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आखिर कब होगी अतिथि की आवभगत, कहीं बिगड़ न जाए मामला !

मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. लेकिन चुनाव से पहले अतिथि शिक्षकों ने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की परेशानियां बढ़ा दी है. अतिथि शिक्षक लगातार नियमित किए जाने की मांग कर रहे हैं. यही बात है कि अतिथि शिक्षकों की नाराजगी चुनाव में दोनों दलों को भारी पड़ सकती है.

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आखिर कब होगी अतिथि की आवभगत
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Published : Oct 4, 2020, 12:35 AM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में होने वाले उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है. ऐसे में सभी पार्टियां वोटरों को लुभाने में जुटी हैं. इस चुनाव में किसान के अलावा बेराजगारी और अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति एक बड़ा मुद्दा है. एक ओर जहां बेरोजगार संघ आचार संहिता लगने के पहले नोटिफिकेशन निकालने की मांग कर रहा था. वहीं चयनित अतिथि शिक्षक व अतिथि विद्वान नियुक्ति और नियमितीकरण की मांग कर रहे थे. जिस पर प्रदेश सरकार की तरफ से बार-बार आश्वासन भी दिया जाता रहा. लेकिन कुछ होता उससे पहले आचार संहिता लग गयी. ऐसे में नियमित शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से एक निश्चित टाइम बाउंड नियुक्तियां की जाने की मांग की है. यदि ऐसा संभव नहीं होता है तो वे आने वाले उपचुनाव में बीजेपी के खिलाफ सड़कों पर उतरने और चुनाव का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं. जबकि इन शिक्षकों ने चेतावानी कांग्रेस को भी दे रखी है.

आखिर कब होगी अतिथि की आवभगत

नहीं हो किया जा रहा नियमित

अतिथि विद्वानों का कहना है कि पहले आठ साल तक वैकेंसी का इंतजार किया और अब दो साल से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं. दोनो पार्टियों ने हमको फुटबाल बनाकर रख दिया है. पहले कांग्रेस ने कुछ नहीं किया अब बीजेपी भी कोई सुनवाई नहीं कर रही है. ऐसे में हम चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं. नियमित शिक्षक संघ का कहना है कि हम लोगों ने 2018 में पात्रता परीक्षा पास की थी. तब से अब तक दो सरकारें बदल गईं लेकिन उनकी नियुक्तियां अभी तक नहीं हो पाईं. उन्होंने बताया कि जब वे आंदोलन कर रहे थे तो प्रदेश सरकार के कुछ मंत्री भी धरने पर पहुंचे थे और उचित आश्वासन दिया था. वहीं बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मांगों को पूरा करने की बात कर चुके हैं. लेकिन आजतक वादे पूरे नहीं हुए. उनका कहना है कि आचार संहिता में सरकार कुछ नहीं कर सकती तो कोई ठोस आश्वासन तो दे सकती है.

कांग्रेस ने वादा नहीं निभायाः बीजेपी

अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर दोषारोपण में ही लगी हैं. अतिथि शिक्षकों के मामले में बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य का कहना है कि कि कांग्रेस ने वादा किया लेकिन निभाया नहीं. वहीं बीजेपी को जब सत्ता मिली तब कोरोना काल चल रहा था. लेकिन शिवराज सरकार ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही अतिथि शिक्षकों की मांगों को पूरा किया जाएगा. लेकिन कमलनाथ सरकार ने अपने घोषणा पत्र में इनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था, इसके बावजूद भी कमलनाथ सरकार ने इनसे वादाखिलाफी की, इसलिए अतिथि शिक्षक और अतिथि विद्वान कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. कमलनाथ सरकार में युवाओं को न नौकरी मिली और न ही बेरोजगारी भत्ता, ऐसे में युवा काफी गुस्से में है.

कांग्रेस का पलटवार

वहीं कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि कमलनाथ सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए लगातार प्रयास कर रही थी, लेकिन कुछ डकैत नेताओ ने सरकार को गिरा दिया. बीजेपी लगातार मध्य प्रदेश में 15 साल से जमी हुई है लेकिन उसने कभी युवाओं की तरफ नहीं देखा है. वह सिर्फ माफिया और भ्रष्ट नेता और अधिकारियों को मलाई चटाने में लगी हुई है और अभी भी बीजेपी के पास अवसर है उन्हीं की सरकार है इनकी मांगों को क्यों नहीं पूरा किया जा रहा है इस तरह में यह सभी युवा बीजेपी को जड़ से उखाड़ फेंकेगे.

