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MP Election 2023: चंबल के बीहड़ में 'रॉबिनहुड' मलखान सिंह का था दबदबा! जानें अब कांग्रेस में एंट्री से कितना बदलेगा एमपी का चुनावी गणित

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Published : Aug 9, 2023, 10:13 PM IST

Updated : Aug 9, 2023, 10:52 PM IST

चंबल के बीहड़ में रॉबिनहुड के नाम से मशहूर पूर्व दस्यु सम्राट मलखान सिंह ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है, फिलहाल आइए जानते हैं मलखान सिंह की कांग्रेस में एंट्री से कितना बदलेगा एमपी का चुनावी गणित-

malkhan singh will change political equation in mp
मलखान सिंह की एंट्री से बदलेंगे सियासी आंकड़े
मलखान सिंह की एंट्री से बदलेंगे सियासी आंकड़े

ग्वालियर। चंबल के बीहड़ में लंबे समय तक सक्रिय रहे दस्यु सरगना मलखान सिंह बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, उन्होंने कांग्रेस के भोपाल स्थित कार्यालय में कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. रोबिन्हुड के नाम से मशहूर पूर्व बागी मलखान सिंह अब कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे, माना जा रहा है कि मलखान सिंह के आने से ग्वालियर चंबल अंचल के साथ-साथ बुंदेलखंड में चुनावी गणित बिगड़ने वाला है.

रॉबिनहुड के नाम से मशहूर थे मलखान सिंह: बता दें कि 80 के दशक में मलखान सिंह और उनका गैंग चम्बल अंचल का सबसे खतरनाक गिरोह माना जाता था, इसका एमपी, यूपी से लेकर राजस्थान तक में मूवमेंट रहता था और खौफ था, लेकिन अपनी रॉबिनहुड छवि के चलते पुलिस इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाती थी. 15 जून 1981 में भिण्ड के एसएएफ मैदान में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष मलखान सिंह ने अपनी गिरोह के सदस्यों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया था, उस दौरान मलखान सिंह पर अपहरण, हत्या डकैती सहित कई मामलों में सबसे अधिक मामले दर्ज थे. मलखान सिंह की पहचान एक रोबिन्हुड की नाम से विख्यात थी. मलखान सिंह ने बताया कि "एक बार मेरी गैंग ने मेरे दुश्मन सरपंच की बेटी को पकड़ लिया था, जब गैंग के सदस्य मेरे सामने मेरे दुश्मन की बेटी को लेकर पहुंचे तो मैंने अपने लोगों को फटकार लगाई और उसके बाद पैर छूकर बेटी को भेंट देते हुए वहां से विदा किया था."

खूंखार डाकू रहे मलखान सिंह: चंबल के बीहड़ों में खूंखार डाकू रहे मलखान सिंह के थ्रू के पास उस जमाने में अत्याधुनिक हथियार थे, उनकी गैंग के पास एके-47 सहित इंग्लिश राइफल्स मौजूद थी और मलखान सिंह खुद अपने साथ अमेरिकी राइफल लेकर चलते थे, वह हमेशा 2 दर्जन से अधिक लोगों से घिरे रहते थे और बीहड़ों के खुले आसमान के नीचे ही उनका ठिकाना होता था. आत्मसमर्पण के बाद वह मुंगावली की खुली जेल में अनेक वर्ष तक रहने के बाद वे जेल से रिहा हुए, उसके बाद वे सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हो गए.

अब कांग्रेस का प्रचार करेंगे मलखान सिंह: इसके बाद उन्होंने 90 के दशक में भिण्ड विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में समजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव भी लड़ा, लेकिन वे हार गए. फिर कई वर्षों से वे बीजेपी के प्रचारक के रूप में सक्रिय थे, पूर्व डकैत मलखान सिंह पिछले 20 सालों से लगातार अपने समाज को संगठित करने का काम कर रहे हैं. वहीं पिछले दो चुनावों से बीजेपी के लिए काम कर रहे थे, लेकिन अचानक बीजेपी की कार्यशैली से नाराज होकर उन्होंने 9 अगस्त यानि बुधवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया है और वह अब से कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे.

