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कृषि बिल के विरोध में किसान संगठन हुए एकजुट, 25 सितंबर से शुरू होगा आंदोलन - 25 September Gwalior Farmer Movement

कृषि बिल को लेकर देशभर में विरोध बढ़ता ही जा रहा है. 234 किसान संगठन भी 25 सितंबर से ग्वालियर में अपना आंदोलन शुरु करने वाले हैं.

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कृषि बिल के विरोध में किसान संगठन हुए एकजुट
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Published : Sep 23, 2020, 4:33 PM IST

ग्वालियर। संसद में हाल ही में पारित किए गए कृषि बिल को लेकर देशभर में विरोध बढ़ता जा रहा है. ग्वालियर में इसकी शुरुआत 25 सितंबर से होगी. देशभर के 234 किसान संगठन अपना विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे और सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग करेंगे.

अखिलेश यादव, नेता सीपीएम

किसान संगठनों को डर है कि ये बिल मंडियों, छोटे कारोबारियों और किसानों को बर्बाद कर देगा. जबकि कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह पूंजीपतियों और जमाखोरों के हाथ में आ जाएंगी.

बृजेंद्र तिवारी, पूर्व विधायक

जिस तरह से टेलीकॉम, रेलवे, विमान सेवा का निजीकरण किया जा रहा है, उसी की दिशा में ये एक कदम साबित होगा. किसान संगठनों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है कि संसद में बिना चर्चा के तानाशाही पूर्ण रवैए से इन बिलों को पास करा लिया गया.

इस बिल के विरोध में किसान संगठनों की बैठकों का दौर जारी है. तय किया गया है कि ग्वालियर के फूलबाग चौराहे से विभिन्न किसान संगठनों के पदाधिकारी और प्रतिनिधि वहां इकट्ठा होंगे और रैली के रूप में संभागीय आयुक्त कार्यालय मोती महल पहुंचेंगे.

जहां अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति के नाम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा जाएगा और इस बिल को वापस लेने की मांग की जाएगी. किसान संगठनों का कहना है कि यदि कृषि का क्षेत्र भी निजी हाथों में चला गया तो फिर देश को आर्थिक गुलामी से कोई नहीं बचा सकेगा.

ग्वालियर। संसद में हाल ही में पारित किए गए कृषि बिल को लेकर देशभर में विरोध बढ़ता जा रहा है. ग्वालियर में इसकी शुरुआत 25 सितंबर से होगी. देशभर के 234 किसान संगठन अपना विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे और सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग करेंगे.

अखिलेश यादव, नेता सीपीएम

किसान संगठनों को डर है कि ये बिल मंडियों, छोटे कारोबारियों और किसानों को बर्बाद कर देगा. जबकि कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह पूंजीपतियों और जमाखोरों के हाथ में आ जाएंगी.

बृजेंद्र तिवारी, पूर्व विधायक

जिस तरह से टेलीकॉम, रेलवे, विमान सेवा का निजीकरण किया जा रहा है, उसी की दिशा में ये एक कदम साबित होगा. किसान संगठनों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है कि संसद में बिना चर्चा के तानाशाही पूर्ण रवैए से इन बिलों को पास करा लिया गया.

इस बिल के विरोध में किसान संगठनों की बैठकों का दौर जारी है. तय किया गया है कि ग्वालियर के फूलबाग चौराहे से विभिन्न किसान संगठनों के पदाधिकारी और प्रतिनिधि वहां इकट्ठा होंगे और रैली के रूप में संभागीय आयुक्त कार्यालय मोती महल पहुंचेंगे.

जहां अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति के नाम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा जाएगा और इस बिल को वापस लेने की मांग की जाएगी. किसान संगठनों का कहना है कि यदि कृषि का क्षेत्र भी निजी हाथों में चला गया तो फिर देश को आर्थिक गुलामी से कोई नहीं बचा सकेगा.

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