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ग्वालियर: आर्थिक तंगी से जूझ रहे बस ऑपरेटर्स, 700 बसें महीनों से फांक रही हैं धूल

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Published : Jun 2, 2020, 4:51 PM IST

ग्वालियर अंतरराज्यीय बस स्टैंड पर लॉकडाउन के चलते करीब 700 बसें धूल खा रही हैं. इसके चलते बस ड्राइवर और कंडक्टर भुखमरी की कगार पर आ चुके हैं. दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हैं.

Gwalior Interstate Bus Stand
ग्वालियर अंतरराज्यीय बस स्टैंड

ग्वालियर। कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन से कई सेक्टरों को करोड़ों रुपए का घाटा हुआ है और इनमें काम करने वाले कर्मचारी भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं, जिसमें ग्वालियर अंतरराज्यीय बस स्टैंड से चलने वाली बसों के ड्राइवर और कंडक्टर भी शामिल हैं.

ग्वालियर अंतरराज्यीय बस स्टैंड

अंतरराज्यीय बस स्टैंड से 700 बसों का होता था संचालन

ग्वालियर अंतरराज्यीय बस स्टैंड से अंचल के पास के जिलों के साथ अलग-अलग राज्यों में लगभग 600 से 700 प्रायवेट बसों का आवागमन होता है, लेकिन इस लॉकडाउन के चलते इन बसों के पहिए पूरी तरह से थमे हुए हैं. इस पूरे लॉकडाउन में बस संचालकों के साथ-साथ काम करने वाले कर्मचारियों पर रोजी- रोटी का संकट मंडराने लगा है.

बस ड्राइवर और कंडक्टर भुखमरी की कगार पर

ग्वालियर अंतरराज्यीय बस स्टैंड से लगभग सभी जिलों के लिए 500 बस रोज आवागमन करती थीं और 200 बसें लंबी दूरी तय करके बस स्टैंड पर रुकती थीं, ग्वालियर चंबल-अंचल के आसपास के जिलों में चलने वाली बसों का रोज का मुनाफा खर्च काटकर 2 हजार से 3 हजार रुपए तक होता है. लंबी दूरी तय करने वाली बसों का मुनाफा रोज 4 हजार से 6 हजार रुपए होता है, लेकिन इस लॉकडाउन के चलते ये सभी बसें, बस स्टैंड पर धूल फांक रही हैं.

सरकार ने दी 50 फीसदी सवारी के लिए छूट

बस संचालकों के पास आमदनी का कोई भी स्रोत नहीं है. मध्यप्रदेश सरकार ने लॉकडाउन 5.0 की शुरुआत होने के बाद सभी सेक्टरों में छूट दे दी है. जिसमें परिवहन भी शामिल है, लेकिन सरकार ने बस संचालित करने के लिए सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सिर्फ 50 फीसदी सवारी बैठाने के निर्देश दिए हैं. जिससे बस संचालक और संकट में आ चुके हैं, सरकार ने साफ तौर पर आदेश जारी कर दिया है, सोशल सिस्टम के जरिए बसों में सिर्फ आधी सवारियां ही बैठ सकेंगी, लेकिन बस संचालकों का कहना है कि सरकार के इस आदेश के बाद हमें कोई भी राहत नहीं मिल रही है,अधी सवारियां बैठा कर ले जाएंगे तो बसों का खर्चा भी निकलना मुश्किल हो जाएगा.

वहीं आरटीओ विभाग के अधिकारी एमपी सिंह का कहना है कि, इस लॉकडाउन की वजह से परिवहन विभाग को करोड़ों का घाटा हुआ है, जिसमें बस ऑपरेटर भी शामिल हैं. सरकार ने अब थोड़ी सी राहत देना शुरू कर दिया है, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बस संचालक 50 फीसदी सवारियां बैठा सकते हैं.

ग्वालियर। कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन से कई सेक्टरों को करोड़ों रुपए का घाटा हुआ है और इनमें काम करने वाले कर्मचारी भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं, जिसमें ग्वालियर अंतरराज्यीय बस स्टैंड से चलने वाली बसों के ड्राइवर और कंडक्टर भी शामिल हैं.

ग्वालियर अंतरराज्यीय बस स्टैंड

अंतरराज्यीय बस स्टैंड से 700 बसों का होता था संचालन

ग्वालियर अंतरराज्यीय बस स्टैंड से अंचल के पास के जिलों के साथ अलग-अलग राज्यों में लगभग 600 से 700 प्रायवेट बसों का आवागमन होता है, लेकिन इस लॉकडाउन के चलते इन बसों के पहिए पूरी तरह से थमे हुए हैं. इस पूरे लॉकडाउन में बस संचालकों के साथ-साथ काम करने वाले कर्मचारियों पर रोजी- रोटी का संकट मंडराने लगा है.

बस ड्राइवर और कंडक्टर भुखमरी की कगार पर

ग्वालियर अंतरराज्यीय बस स्टैंड से लगभग सभी जिलों के लिए 500 बस रोज आवागमन करती थीं और 200 बसें लंबी दूरी तय करके बस स्टैंड पर रुकती थीं, ग्वालियर चंबल-अंचल के आसपास के जिलों में चलने वाली बसों का रोज का मुनाफा खर्च काटकर 2 हजार से 3 हजार रुपए तक होता है. लंबी दूरी तय करने वाली बसों का मुनाफा रोज 4 हजार से 6 हजार रुपए होता है, लेकिन इस लॉकडाउन के चलते ये सभी बसें, बस स्टैंड पर धूल फांक रही हैं.

सरकार ने दी 50 फीसदी सवारी के लिए छूट

बस संचालकों के पास आमदनी का कोई भी स्रोत नहीं है. मध्यप्रदेश सरकार ने लॉकडाउन 5.0 की शुरुआत होने के बाद सभी सेक्टरों में छूट दे दी है. जिसमें परिवहन भी शामिल है, लेकिन सरकार ने बस संचालित करने के लिए सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सिर्फ 50 फीसदी सवारी बैठाने के निर्देश दिए हैं. जिससे बस संचालक और संकट में आ चुके हैं, सरकार ने साफ तौर पर आदेश जारी कर दिया है, सोशल सिस्टम के जरिए बसों में सिर्फ आधी सवारियां ही बैठ सकेंगी, लेकिन बस संचालकों का कहना है कि सरकार के इस आदेश के बाद हमें कोई भी राहत नहीं मिल रही है,अधी सवारियां बैठा कर ले जाएंगे तो बसों का खर्चा भी निकलना मुश्किल हो जाएगा.

वहीं आरटीओ विभाग के अधिकारी एमपी सिंह का कहना है कि, इस लॉकडाउन की वजह से परिवहन विभाग को करोड़ों का घाटा हुआ है, जिसमें बस ऑपरेटर भी शामिल हैं. सरकार ने अब थोड़ी सी राहत देना शुरू कर दिया है, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बस संचालक 50 फीसदी सवारियां बैठा सकते हैं.

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