ग्वालियर। जिला प्रशासन ने गिरवाई क्षेत्र में सरकारी पहाड़ों को खोदकर अवैध रूप से मछली पालन करने वाले लोधी परिवार के कुछ सदस्यों से ना सिर्फ चार करोड़ की जमीन मुक्त कराई है. बल्कि उसके द्वारा अवैध रूप से संचालित किए जा रहे तालाब को भी जेसीबी की मदद से खाली करा दिया गया है. खास बात यह है कि इस तालाब में प्रतिबंधित प्रजाति की मछलियां पाली जा रही थी, जो मानव शरीर के लिहाज से बेहद खतरनाक है और किसी भी मानव मास का पलक झपकते ही खा लेती है. इस मामले में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने पर जबर सिंह लोधी और उसके परिवार पर 19 लाख रुपए की पेनल्टी भी लगाई गई है. एंटी माफिया अभियान के तहत जिला प्रशासन ने यह कार्रवाई की है.
प्रतिबंधित मछली का पालन
मध्यप्रदेश में जारी एंटी-माफिया अभियान के तहत जिला प्रशासन ने कार्रवाई की है. इस भू-माफिया ने सरकारी पहाड़ियों के बीच की ज़मीन पर कब्जा कर बड़ा तालाब बनाया और उसमें मछली पालन कर दशक भर में करोड़ों कमाए. तालाब में मछली भी ऐसी खतरनाक पाली जो प्रदेश में प्रतिबंधित है. ग्वालियर से सटे गिरवाई के पहाड़ी इलाके में नजूल की करीब 10 बीघा जमीन पर जबर सिंह लोधी के परिवार ने बाकायदा तालाब बनाकर 10 साल तक मत्स्य पालन किया. इसके अलावा लोधी परिवार का गैरकानूनी ईंट-भट्टा कारोबार भी चल रहा था. बुधवार सुबह जिला प्रशासन व पुलिस की टीम वहां पहुंची और खुदाई कर तालाब को नष्ट कर दिया.
पहाड़ियों के बीच काटे तालाब में आदमखोर मछलियां
अनुविभागीय अधिकारी अनिल बनवारिया ने बताया कि जबर सिंह लोधी ने पहाड़ियों के बीच की करीब 10बीघा जमीन पर अवैध रूप से तालाब बना ड़ाला. इसके बाद मत्स्यपालन विभाग से अनुमति के बगैर मछली पालन शुरू कर दिया. लोधी परिवार करीब 10 साल से इस तालाब में थाई मछली पाल कर बेच रहा है. बनवारिया ने जानकारी दी कि इस तालाब में मछली भी ऐसी पाली है जो मत्स्यपालन के लिए मध्यप्रदेश में प्रतिबंधित है.
19 लाख का नोटिस थमाया
दरअसल लोधी परिवार द्वारा पाली जा रही मछली की प्रजाति आदमखोर मानी जाती है. बताया जता है कि इस तालाब में अगर कोई मानव शिशु दुर्घटनावश गिर जाए तो ये मछलिया उसे पल भर में चट कर सकती हैं. अनुविभागीय अधिकारी बनवारिया के मुताबिक जमीन की कीमत करीब चार करोड़ है और मछली कारोबार से करीब 50-60 लाख रुपए की आय है. प्रशासन के जबर सिंह लोधी के विरुद्ध मामला दर्ज कर 19 लाख रुपए की वसूली का नोटिस भी दिया गया है.