इन खबरों पर भी एक नजर:

मलखान सिंह की कांग्रेस में एंट्री के बाद बिगड़ेगा चुनाव का गणित: पूर्व डकैत मलखान सिंह के कांग्रेस में शामिल होने के बाद ग्वालियर चंबल अंचल और बुंदेलखंड में काफी चुनावी गणित बिगड़ने वाला है, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मलखान सिंह ग्वालियर चंबल अंचल के अलावा बुंदेलखंड के जिलों में काफी सक्रिय रहते हैं और गांव-गांव उनके काफी अच्छे संपर्क भी है. ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली ने बताया है कि "मलखान सिंह 80 के दशक में चंबल के वीरों के सबसे खूंखार डकैत माने जाते थे और उन पर उस जमाने में 1 लाख रुपए का इनाम हुआ करता था, लेकिन 15 जून 1981 में भिण्ड के एसएएफ मैदान में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष मलखान सिंह ने अपनी गिरोह के सदस्यों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया था. उसके बाद लगातार यह सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, मलखान सिंह की छवि खूंखार डाकू के साथ-साथ रोबिनहुड की रही है, इसलिए लोग इनकी बातों पर भरोसा करते हैं और इज्जत भी करते हैं. यही कारण है कि ग्वालियर चंबल के अलावा बुंदेलखंड में एक बड़ी पहचान रखते हैं और इन्हें बच्चे से लेकर युवा बुजुर्ग जानते हैं. मलखान सिंह की पत्नी ललिता सिंह गुना जिले की सुनगयाई पंचायत से निर्विरोध सरपंच भी बन चुकी है."

मलखान सिंह की पकड़ 30 जिलों में: इसके साथ ही पूर्व डकैत मलखान सिंह खंगार जाति से आते हैं और अभी हाल में ही उन्होंने बुंदेलखंड के राजा खेत सिंह खंगार की स्मृति में एक बड़ा कार्यक्रम शुरू करवाया है, यही कारण है कि बुंदेलखंड में मलखान सिंह की काफी अच्छी पकड़ है. इसलिए मलखान सिंह ग्वालियर चंबल और बुंदेलखंड में के लगभग 30 जिलों में काफी अच्छी पहचान रखते हैं और इन सभी जिलों में खंगार जाति का बड़ा वोट बैंक भी है.

मलखान सिंह की एंट्री से बदलेंगे सियासी आंकड़े

ग्वालियर। चंबल के बीहड़ में लंबे समय तक सक्रिय रहे दस्यु सरगना मलखान सिंह बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, उन्होंने कांग्रेस के भोपाल स्थित कार्यालय में कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. रोबिन्हुड के नाम से मशहूर पूर्व बागी मलखान सिंह अब कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे, माना जा रहा है कि मलखान सिंह के आने से ग्वालियर चंबल अंचल के साथ-साथ बुंदेलखंड में चुनावी गणित बिगड़ने वाला है.

रॉबिनहुड के नाम से मशहूर थे मलखान सिंह: बता दें कि 80 के दशक में मलखान सिंह और उनका गैंग चम्बल अंचल का सबसे खतरनाक गिरोह माना जाता था, इसका एमपी, यूपी से लेकर राजस्थान तक में मूवमेंट रहता था और खौफ था, लेकिन अपनी रॉबिनहुड छवि के चलते पुलिस इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाती थी. 15 जून 1981 में भिण्ड के एसएएफ मैदान में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष मलखान सिंह ने अपनी गिरोह के सदस्यों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया था, उस दौरान मलखान सिंह पर अपहरण, हत्या डकैती सहित कई मामलों में सबसे अधिक मामले दर्ज थे. मलखान सिंह की पहचान एक रोबिन्हुड की नाम से विख्यात थी. मलखान सिंह ने बताया कि "एक बार मेरी गैंग ने मेरे दुश्मन सरपंच की बेटी को पकड़ लिया था, जब गैंग के सदस्य मेरे सामने मेरे दुश्मन की बेटी को लेकर पहुंचे तो मैंने अपने लोगों को फटकार लगाई और उसके बाद पैर छूकर बेटी को भेंट देते हुए वहां से विदा किया था."

