ग्वालियर। ग्वालियर लोकसभा सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है. भले ही बीजेपी और कांग्रेस ने इस सीट से अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. लेकिन सिन्धिया परिवार के ऊपर सभी की निगाहें टिकी हुई है. इसीलिए यहां वेट एंड वॉच की स्थिति बनी हुई है. वहीं बीजेपी भी ग्वालियर से जीतने का दावा कर ही है.
ग्वालियर लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर 2014 के चुनाव में 29 हजार वोटों से जीते थे. इस बार उन्होंने अपनी सीट बदल कर मुरैना का रुख किया है. लिहाजा अब कांग्रेस और बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दी है. अभी तक चुनाव से दूर रहने वाली ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के नाम का प्रस्ताव कांग्रेस की ओर से आलाकमान को भेजा जा चुका है. जिस पर सीडब्ल्यूसी की मोहर लगनी बाकी है.
वहीं भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा छोड़ना नहीं चाहती है. सूत्रों की माने तो बीजेपी पूर्व कैबिनेट मंत्री माया सिंह, महापौर विवेक शेजवलकर का नाम आलाकमान को भेजी जा चुकी है. पिछली बार लोकसभा चुनाव में जीतने वाले नरेंद्र तोमर एंटी इनकंबेंसी के चलते अपना संसदीय क्षेत्र बदलवाने में कामयाब रहे. इसलिए भाजपा के ऊपर इस सीट पर अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने का दवाब है.
वहीं कांग्रेस से जुड़े लोग बताते हैं कि सिंधिया परिवार से यह सीट पिछले 20 सालों से दूर रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी-गुना से लगातार जीत हासिल करते रहे हैं. ऐसे में वे अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारते हैं या नहीं यह वक्त आने पर पता चलेगा. लेकिन कांग्रेसी मानते हैं कि महल से जुड़े व्यक्ति के चुनाव मैदान में आने से यह सीट कांग्रे के पक्ष में आ सकती है. फिलहाल अभी तक दोनों ही पार्टीयों ने प्रत्याशी घोषित नहीं की है जिससे कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.