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हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग प्रमुख सचिव और लोक शिक्षण आयुक्त पर 25 हजार का जुर्माना - ग्वालियर अपडेट न्यूज

ग्वालियर हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग प्रमुख सचिव और लोक शिक्षण आयुक्त पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. दरअसल हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग में कार्यरत रहे कर्मचारी की पेंशन का मामला सुलझाने के आदेश शासन को दिए थे. लेकिन यह मामला 1.5 साल तक लंबित रहा. जिस पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया.

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ग्वालियर हाई कोर्ट
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Published : Jul 30, 2021, 9:14 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच में शिक्षा विभाग में कार्यरत रहे कर्मचारी सुरेश शर्मा ने एक याचिका दायर की थी. याचिका में सुरेश ने कहा था कि उनके पेंशन संबंधी समस्या का निराकरण नहीं किया गया, जबकि पूर्व में भी हाईकोर्ट ने पेंशन समस्या सुलझाने के आदेश दिए थे. याचिका पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर हाई कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी और लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त जयश्री कियावत अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

उपेंद्र कौरव, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता

हाई कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा है कि दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को हर्जाने की राशि एक सप्ताह के भीतर प्रिंसिपल रजिस्टर के समक्ष जमा करानी होगी. यदि अफसर हर्जाने की राशि जमा नहीं कराते हैं, तो प्रिंसिपल रजिस्टार उनसे वसूली की कार्रवाई भी कर सकते हैं.

शिक्षक का पेंशन फंड हो रहा था प्रभावित

दरअसल शिक्षा विभाग में कार्यरत रहे सुरेश कुमार शर्मा शिक्षक के पद से रिटायर हुए थे. पहले वह संविदा शिक्षाकर्मी थे. 2013 में उन्हें नियमित किया गया था. रिटायरमेंट के बाद उनकी 2013 से पहले दी गई सेवाओं को सेवाकाल में नहीं जोड़ा गया था. जिससे सुरेश शर्मा का पेंशन फंड प्रभावित हो रहा था. इस पर उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की थी.

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हाई कोर्ट का नहीं माना था आदेश

हाई कोर्ट ने मामले का निराकरण करते हुए पूर्व में शासन को निर्देश दिए थे कि सुरेश शर्मा की पूर्व में दी गई सेवाओं को भी सेवाकाल में जोड़ा जाए. लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ने डेढ़ साल तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. इस पर सुरेश शर्मा ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी. अवमानना याचिका पर भी शासन की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया. डेढ़ साल तक फाइल वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय की धूल खाती रही. हाईकोर्ट ने इस मामले में शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी और आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय जयश्री कियावत के खिलाफ टिप्पणी करते हुए 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच में शिक्षा विभाग में कार्यरत रहे कर्मचारी सुरेश शर्मा ने एक याचिका दायर की थी. याचिका में सुरेश ने कहा था कि उनके पेंशन संबंधी समस्या का निराकरण नहीं किया गया, जबकि पूर्व में भी हाईकोर्ट ने पेंशन समस्या सुलझाने के आदेश दिए थे. याचिका पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर हाई कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी और लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त जयश्री कियावत अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

उपेंद्र कौरव, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता

हाई कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा है कि दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को हर्जाने की राशि एक सप्ताह के भीतर प्रिंसिपल रजिस्टर के समक्ष जमा करानी होगी. यदि अफसर हर्जाने की राशि जमा नहीं कराते हैं, तो प्रिंसिपल रजिस्टार उनसे वसूली की कार्रवाई भी कर सकते हैं.

शिक्षक का पेंशन फंड हो रहा था प्रभावित

दरअसल शिक्षा विभाग में कार्यरत रहे सुरेश कुमार शर्मा शिक्षक के पद से रिटायर हुए थे. पहले वह संविदा शिक्षाकर्मी थे. 2013 में उन्हें नियमित किया गया था. रिटायरमेंट के बाद उनकी 2013 से पहले दी गई सेवाओं को सेवाकाल में नहीं जोड़ा गया था. जिससे सुरेश शर्मा का पेंशन फंड प्रभावित हो रहा था. इस पर उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की थी.

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हाई कोर्ट का नहीं माना था आदेश

हाई कोर्ट ने मामले का निराकरण करते हुए पूर्व में शासन को निर्देश दिए थे कि सुरेश शर्मा की पूर्व में दी गई सेवाओं को भी सेवाकाल में जोड़ा जाए. लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ने डेढ़ साल तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. इस पर सुरेश शर्मा ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी. अवमानना याचिका पर भी शासन की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया. डेढ़ साल तक फाइल वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय की धूल खाती रही. हाईकोर्ट ने इस मामले में शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी और आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय जयश्री कियावत के खिलाफ टिप्पणी करते हुए 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

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