ग्वालियर। शहर के बिलौआ इलाका पत्थर की खदान और क्रेशर के लिए पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है, लेकिन यहां के निवासी डायनामाइट लगाकर किए जा रहे अवैधानिक विस्फोट से परेशान हैं. यहां हर मकान की दीवार से लेकर छत तक दरारें आ चुकी हैं. यहां के निवासी नेता से लेकर अफसरों तक के दरवाजों पर अपना दुखड़ा सुना चुके हैं, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात है.
दिन रात अवैध काम: ग्वालियर से झांसी जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग से थोड़ा अंदर संभागीय मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूस स्थित बिलौआ गांव दशाब्दियों से पान उत्पादन के लिए जाना जाता था. साठ सत्तर के दशक में यहां पैदा होने वाले पान ना केवल देशभर में बल्कि पड़ोसी मुल्कों तक भेजा जाता था, लेकिन इसके आसपास स्थित पत्थर की खदानों से उत्खनन शुरू होते ही यहां बड़े छोटे दर्जनों क्रेशर लग गए और यह काली और सफेद गिट्टी सप्लाई का देश का एक प्रमुख सेंटर बन गया. यहां से लगभग पांच सौ से एक हजार डम्फर गिट्टी रोज निकलकर देशभर में जाती है, लेकिन इसके साथ ही यहां पत्थर माफिया हाबी हो गया और वह प्रशासन, नेता, बाहुबली और माइनिग विभाग से मिलजुलकर आसपास दिन रात अवैध रूप से पहाड़ों को खत्म करने में जुट गया है.
मुश्किल में जीवन: अधिक कमाई के लालच में खदान माफिया इस क्षेत्र में अंधाधुंध ब्लास्टिंग कर रहे हैं. इससे दिन रात यहां ब्लास्टिंग के धमाके सुनाई देते रहते हैं. लोगों के घर कांपते रहते हैं, लेकिन बिलौआ नगर परिषद के वार्ड क्रमांक 15 में स्थित गंगापुर इलाके के लोगों का तो जीवन ही मुहाल हो गया है. इस मोहल्ले के लोगों का कहना है कि, गंगापुर से लगी हुई काली गिट्टी का एक पहाड़ है जिसको खदान के रूप में अलॉट किया गया. ग्रामीणों का कहना है कि, यहां होने वाली ब्लास्टिंग से घरों में दरारें आ गई हैं. उन्हें पता नहीं रहता कि, किस धमाके के साथ उनकी छत की पटिया टूटकर उनके सिर पर आ गिरे. इस भय में वे लोग चैन से ना सो पाते हैं ना काम कर पाते हैं. बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते.
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भय का साया: ग्रामीण इस समस्या को लेकर एसडीएम डबरा से लेकर माइनिंग विभाग तक कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन उनकी सुनने को कोई तैयार नहीं है. गंगापुर निवासी विजेंद्र सिंह, गोपाल सिंह, नारायण सिंह साहित अन्य लोग एसडीएम प्रखर सिंह के पास पहुंचे. एक शिकायती आवेदन देते हुए कहा कि, गंगापुर बस्ती से लगी काली गिट्टी की खदान है. जो अवैध रूप से संचालित की जा रही है. जिनमें से कई खदानों में क्षमता से अधिक ब्लास्ट किए जा रहे हैं. जिससे हमारे मकानों की दीवारें, छत की पटिया टूट चुकी है, तो दुर्घटना की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. शिकायतकर्ता विजेंद्र सिंह बघेल का यह भी कहना है कि, खदान संचालक अपनी मनमानी कर रहे हैं. शिकायत करने पर उनके ऊपर डरा धमकाकर दबाव भी बनाते हैं. इस मामले में जिले के प्रभारी खनिज अधिकारी के पास भी इस समस्या का कोई समाधान नही है. वे तंकनीकी बातें बताते हैं लेकिन यह नहीं बताते की गंगापुर की निवासियों के सर से ब्लास्ट के कारण होने वाला भय का साया कब हटेगा?