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MP Assembly Election 2023: पार्टी से नाराज नेताओं का सहारा बसपा और आप, बीजेपी और कांग्रेस को क्यों सताने लगा डर

मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस से असंतुष्ट और टिकट ना मिलने वाले नेताओं के लिए बीएसपी और आम आदमी पार्टी सहारा बन रही है. यही कारण है कि बीएसपी और आम आदमी पार्टी की नजर उन नेताओं पर है जो बीजेपी और कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे हैं या फिर उन्हें टिकट की उम्मीद नहीं है. ऐसे नेताओं से आप और बसपा दोनों ही संपर्क करने में जुटी है. साथ ही उन्होंने दावा भी किया है कि लगातार बीजेपी और कांग्रेस से नाराज नेता उनसे संपर्क करने में जुट गए हैं.

mp assembly election 2023
एमपी विधानसभा चुनाव 2023
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Published : Apr 3, 2023, 4:33 PM IST

एमपी विधानसभा चुनाव 2023

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में मिशन 2023 को फतह करने के लिए बीजेपी कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी मैदान में कूद पड़ी है और दोनों ही पार्टियों ने मध्य प्रदेश की सभी विधानसभा चुनाव पर अपना उम्मीदवार उतारने के लिए ऐलान कर दिया है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस को डर है कि कहीं इस विधानसभा चुनाव में उनसे नाराज चल रहे नेता खिसक न जाएं और इसके लिए बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी स्वागत के लिए तैयार खड़ी है. इसमें सबसे बड़ा डर ग्वालियर चंबल में है क्योंकि यहां पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों में ही इनके नेता सबसे नाराज चल रहे हैं. यही कारण है कि यहीं से बसपा और आम आदमी पार्टी को सबसे अधिक फायदा हो सकता है.

BSP और AAP का दावा: बहुजन समाज पार्टी ने यह दावा किया है कि बीजेपी और कांग्रेस के पूर्व मंत्री सहित कई नेताओं उनके संपर्क में है और वह लगातार पार्टी से संपर्क कर रहे हैं अगर उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लेंगे. वहीं आम आदमी पार्टी का भी दावा इसी प्रकार है उनका कहना है कि ग्वालियर चंबल अंचल में सिंधिया के आने के बाद तमाम ऐसे नेता है जो लगातार पार्टी से नाराज चल रहे हैं साथ ही कार्यकर्ता भी पूरी तरह संतुष्ट है इसलिए उनके लिए आम आदमी पार्टी एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने उभर रही है और यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कई असंतुष्ट नेता आप पार्टी का दामन थामने वाले है.

चंबल अंचल में फोकस: भले ही आगामी विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और आप पार्टी बड़ा करिश्मा ना दिखा पाए लेकिन चर्चा है कि सबसे ज्यादा नुकसान यह दोनों पार्टी बीजेपी और कांग्रेस का करेंगी. यही कारण है कि इन दोनों पार्टियों का सबसे अधिक फोकस ग्वालियर चंबल अंचल में है क्योंकि इस समय ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी में लगातार गुटबाजी हावी है और इस गुटबाजी का फायदा आप और बसपा लेने की पूरी कोशिश करने में जुटी हुई है.

बीजेपी-कांग्रेस में गुटबाजी: बीजेपी की अगर बात करें तो सिंधिया आने के बाद बीजेपी में लगातार गुटबाजी हावी है यही कारण है कि बीजेपी के मूल नेता और कार्यकर्ताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया है और वह लगातार नाराज चल रहे हैं. ऐसे में इस गुटबाजी का फायदा आम आदमी पार्टी और बसपा को हो सकता है. वहीं कांग्रेस का भी हाल ऐसा ही है कांग्रेस में भी लगातार गुटबाजी के साथ-साथ टिकट को लेकर नेता नाराज चल रही है और अबकी बार यह बताया जा रहा है कि अगर उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो पार्टी बदलकर मैदान में आ सकते हैं.

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बीजेपी ने दावे को नकारा: विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी और आप पार्टी के दावों को लेकर बीजेपी का कहना है कि दावा करने वाले दल खुद समस्या ग्रस्त हैं. उत्तर प्रदेश में बीएसपी का सफाया हो चुका है. दलितों के नाम पर राजनीति करने वाली मायावती का जनाधार लगातार खिसक रहा है क्योंकि दलित वोटर समझ चुका है. वहीं आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री से लेकर कार्यकारिणी के लोग भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हुए हैं इसलिए बीजेपी का कोई नेता और प्रदेश की जनता इस खोखले दलों के बहकावे में नहीं आने वाला.

कांंग्रेस कर सकती है सेंधमारी: कांग्रेस का कहना है कि जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए हैं तब से ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी की गुटबाजी चरम पर है. बहुजन समाज पार्टी हमेशा असंतुष्ट नेताओं पर नजर रखती है और आने वाले चुनाव में जरूर बसपा के साथ-साथ आप पार्टी को बीजेपी की गुटबाजी का फायदा मिलेगा. जहां तक कांग्रेस की बात है तो हम लोग एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे और सिंधिया के गढ़ में ग्वालियर से बीजेपी की सेंध लगाने की तैयारी शुरू हो गई.

बिगाड़ेंगे समीकरण: ग्वालियर चंबल अंचल में देखा जाए तो बीजेपी में दो पूर्व मंत्री सहित कई दर्जनों भर पूर्व विधायक हैं जो लगातार पार्टी से नाराज चल रहे हैं और अगर उन्हें पार्टी टिकट नहीं देती है तो वो किसी भी दल में शामिल हो सकते हैं. इसका फायदा बसपा और आप पार्टी को मिल सकता है. वहीं कांग्रेस में भी एक दर्जन से अधिक पूर्व विधायक हैं जो टिकट की आस में लगातार पार्टी के आलाकमान से संपर्क कर रहे हैं इसके साथ ही कांग्रेस के पूर्व विधायक अभी हाल में ही बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए थे अब सबसे अधिक बीजेपी और कांग्रेस को लगने लगा है कि कहीं आगामी विधानसभा में बसपा और आप पार्टी इनका गणित न बिगाड़ दे.

