ग्वालियर। हाईकोर्ट से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह को बड़ा झटका लगा है. गोविंद सिंह ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्वाचन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसे हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने निरस्त करते हुए डॉ. गोविंद सिंह पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाते हुए गोविंद सिंह पर दवाब बनाने के लिए झूठे आरोप भी लगाए. अब इस मामले की सुनवाई 25 सितम्बर को होगी.
गोविंद सिंह की याचिका खारिज: नेता प्रतिपक्ष द्वारा कोर्ट में पेश किए गए आवेदन पर सुनवाई करते हुए एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस दीपक अग्रवाल ने डॉ सिंह द्वारा पेश किए गए आवेदन को अस्वीकार करते हुए उन पर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. इस मामले में जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि ''आवेदक ने हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की. जिसमें याचिका की सुनवाई किसी अन्य कोर्ट में कराने की गुहार लगाई.''
कोर्ट पर दवाब बनाने किया आवेदन प्रस्तुत: दीपक अग्रवाल ने कहा कि ''इससे साफ तौर पर ये प्रतीत होता कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट पर दबाव बनाने के लिए ही ये आवेदन प्रस्तुत किया और इसीलिए बैंच के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए.'' हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के जस्टिस दीपक अग्रवाल ने कहा कि ''अगर याचिकाकर्ता चुनाव याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट की इस बैंच से कराने के इच्छुक नही थे तो उन्हें यह आवेदन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष पेश करना चाहिए था."
सिंधिया पर लगाए थे तथ्यों को छुपाने के आरोप: दरअसल नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्यसभा निर्वाचन को चुनौती देने संबंधी एक याचिका दायर की है. इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि ''सिंधिया द्वारा अपने राज्यसभा निर्वाचन के नामांकन के लिए आवेदन करते समय उसके साथ जो ऐफिडेविट पेश किया उसमें उन्होंने तथ्यों को छुपाते हुए भोपाल के थाना श्यामला हिल्स में अपने विरुद्ध दर्ज एफआईआर संबंधी जानकारी का उल्लेख नहीं किया.'' इसके बाद याचिकाकर्ता डॉ. सिंह ने हाईकोर्ट में एक आवेदन देकर मामले की सुनवाई किसी अन्य बैंच में करने की अपील की थी लेकिन उनकी अपील खारिज कर दी गई. उन्होंने इसी डिमांड के लिए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी, लेकिन वहां भी जब खारिज कर दी गई तो उन्होंने फिर हाइकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में आवेदन पेश किया था.