेट में लगातार ऐसी घटनाएं जो सामने आ रही है, उसके पीछे यही कारण हो सकता है कि अधिकारी उनकी शिकायतों पर टालमटोल करते रहते हैं. जिससे परेशान और निराश होकर लोग ऐसी घटनाएं करने को मजबूर हो जाते हैं. अब इन घटनाक्रमों के बाद ग्वालियर कलेक्टर ने फैसला लिया है कि, अब जनसुनवाई में कोई भी व्यक्ति, बिना चेंकिग के परिसर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. साथ ही उन व्यक्तियों और आधिकारियों की मॉनटरिंग की जाएगी जो बार-बार आवदेन तो दे रहे हैं, लेकिन समस्या का निराकरण आधिकारी नहीं कर रहे हैं. जनसुनवाई में आ रहे आम लोगों का कहना है कि, उनकी समस्याओं का निदान नहीं किया जा रहा है वह कई बार अधिकारियों से मिल चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिलता है. जनसुनवाई में सबसे अधिक समस्याएं जमीन अतिक्रमण, सरकारी योजनाओं में लाभ न मिल पाना, इसके साथ ही दबंगों का जमीनों पर कब्जा तो वहीं सरकारी पट्टी दिलवाने को लेकर लोग आते हैं.
कांग्रेस का बीजेपी पर आरोप: प्रशासन की कार्यप्रणाली को लेकर कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि, प्रशासन सिर्फ सरकार के इशारे पर चल रहा है, जो आम लोगों की जन समस्या है उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. इसी वजह से लोग काफी निराश और परेशान हैं. यही कारण है कि ऐसे कदम उठाने के लिए लोग मजबूर हो जाते हैं.