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ग्वालियर लोकसभा सीट बनी भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न, प्रत्याशियों की घोषणा को लेकर वेट एंड वॉच की स्थिति - बीजेपी, कांग्रेस

लोकसभा चुनाव की तारिखों के ऐलान के साथ ही पार्टियों ने उम्मीदवारों की घोषणा कर रही है. लेकिन ग्वालियर में ना तो बीजेपी और ना ही कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित किए है. बाताय जा रहा है कि ग्वालियर लोकसभा सीट दोनों ही पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना है.

ग्वालियर लोससभा सीट
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Published : Mar 31, 2019, 6:00 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर लोकसभा सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है. भले ही बीजेपी और कांग्रेस ने इस सीट से अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. लेकिन सिन्धिया परिवार के ऊपर सभी की निगाहें टिकी हुई है. इसीलिए यहां वेट एंड वॉच की स्थिति बनी हुई है. वहीं बीजेपी भी ग्वालियर से जीतने का दावा कर ही है.

ग्वालियर लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर 2014 के चुनाव में 29 हजार वोटों से जीते थे. इस बार उन्होंने अपनी सीट बदल कर मुरैना का रुख किया है. लिहाजा अब कांग्रेस और बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दी है. अभी तक चुनाव से दूर रहने वाली ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के नाम का प्रस्ताव कांग्रेस की ओर से आलाकमान को भेजा जा चुका है. जिस पर सीडब्ल्यूसी की मोहर लगनी बाकी है.

वहीं भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा छोड़ना नहीं चाहती है. सूत्रों की माने तो बीजेपी पूर्व कैबिनेट मंत्री माया सिंह, महापौर विवेक शेजवलकर का नाम आलाकमान को भेजी जा चुकी है. पिछली बार लोकसभा चुनाव में जीतने वाले नरेंद्र तोमर एंटी इनकंबेंसी के चलते अपना संसदीय क्षेत्र बदलवाने में कामयाब रहे. इसलिए भाजपा के ऊपर इस सीट पर अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने का दवाब है.

बीजेपी और कांग्रेस

वहीं कांग्रेस से जुड़े लोग बताते हैं कि सिंधिया परिवार से यह सीट पिछले 20 सालों से दूर रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी-गुना से लगातार जीत हासिल करते रहे हैं. ऐसे में वे अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारते हैं या नहीं यह वक्त आने पर पता चलेगा. लेकिन कांग्रेसी मानते हैं कि महल से जुड़े व्यक्ति के चुनाव मैदान में आने से यह सीट कांग्रे के पक्ष में आ सकती है. फिलहाल अभी तक दोनों ही पार्टीयों ने प्रत्याशी घोषित नहीं की है जिससे कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

ग्वालियर। ग्वालियर लोकसभा सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है. भले ही बीजेपी और कांग्रेस ने इस सीट से अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. लेकिन सिन्धिया परिवार के ऊपर सभी की निगाहें टिकी हुई है. इसीलिए यहां वेट एंड वॉच की स्थिति बनी हुई है. वहीं बीजेपी भी ग्वालियर से जीतने का दावा कर ही है.

ग्वालियर लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर 2014 के चुनाव में 29 हजार वोटों से जीते थे. इस बार उन्होंने अपनी सीट बदल कर मुरैना का रुख किया है. लिहाजा अब कांग्रेस और बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दी है. अभी तक चुनाव से दूर रहने वाली ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के नाम का प्रस्ताव कांग्रेस की ओर से आलाकमान को भेजा जा चुका है. जिस पर सीडब्ल्यूसी की मोहर लगनी बाकी है.

वहीं भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा छोड़ना नहीं चाहती है. सूत्रों की माने तो बीजेपी पूर्व कैबिनेट मंत्री माया सिंह, महापौर विवेक शेजवलकर का नाम आलाकमान को भेजी जा चुकी है. पिछली बार लोकसभा चुनाव में जीतने वाले नरेंद्र तोमर एंटी इनकंबेंसी के चलते अपना संसदीय क्षेत्र बदलवाने में कामयाब रहे. इसलिए भाजपा के ऊपर इस सीट पर अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने का दवाब है.

बीजेपी और कांग्रेस

वहीं कांग्रेस से जुड़े लोग बताते हैं कि सिंधिया परिवार से यह सीट पिछले 20 सालों से दूर रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी-गुना से लगातार जीत हासिल करते रहे हैं. ऐसे में वे अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारते हैं या नहीं यह वक्त आने पर पता चलेगा. लेकिन कांग्रेसी मानते हैं कि महल से जुड़े व्यक्ति के चुनाव मैदान में आने से यह सीट कांग्रे के पक्ष में आ सकती है. फिलहाल अभी तक दोनों ही पार्टीयों ने प्रत्याशी घोषित नहीं की है जिससे कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

Intro:ग्वालियर
ग्वालियर लोकसभा संसदीय क्षेत्र की सीट भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। भले ही बीजेपी और कांग्रेस ने देश में कई सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। लेकिन सिन्धिया परिवार के ऊपर सभी की निगाहें टिकी हुई है। इसीलिए यहां वेट एंड वॉच की स्थिति बनी हुई है।


Body:ग्वालियर लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर 2014 के चुनाव में 29हजार वोटों से जीत हासिल किए थे। इस बार उन्होंने अपनी सीट बदल कर वापस मुरैना का रुख किया है। लिहाजा अब कांग्रेस और भाजपा में इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दी है। अभी तक चुनाव से दूर रहने वाली सिंधिया परिवार की प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के नाम का प्रस्ताव कांग्रेस की ओर से आलाकमान को भेजा जा चुका है। जिस पर सीडब्ल्यूसी की मोहर लगी लगनी है। वहीं भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा छोड़ना नहीं चाहती है। वही महल से ही जुड़ी पूर्व सांसद प्रदेश की कैबिनेट मंत्री रही माया सिंह महापौर विवेक शेजवलकर को पैनल में शामिल करके उनका नाम आलाकमान को भेज चुकी है ।जबकि श्रीमती सिंधिया के चुनाव मैदान में नहीं उतरने पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक सिंह यहां के प्रबल दावेदार हैं।


Conclusion:पिछली बार लोकसभा चुनाव में कम मतों से जीतने वाले नरेंद्र तोमर एंटी इनकंबेंसी के चलते अपना संसदीय क्षेत्र बदलवाने में कामयाब रहे। इसलिए भाजपा के ऊपर इस सीट पर अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने का दवाब है। वहीं कांग्रेस से जुड़े लोग बताते हैं कि सिंधिया परिवार से यह सीट पिछले 20 सालों से दूर रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी गुना से लगातार जीत हासिल करते रहे हैं। ऐसे में वे अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारते हैं या नहीं यह उनके ऊपर निर्भर है। लेकिन कांग्रेसी मानते हैं कि महल से जुड़े व्यक्ति के चुनाव मैदान में आने से यह सीट आसानी से कांग्रेस के पक्ष में निकाली जा सकती है। वहीं भाजपा का दावा भी ग्वालियर से जीतने का है। अभी तक प्रत्याशी दोनों ही दलों द्वारा घोषित नहीं करने से कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है ।
बाईट देवेश शर्मा जिला अध्यक्ष भाजपा बाईट देवेंद्र शर्मा जिला अध्यक्ष कांग्रेस ग्वालियर
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