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सांसद सिंधिया के खिलाफ पुलिस जांच संबंधी परिवाद कोर्ट ने किया खारिज ,स्टेडियम की जमीन खरीदने में गड़बड़ियां करने के लगाए गए थे आरोप

मामले में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, जीडीसीए के अध्यक्ष प्रशांत मेहता, रवि पाटणकर सहित कई लोगों को पक्षकार बनाया गया था. परिवाद में मांग की गई थी कि इस मामले में न्यायालय पुलिस को आदेशित करे कि वह मामले की जांच करे और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करे. न्यायालय ने 156 तीन के तहत याचिकाकर्ता के पुलिस जांच के आवेदन को खारिज कर दिया है.

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Published : Feb 20, 2019, 10:01 PM IST

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ग्वालियर। कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके कुछ सहयोगियों के खिलाफ स्टेडियम की जमीन खरीदने में वित्तीय अनियमितताएं करने संबंधी परिवाद को जिला न्यायालय ने खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा है कि इस मामले में पुलिस को जांच के आदेश देने की जरूरत नहीं है. न्यायालय खुद जांच कर मामले का संज्ञान ले सकता है.

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दरअसल, शंकरपुर में स्टेडियम बनाने के लिए ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन और मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने जमीन खरीदी थी. जिसमें संजय शर्मा ने जमीन खरीदी के मामले में वित्तीय गड़बड़ियां करने का आरोप लगाया था. संजय शर्मा का कहना था कि जमीन सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार नहीं खरीदी गयी है, बल्कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के मकसद से दोगुने-तिगुने दामों पर जमीन ली गई है.


इस मामले में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, जीडीसीए के अध्यक्ष प्रशांत मेहता, रवि पाटणकर सहित कई लोगों को पक्षकार बनाया गया था. परिवाद में मांग की गई थी कि इस मामले में न्यायालय पुलिस को आदेशित करे कि वह मामले की जांच करे और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करे. न्यायालय ने 156 तीन के तहत याचिकाकर्ता के पुलिस जांच के आवेदन को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा है कि कोर्ट जमीन खरीदी के मामले की जांच कर सकता है और जांच के बाद कार्रवाई करने में भी सक्षम है, अब परिवाद पर अगली सुनवाई सात मार्च को संभावित है.

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ग्वालियर। कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके कुछ सहयोगियों के खिलाफ स्टेडियम की जमीन खरीदने में वित्तीय अनियमितताएं करने संबंधी परिवाद को जिला न्यायालय ने खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा है कि इस मामले में पुलिस को जांच के आदेश देने की जरूरत नहीं है. न्यायालय खुद जांच कर मामले का संज्ञान ले सकता है.

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दरअसल, शंकरपुर में स्टेडियम बनाने के लिए ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन और मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने जमीन खरीदी थी. जिसमें संजय शर्मा ने जमीन खरीदी के मामले में वित्तीय गड़बड़ियां करने का आरोप लगाया था. संजय शर्मा का कहना था कि जमीन सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार नहीं खरीदी गयी है, बल्कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के मकसद से दोगुने-तिगुने दामों पर जमीन ली गई है.


इस मामले में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, जीडीसीए के अध्यक्ष प्रशांत मेहता, रवि पाटणकर सहित कई लोगों को पक्षकार बनाया गया था. परिवाद में मांग की गई थी कि इस मामले में न्यायालय पुलिस को आदेशित करे कि वह मामले की जांच करे और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करे. न्यायालय ने 156 तीन के तहत याचिकाकर्ता के पुलिस जांच के आवेदन को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा है कि कोर्ट जमीन खरीदी के मामले की जांच कर सकता है और जांच के बाद कार्रवाई करने में भी सक्षम है, अब परिवाद पर अगली सुनवाई सात मार्च को संभावित है.

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Intro:ग्वालियर
कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके कुछ सहयोगियों के खिलाफ स्टेडियम की जमीन खरीदने में वित्तीय अनियमितताएं करने संबंधी परिवाद को न्यायालय ने खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा है कि इस मामले में पुलिस को जांच के आदेश देने की जरूरत नहीं है ।न्यायालय खुद जांच कर मामले का संज्ञान ले सकता है।


Body:दरअसल शंकरपुर मे स्टेडियम बनाने के लिए ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन और मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने जमीन की खरीदी की थी। संजय शर्मा नामक एक नागरिक ने जमीन खरीदी के मामले में वित्तीय गड़बड़ियां करने के आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक जमीन नहीं खरीद की गई। बल्कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के मकसद से दुगने तिगने दामों पर जमीन ली गई ।इस मामले में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जीडीसीए के अध्यक्ष प्रशांत मेहता रवि पाटणकर सहित कई लोगों को पक्षकार बनाया गया था।


Conclusion:परिवाद में मांग की गई थी कि इस मामले में न्यायालय पुलिस को आदेशित करे कि वह इसकी जांच करें और दोषियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करे। न्याय लेने 156 तीन में याचिकाकर्ता के पुलिस जांच के आवेदन को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा है कि कोर्ट जमीन खरीदी के मामले की जांच कर सकता है और जांच के बाद कार्रवाई करने में भी सक्षम है। अब परिवार पर सुनवाई 7 मार्च को संभावित है।
बाइट वीरेंद्र पाल याचिका कर्ता के अधिवक्ता जिला न्यायालय ग्वालियर
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