ग्वालियर: जिला न्यायालय की सीबीआई कोर्ट ने आरक्षक भर्ती परीक्षा मामले में दो आरोपियों सत्येंद्र सिंह और पुलंदर सिंह को चार-चार साल की सजा से दंडित किया है. उन पर हजारों रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. इस मामले में दलाल इंदल सिंह को बरी कर दिया गया है. दलाल दोषी ठहराए गए पुलंदर सिंह का भाई है. शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र शर्मा के मुताबिक कर्मचारी चयन आयोग द्वारा एसएससी सामान्य ड्यूटी आरक्षक भर्ती परीक्षा 8 साल पहले आयोजित कराई गई थी.
कैसे पकड़ में आया मुन्नाभाई: प्रगति विद्यापीठ स्कूल मुरार में परीक्षा के दौरान पुलंदर सिंह नामक युवक बैठा हुआ था. वहां मौजूद स्टाफ और पर्यवेक्षक को उस पर शंका हुई तो उन्होंने उससे पूछताछ की. तब उसने स्वीकार किया कि इसका नाम सत्येंद्र सिंह है और वह फिरोजाबाद का रहने वाला है. वह पुलंदर सिंह के स्थान पर यह परीक्षा देने आया है. जबकि उसका नाम सतेन्द्र सिंह है. इसके एवज में उसे 50 हजार रुपए मिले हैं. मामले के प्रकाश में आते ही मुरार पुलिस को सूचना दी गई.
दोषी को भेजा जेल: मुरार पुलिस ने मुन्ना भाई पुलंदर सिंह और सत्येंद्र सिंह को इस फर्जीवाड़ा मामले में आरोपी मानते हुए उनके खिलाफ परीक्षा अधिनियम एवं धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. बाद में सीबीआई कोर्ट में उनके खिलाफ चालान पेश किया, जहां न्यायालय ने उन्हें दोषी मानते हुए मूल परीक्षार्थी पुलंदर सिंह और सॉल्वर सत्येंद्र सिंह को दोषी माना और उन्हें 4-4 साल की सजा से दंडित किया. दोनों पर 16,200 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. सजा सुनाने के बाद दोनों आरोपियों को केंद्रीय कारागार भेज दिया गया है.