गौरतलब है कि इस उपचुनाव में युवा वोटर गेम चेंजर रहेगा. क्योंकि 70 हजार अतिथि शिक्षक और 30 हजार चयनित शिक्षक सहित अन्य युवाओं की मांग पूरी नहीं हो पाई हैं. यही वजह है के युवा किस पार्टी की तरफ झुकते हैं और किस पार्टी को नुकसान पहुंचाए यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन यह बात जरूर है कि इस उपचुनाव में बेराजगार युवा निर्णायक वोट के रूप में अहम भूमिका निभाने वाले हैं.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में होने वाले उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है. ऐसे में सभी पार्टियां वोटरों को लुभाने में जुटी हैं. इस चुनाव में किसान के अलावा बेराजगारी और अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति एक बड़ा मुद्दा है. एक ओर जहां बेरोजगार संघ आचार संहिता लगने के पहले नोटिफिकेशन निकालने की मांग कर रहा था. वहीं चयनित अतिथि शिक्षक व अतिथि विद्वान नियुक्ति और नियमितीकरण की मांग कर रहे थे. जिस पर प्रदेश सरकार की तरफ से बार-बार आश्वासन भी दिया जाता रहा. लेकिन कुछ होता उससे पहले आचार संहिता लग गयी. ऐसे में नियमित शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से एक निश्चित टाइम बाउंड नियुक्तियां की जाने की मांग की है. यदि ऐसा संभव नहीं होता है तो वे आने वाले उपचुनाव में बीजेपी के खिलाफ सड़कों पर उतरने और चुनाव का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं. जबकि इन शिक्षकों ने चेतावानी कांग्रेस को भी दे रखी है.

आखिर कब होगी अतिथि की आवभगत

नहीं हो किया जा रहा नियमित

अतिथि विद्वानों का कहना है कि पहले आठ साल तक वैकेंसी का इंतजार किया और अब दो साल से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं. दोनो पार्टियों ने हमको फुटबाल बनाकर रख दिया है. पहले कांग्रेस ने कुछ नहीं किया अब बीजेपी भी कोई सुनवाई नहीं कर रही है. ऐसे में हम चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं. नियमित शिक्षक संघ का कहना है कि हम लोगों ने 2018 में पात्रता परीक्षा पास की थी. तब से अब तक दो सरकारें बदल गईं लेकिन उनकी नियुक्तियां अभी तक नहीं हो पाईं. उन्होंने बताया कि जब वे आंदोलन कर रहे थे तो प्रदेश सरकार के कुछ मंत्री भी धरने पर पहुंचे थे और उचित आश्वासन दिया था. वहीं बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मांगों को पूरा करने की बात कर चुके हैं. लेकिन आजतक वादे पूरे नहीं हुए. उनका कहना है कि आचार संहिता में सरकार कुछ नहीं कर सकती तो कोई ठोस आश्वासन तो दे सकती है.

कांग्रेस ने वादा नहीं निभायाः बीजेपी

अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर दोषारोपण में ही लगी हैं. अतिथि शिक्षकों के मामले में बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य का कहना है कि कि कांग्रेस ने वादा किया लेकिन निभाया नहीं. वहीं बीजेपी को जब सत्ता मिली तब कोरोना काल चल रहा था. लेकिन शिवराज सरकार ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही अतिथि शिक्षकों की मांगों को पूरा किया जाएगा. लेकिन कमलनाथ सरकार ने अपने घोषणा पत्र में इनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था, इसके बावजूद भी कमलनाथ सरकार ने इनसे वादाखिलाफी की, इसलिए अतिथि शिक्षक और अतिथि विद्वान कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. कमलनाथ सरकार में युवाओं को न नौकरी मिली और न ही बेरोजगारी भत्ता, ऐसे में युवा काफी गुस्से में है.

कांग्रेस का पलटवार

वहीं कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि कमलनाथ सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए लगातार प्रयास कर रही थी, लेकिन कुछ डकैत नेताओ ने सरकार को गिरा दिया. बीजेपी लगातार मध्य प्रदेश में 15 साल से जमी हुई है लेकिन उसने कभी युवाओं की तरफ नहीं देखा है. वह सिर्फ माफिया और भ्रष्ट नेता और अधिकारियों को मलाई चटाने में लगी हुई है और अभी भी बीजेपी के पास अवसर है उन्हीं की सरकार है इनकी मांगों को क्यों नहीं पूरा किया जा रहा है इस तरह में यह सभी युवा बीजेपी को जड़ से उखाड़ फेंकेगे.

गौरतलब है कि इस उपचुनाव में युवा वोटर गेम चेंजर रहेगा. क्योंकि 70 हजार अतिथि शिक्षक और 30 हजार चयनित शिक्षक सहित अन्य युवाओं की मांग पूरी नहीं हो पाई हैं. यही वजह है के युवा किस पार्टी की तरफ झुकते हैं और किस पार्टी को नुकसान पहुंचाए यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन यह बात जरूर है कि इस उपचुनाव में बेराजगार युवा निर्णायक वोट के रूप में अहम भूमिका निभाने वाले हैं.

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