ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक दुष्कर्म पीड़िता युवती की फरियाद सुनने के बजाय उसे 2 दिन थाने में बंद रखकर मारपीट करने और कोर्ट में बयान बदलवाने जैसे संगीन मामले में नोटिस जारी किए हैं. पूरे मामले की केस डायरी स्टेटस रिपोर्ट को भी तलब किया है. अब इस मामले में सुनवाई अगले सप्ताह होगी. दरअसल 21 साल की लड़की ने रिंकू जाटव के खिलाफ डबरा थाने में 8 जून को बलात्कार का मामला दर्ज कराया था, जबकि 7 जून को युवती के साथ यह घटना हुई थी.
हाईकोर्ट में याचिका दायर: डबरा थाने की सब इंस्पेक्टर सुमन पालिया ने अज्ञात कारणों से युवती को रिंकू जाटव की जगह चार अन्य लोगों का नाम लेने के लिए मजबूर किया. जिनका इस वारदात से कोई लेना देना नहीं था. जब लड़की ने इससे इनकार किया तो उसकी बेरहमी से थाने में मारपीट की गई और 2 दिन बंद रखा. 10 जून को युवती ने मामले को पुलिस अधीक्षक की नॉलेज में लाया. उन्होंने विवेचना अधिकारी सुमन पालिया से जांच वापस लेकर महिला थाने के सुपुर्द कर दी और सब इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच बैठा दी. अब युवती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने और डबरा थाने के सब इंस्पेक्टर सुमन पालिया के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई है.
कोर्ट ने सीबीआई को केस सुपुर्द किया: सुमन पालिया का साथ देने पुलिस कर्मी रामू चौबे का भी बराबर का हाथ रहा है. बयान बदलवाने के लिए वह भी सब इंस्पेक्टर के साथ लड़की को लेकर कोर्ट आया था. सीसीटीवी फुटेज से इसकी तस्दीक की जा सकती है. साथ ही थाने की फुटेज लड़की ने अपनी बात की सत्यता को लेकर कोर्ट से तलब करने की अपील की है. गौरतलब है कि 2 साल पहले भी इसी तरह का एक अन्य मामला मुरार थाने में केस आया था. जहां एक दलित लड़की के साथ दुष्कर्म करने का केस वापस लेने के लिए पुलिस ने लड़की और उसके माता-पिता की मारपीट की थी. बाद में हाई कोर्ट ने इस मामले को सीबीआई के सुपुर्द किया था और इस पूरे कांड में शामिल एडिशनल एसपी दो थाना प्रभारी सहित सात पुलिसकर्मियों को ग्वालियर चंबल संभाग से 200 किलोमीटर दूर तैनात करने के आदेश दिए थे.