एमपी विधानसभा चुनाव 2023

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में मिशन 2023 को फतह करने के लिए बीजेपी कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी मैदान में कूद पड़ी है और दोनों ही पार्टियों ने मध्य प्रदेश की सभी विधानसभा चुनाव पर अपना उम्मीदवार उतारने के लिए ऐलान कर दिया है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस को डर है कि कहीं इस विधानसभा चुनाव में उनसे नाराज चल रहे नेता खिसक न जाएं और इसके लिए बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी स्वागत के लिए तैयार खड़ी है. इसमें सबसे बड़ा डर ग्वालियर चंबल में है क्योंकि यहां पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों में ही इनके नेता सबसे नाराज चल रहे हैं. यही कारण है कि यहीं से बसपा और आम आदमी पार्टी को सबसे अधिक फायदा हो सकता है.

BSP और AAP का दावा: बहुजन समाज पार्टी ने यह दावा किया है कि बीजेपी और कांग्रेस के पूर्व मंत्री सहित कई नेताओं उनके संपर्क में है और वह लगातार पार्टी से संपर्क कर रहे हैं अगर उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लेंगे. वहीं आम आदमी पार्टी का भी दावा इसी प्रकार है उनका कहना है कि ग्वालियर चंबल अंचल में सिंधिया के आने के बाद तमाम ऐसे नेता है जो लगातार पार्टी से नाराज चल रहे हैं साथ ही कार्यकर्ता भी पूरी तरह संतुष्ट है इसलिए उनके लिए आम आदमी पार्टी एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने उभर रही है और यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कई असंतुष्ट नेता आप पार्टी का दामन थामने वाले है.

चंबल अंचल में फोकस: भले ही आगामी विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और आप पार्टी बड़ा करिश्मा ना दिखा पाए लेकिन चर्चा है कि सबसे ज्यादा नुकसान यह दोनों पार्टी बीजेपी और कांग्रेस का करेंगी. यही कारण है कि इन दोनों पार्टियों का सबसे अधिक फोकस ग्वालियर चंबल अंचल में है क्योंकि इस समय ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी में लगातार गुटबाजी हावी है और इस गुटबाजी का फायदा आप और बसपा लेने की पूरी कोशिश करने में जुटी हुई है.

बीजेपी-कांग्रेस में गुटबाजी: बीजेपी की अगर बात करें तो सिंधिया आने के बाद बीजेपी में लगातार गुटबाजी हावी है यही कारण है कि बीजेपी के मूल नेता और कार्यकर्ताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया है और वह लगातार नाराज चल रहे हैं. ऐसे में इस गुटबाजी का फायदा आम आदमी पार्टी और बसपा को हो सकता है. वहीं कांग्रेस का भी हाल ऐसा ही है कांग्रेस में भी लगातार गुटबाजी के साथ-साथ टिकट को लेकर नेता नाराज चल रही है और अबकी बार यह बताया जा रहा है कि अगर उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो पार्टी बदलकर मैदान में आ सकते हैं.

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बीजेपी ने दावे को नकारा: विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी और आप पार्टी के दावों को लेकर बीजेपी का कहना है कि दावा करने वाले दल खुद समस्या ग्रस्त हैं. उत्तर प्रदेश में बीएसपी का सफाया हो चुका है. दलितों के नाम पर राजनीति करने वाली मायावती का जनाधार लगातार खिसक रहा है क्योंकि दलित वोटर समझ चुका है. वहीं आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री से लेकर कार्यकारिणी के लोग भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हुए हैं इसलिए बीजेपी का कोई नेता और प्रदेश की जनता इस खोखले दलों के बहकावे में नहीं आने वाला.

कांंग्रेस कर सकती है सेंधमारी: कांग्रेस का कहना है कि जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए हैं तब से ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी की गुटबाजी चरम पर है. बहुजन समाज पार्टी हमेशा असंतुष्ट नेताओं पर नजर रखती है और आने वाले चुनाव में जरूर बसपा के साथ-साथ आप पार्टी को बीजेपी की गुटबाजी का फायदा मिलेगा. जहां तक कांग्रेस की बात है तो हम लोग एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे और सिंधिया के गढ़ में ग्वालियर से बीजेपी की सेंध लगाने की तैयारी शुरू हो गई.

बिगाड़ेंगे समीकरण: ग्वालियर चंबल अंचल में देखा जाए तो बीजेपी में दो पूर्व मंत्री सहित कई दर्जनों भर पूर्व विधायक हैं जो लगातार पार्टी से नाराज चल रहे हैं और अगर उन्हें पार्टी टिकट नहीं देती है तो वो किसी भी दल में शामिल हो सकते हैं. इसका फायदा बसपा और आप पार्टी को मिल सकता है. वहीं कांग्रेस में भी एक दर्जन से अधिक पूर्व विधायक हैं जो टिकट की आस में लगातार पार्टी के आलाकमान से संपर्क कर रहे हैं इसके साथ ही कांग्रेस के पूर्व विधायक अभी हाल में ही बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए थे अब सबसे अधिक बीजेपी और कांग्रेस को लगने लगा है कि कहीं आगामी विधानसभा में बसपा और आप पार्टी इनका गणित न बिगाड़ दे.

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