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Gwalior News: प्रकृति की मार से परेशान ग्वालियर चंबल के किसान, अब तक नहीं हुआ सर्वे - ग्वालियर में फसल के मुआवजे के लिए भटक रहे किसान

ग्वालियर चंबल अंचल में प्रकृति की मार से परेशान किसानों का दर्द और बढ़ता जा रहा जिसकी वजह यह है कि अधिकतर गांव में सर्वे का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है.

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ग्वालियर के किसान भटक रहे किसान
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Published : Apr 1, 2023, 9:33 PM IST

ग्वालियर के किसान भटक रहे किसान

ग्वालियर। पूरे प्रदेश के साथ-साथ ग्वालियर चंबल अंचल में सप्ताह भर पहले बारिश और ओलावृष्टि द्वारा मचाई तबाही का दर्द आज भी हरा है और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि किसानों के पास अभी भी कोई प्रशासन की तरफ से अधिकारी उन्हें मरहम लगाने तक नहीं पहुंचा है. जिस तरीके से ओलावृष्टि के बाद खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने यह दावा किया था कि महज एक सप्ताह के अंदर सर्वे कर किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. हालात जस के तस बने हुए हैं.

ठंडे बस्ते में सीएम का निर्देश: ग्वालियर चंबल अंचल में दो सप्ताह पहले जमकर बारिश के साथ मूसलाधार ओलावृष्टि से किसानों के खेतों में खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. अंचल में ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर ऐसे जिले जहां पर किसानों की फसल में 70 से 90 फ़ीसदी तक नुकसान हुआ था. अंचल में लगातार दो दिनों तक ओलावृष्टि हुई इस कारण किसानों के खेतों में खड़ी गेहूं सरसों और चना की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. हालात यह हो गए सड़कों और खेतों में होली की सफेद चादर की दिखाई देने लगी. इस बर्बादी के बाद खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने यह निर्देश दिए कि तत्काल इस नुकसान का सर्वे कराए जाएं और किसानों को मुआवजा दिया जाए लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया सीएम का निर्देश ठंडे बस्ते में चला गया.

शुरू नहीं हुआ सर्वे: ग्वालियर चंबल अंचल में दर्जनभर गांव ऐसे हैं जहां पर अभी तक सर्वे का काम शुरू नहीं हुआ है. जब इस मामले को लेकर गांव के किसानों का कहना है कि अभी तक न तो प्रशासन की तरफ से कोई अधिकारी गांव में आया है और न हीं सर्वे का काम शुरू हुआ है. इसको लेकर वह कई बार अधिकारियों से बात कर चुके हैं. ऐसे में किसानों का दर्द अभी तक काम नहीं हुआ लेकिन उससे पहले ही आज बीती रात अंचल में तेज आंधी के साथ बारिश हुई मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि 24 घंटे तक अंचल में कभी भी बारिश हो सकती है. इस कारण अब किसान परेशान और डरा हुआ नजर आ रहा है.

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दूशरे कामों में जुटी सरकार: ग्वालियर मुरैना जहां पर सर्वे का काम लगभग पूरा होने जा रहा है लेकिन कुछ जिले ऐसे हैं जहां अभी भी सर्वे की शुरुआत नहीं हुई है और इसका कारण यह बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना लाडली बहना योजना में पूरा प्रशासन उलझा हुआ है. इस कारण वह किसी दूसरे काम में इतना समय नहीं दे पा रहा है. यही कारण है कि जो सर्वे का काम है उसमें देरी हो रही है. वही इसको लेकर मध्य प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह का कहना है कि अभी हाल में ही ओलावृष्टि के कारण जो किसानों की फसल बर्बाद हुई है उसकी सर्वे का काम शुरू हो गया है. जहां पर कुछ परेशानी आ रही है वहां कलेक्टर से वो खुद बात करके जानकारी लेंगे. साथ ही उन्होंने कहा है कि जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है उन्हें उन सभी किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. वही इस मामले को लेकर कांग्रेस की राजनीति पर कहा ऐसे मामले में किसी भी पार्टी को राजनीति नहीं करनी चाहिए.

कांग्रेस का आरोप: इस मामले को लेकर कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरती सिंह का कहना है कि बीजेपी के मंत्री सिर्फ फोटो किसानों के लिए खेत तक पहुंचते हैं और उसके बाद किसानों को झूठा आश्वासन देने के बाद गायब हो जाते हैं यही कारण है कि यहां पर पिछले 4 साल से किसान काफी परेशान है. हालात यह है कि खुद के खाने के लिए फसल नहीं उगा पा रहे हैं लेकिन शिवराज सरकार लगातार उन्हें हर बार आश्वासन देती है कि मुआवजा दिया जाएगा लेकिन कुछ किसानों को मुआवजा दिया जाता है और उसके बाद उसका बंदरबांट हो जाता है.

