ग्वालियर। शहर में पिछले कुछ दिनों से सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है, क्योंकि जिस इको ग्रीन कंपनी को नगर निगम में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम दिया था उसने लगभग 15 दिन पहले काम बंद कर दिया है. इसके बाद नगर निगम ने सफाई व्यवस्था को अपने जिम्मे ले लिया, लेकिन आलम यह है कि शहर में जगह-जगह कचरे में ढेर देखे जा सकते हैं.
इको ग्रीन कंपनी द्वारा ग्वालियर शहर के 66 में से 45 वार्डों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम किया जाता था. इस कचरे को डंपिंग ग्राउंड में डाला जाता था, लेकिन अब आलम यह है कि नगर निगम की गाड़ियां तीन से चार दिन में कचरा कलेक्शन करने के लिए पहुंच रहीं हैं. इस दौरान दिवाली की साफ सफाई में निकलने वाले कचरे को कॉलोनी वासी इलाके में पड़े खाली प्लांट या सुनसान गलियों में ही डाल रहे हैं. जिससे हर जगह गंदगी का अंबार नजर आ रहा है.
आम दिनों में शहर में जहां कचरा 450 टन प्रतिदिन निकलता था, दिवाली के त्योहार पर साफ-सफाई की वजह से लगभग 600 टन कचरा निकल रहा है. वहीं जब इस मामले पर नगर निगम कमिश्नर से बात करना चाहे तो उन्होंने बिजी होने का बहाना लेकर कैमरे पर आने से मना कर दिया.
ग्वालियर में लगातार बढ़ रही कचरे के ढेर को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. बीजेपी के सांसद और पूर्व महापौर विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि मार्च के पहले इको ग्रीन कंपनी को जो मदद सरकार के द्वारा की जानी चाहिए थी वह नहीं हुई. यही कारण है कि वह अपना काम सुचारु रुप से नहीं कर पाई है. जिसके चलते उसने कांटेक्ट के बीच में ही काम छोड़ दिया और अब लोगों को परेशान होना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि साफ-सफाई व्यवस्था को दुरूस्त रख पाना नगर निगम के बस की बात नहीं है. प्रदेश सरकार को इसमें तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि को ग्रीन कंपनी के द्वारा ठीक से काम नहीं किया जा रहा था. इसको लेकर कांग्रेस सरकार के समय कई बार नोटिस भी दिया गया था. ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर अपने मन के मुताबिक काम कर रहे हैं. हालात यह बन चुके हैं वर्तमान में जिस तरीके से दिवाली के मौके पर कचरा अधिक निकल रहा है, इससे शहर शहर डस्टबिन का रूप ले चुका है.