खूंखार डाकू रहे मलखान सिंह: चंबल के बीहड़ों में खूंखार डाकू रहे मलखान सिंह के थ्रू के पास उस जमाने में अत्याधुनिक हथियार थे, उनकी गैंग के पास एके-47 सहित इंग्लिश राइफल्स मौजूद थी और मलखान सिंह खुद अपने साथ अमेरिकी राइफल लेकर चलते थे, वह हमेशा 2 दर्जन से अधिक लोगों से घिरे रहते थे और बीहड़ों के खुले आसमान के नीचे ही उनका ठिकाना होता था. आत्मसमर्पण के बाद वह मुंगावली की खुली जेल में अनेक वर्ष तक रहने के बाद वे जेल से रिहा हुए, उसके बाद वे सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हो गए.

अब कांग्रेस का प्रचार करेंगे मलखान सिंह: इसके बाद उन्होंने 90 के दशक में भिण्ड विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में समजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव भी लड़ा, लेकिन वे हार गए. फिर कई वर्षों से वे बीजेपी के प्रचारक के रूप में सक्रिय थे, पूर्व डकैत मलखान सिंह पिछले 20 सालों से लगातार अपने समाज को संगठित करने का काम कर रहे हैं. वहीं पिछले दो चुनावों से बीजेपी के लिए काम कर रहे थे, लेकिन अचानक बीजेपी की कार्यशैली से नाराज होकर उन्होंने 9 अगस्त यानि बुधवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया है और वह अब से कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे.

इन खबरों पर भी एक नजर:

मलखान सिंह की कांग्रेस में एंट्री के बाद बिगड़ेगा चुनाव का गणित: पूर्व डकैत मलखान सिंह के कांग्रेस में शामिल होने के बाद ग्वालियर चंबल अंचल और बुंदेलखंड में काफी चुनावी गणित बिगड़ने वाला है, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मलखान सिंह ग्वालियर चंबल अंचल के अलावा बुंदेलखंड के जिलों में काफी सक्रिय रहते हैं और गांव-गांव उनके काफी अच्छे संपर्क भी है. ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली ने बताया है कि "मलखान सिंह 80 के दशक में चंबल के वीरों के सबसे खूंखार डकैत माने जाते थे और उन पर उस जमाने में 1 लाख रुपए का इनाम हुआ करता था, लेकिन 15 जून 1981 में भिण्ड के एसएएफ मैदान में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष मलखान सिंह ने अपनी गिरोह के सदस्यों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया था. उसके बाद लगातार यह सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, मलखान सिंह की छवि खूंखार डाकू के साथ-साथ रोबिनहुड की रही है, इसलिए लोग इनकी बातों पर भरोसा करते हैं और इज्जत भी करते हैं. यही कारण है कि ग्वालियर चंबल के अलावा बुंदेलखंड में एक बड़ी पहचान रखते हैं और इन्हें बच्चे से लेकर युवा बुजुर्ग जानते हैं. मलखान सिंह की पत्नी ललिता सिंह गुना जिले की सुनगयाई पंचायत से निर्विरोध सरपंच भी बन चुकी है."

मलखान सिंह की पकड़ 30 जिलों में: इसके साथ ही पूर्व डकैत मलखान सिंह खंगार जाति से आते हैं और अभी हाल में ही उन्होंने बुंदेलखंड के राजा खेत सिंह खंगार की स्मृति में एक बड़ा कार्यक्रम शुरू करवाया है, यही कारण है कि बुंदेलखंड में मलखान सिंह की काफी अच्छी पकड़ है. इसलिए मलखान सिंह ग्वालियर चंबल और बुंदेलखंड में के लगभग 30 जिलों में काफी अच्छी पहचान रखते हैं और इन सभी जिलों में खंगार जाति का बड़ा वोट बैंक भी है.

Last Updated : Aug 9, 2023, 10:52 PM IST
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