ग्वालियर के किसान भटक रहे किसान

ग्वालियर। पूरे प्रदेश के साथ-साथ ग्वालियर चंबल अंचल में सप्ताह भर पहले बारिश और ओलावृष्टि द्वारा मचाई तबाही का दर्द आज भी हरा है और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि किसानों के पास अभी भी कोई प्रशासन की तरफ से अधिकारी उन्हें मरहम लगाने तक नहीं पहुंचा है. जिस तरीके से ओलावृष्टि के बाद खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने यह दावा किया था कि महज एक सप्ताह के अंदर सर्वे कर किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. हालात जस के तस बने हुए हैं.

ठंडे बस्ते में सीएम का निर्देश: ग्वालियर चंबल अंचल में दो सप्ताह पहले जमकर बारिश के साथ मूसलाधार ओलावृष्टि से किसानों के खेतों में खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. अंचल में ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर ऐसे जिले जहां पर किसानों की फसल में 70 से 90 फ़ीसदी तक नुकसान हुआ था. अंचल में लगातार दो दिनों तक ओलावृष्टि हुई इस कारण किसानों के खेतों में खड़ी गेहूं सरसों और चना की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. हालात यह हो गए सड़कों और खेतों में होली की सफेद चादर की दिखाई देने लगी. इस बर्बादी के बाद खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने यह निर्देश दिए कि तत्काल इस नुकसान का सर्वे कराए जाएं और किसानों को मुआवजा दिया जाए लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया सीएम का निर्देश ठंडे बस्ते में चला गया.

शुरू नहीं हुआ सर्वे: ग्वालियर चंबल अंचल में दर्जनभर गांव ऐसे हैं जहां पर अभी तक सर्वे का काम शुरू नहीं हुआ है. जब इस मामले को लेकर गांव के किसानों का कहना है कि अभी तक न तो प्रशासन की तरफ से कोई अधिकारी गांव में आया है और न हीं सर्वे का काम शुरू हुआ है. इसको लेकर वह कई बार अधिकारियों से बात कर चुके हैं. ऐसे में किसानों का दर्द अभी तक काम नहीं हुआ लेकिन उससे पहले ही आज बीती रात अंचल में तेज आंधी के साथ बारिश हुई मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि 24 घंटे तक अंचल में कभी भी बारिश हो सकती है. इस कारण अब किसान परेशान और डरा हुआ नजर आ रहा है.

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दूशरे कामों में जुटी सरकार: ग्वालियर मुरैना जहां पर सर्वे का काम लगभग पूरा होने जा रहा है लेकिन कुछ जिले ऐसे हैं जहां अभी भी सर्वे की शुरुआत नहीं हुई है और इसका कारण यह बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना लाडली बहना योजना में पूरा प्रशासन उलझा हुआ है. इस कारण वह किसी दूसरे काम में इतना समय नहीं दे पा रहा है. यही कारण है कि जो सर्वे का काम है उसमें देरी हो रही है. वही इसको लेकर मध्य प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह का कहना है कि अभी हाल में ही ओलावृष्टि के कारण जो किसानों की फसल बर्बाद हुई है उसकी सर्वे का काम शुरू हो गया है. जहां पर कुछ परेशानी आ रही है वहां कलेक्टर से वो खुद बात करके जानकारी लेंगे. साथ ही उन्होंने कहा है कि जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई है उन्हें उन सभी किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. वही इस मामले को लेकर कांग्रेस की राजनीति पर कहा ऐसे मामले में किसी भी पार्टी को राजनीति नहीं करनी चाहिए.

कांग्रेस का आरोप: इस मामले को लेकर कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरती सिंह का कहना है कि बीजेपी के मंत्री सिर्फ फोटो किसानों के लिए खेत तक पहुंचते हैं और उसके बाद किसानों को झूठा आश्वासन देने के बाद गायब हो जाते हैं यही कारण है कि यहां पर पिछले 4 साल से किसान काफी परेशान है. हालात यह है कि खुद के खाने के लिए फसल नहीं उगा पा रहे हैं लेकिन शिवराज सरकार लगातार उन्हें हर बार आश्वासन देती है कि मुआवजा दिया जाएगा लेकिन कुछ किसानों को मुआवजा दिया जाता है और उसके बाद उसका बंदरबांट हो जाता है.

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