ग्वालियर। भारत के महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान को लेकर जातीय तनाव शुरू हो सकता है. गुर्जर समुदाय के लोगों ने दावा किया है कि पृथ्वीराज चौहान गुर्जर नेता थे,ना कि राजपूत. पृथ्वीराज चौहान की जयंती पर गुर्जर समाज ने ग्वालियर के मुरार स्थित संभाजी कॉलोनी के गुर्जर भवन में जयंती समारोह का आयोजन किया. ओबीसी महासभा के बैनर तले हुए इस आयोजन में ओबीसी नेताओं के साथ बड़ी संख्या में गुर्जर समुदाय के लोग मौजूद रहे.
गुर्जरों का इतिहास महाबलियों से भरा है : कार्यक्रम को यदुवंशी महासभा के अध्यक्ष रूपेश यादव और गुर्जर नेता सियाराम हरसाना द्वारा भी संबोधित किया गया. गुर्जर नेताओं का कहना है कि गुर्जरों का इतिहास वीर महाबलियों से भरा हुआ है. कई इतिहासकारों ने किताबों में गुर्जर समाज के महान योद्धाओं का वर्णन किया है, लेकिन इस इतिहास को समाज के कुछ लोगों द्वारा अपने निजी लाभ के लिए बदलकर गुर्जर योद्धाओं को अपना योद्धा बनाया गया है. इसलिए गुर्जर समाज द्वारा आज भारत के महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जन्म जयंती मनाते हुए महापुरुषों को नमन किया है.
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राजा मिहिर भोज पर भी विवाद : गौरतलब है कि ग्वालियर चंबल अंचल में राजा मिहिर भोज को लेकर भी जातीय संघर्ष छिड़ा हुआ था. इसको लेकर क्षत्रिय समाज और गुर्जर समाज के बीच काफी संघर्ष और उपद्रव हुआ. कई दिनों तक धारा 144 लागू रही. गुर्जर समाज के लोगों का दावा है कि राजा मिहिर भोज हमारे वंशज थे तो वहीं क्षत्रिय समाज का कहना है कि वह हमारे वंशज थे. इसके बाद यह मामला कोर्ट में चल रहा है. बता दें कि महापुरुषों को लेकर इस प्रकार जातीय विवाद समाजहित में नहीं है.