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भिंड जेल से ग्वालियर रेफर किए गए बुजुर्ग कैदी की मौत, परिजनों ने लगाया इलाज के अभाव का आरोप - बुजुर्ग भागीरथ

भिंड जेल से इलाज के लिए ग्वालियर लेकर आ रहे बुजुर्ग कैदी की रास्ते में ही मौत हो गई. वहीं परिवार ने इलाज के अभाव में बुजुर्ग की मौत होने का आरोप लगाया है.

बुजुर्ग कैदी की मौत
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Published : Aug 3, 2019, 6:36 PM IST

ग्वालियर। भिंड जेल से इलाज के लिए ग्वालियर लेकर आ रहे बुजुर्ग कैदी की रास्ते में ही मौत हो गई. वहीं परिवार का आरोप है कि भिंड से रेफर किए जाने के बाद भी बुजुर्ग भागीरथ सिंह के साथ उनके फौजी बेटे को पुलिसकर्मियों ने साथ नहीं जाने दिया. लिहाजा देखरेख के अभाव में बुजुर्ग की मौत हो गई.


दरअसल पिछले साल अक्टूबर में भिंड के मेहगांव थाना क्षेत्र में रेत के अवैध परिवहन को लेकर वनकर्मियों और पुलिस पर हमले का मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में एक दर्जन आरोपी बनाए गए थे. जिसमें 11 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके थे, लेकिन भागीरथ को कुछ समय पहले गिरफ्तार किया गया था. बुजुर्ग पर भी सरकारी काम में बाधा और बलवा जैसी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया.


खास बात यह है कि भागीरथ की उम्र करीब 85 साल थी. भागीरथ का रेत के अवैध परिवहन में क्या हाथ था, यह भी साबित नहीं हो सका है. भागीरथ के परिवार का कहना है कि पुलिस ने उनका नाम जबरन लिख लिया था. जबकि वे बहुत ही कमजोर और वृद्ध थे, उन्हें 4 महीने से जेल में बंद रखा था. जहां उनकी हालत खराब हो गई. परिजनों ने कहा कि 8 दिन पहले उन्हें भिंड जेल से ग्वालियर रेफर किया गया था. लेकिन सही इलाज न होने के बाद भी उन्हें वापस भिंड भेज दिया गया.

बुजुर्ग कैदी की मौत


वहीं शुक्रवार को फिर उनकी हालत खराब हो गई और दोबारा उन्हें ग्वालियर रेफर ग्वालियर किया गया. लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई. बता दें भागीरथ के परिवार में ज्यादातर सदस्य फौज और पुलिस में हैं. इसके बाद भी भागीरथ के खिलाफ पुलिस का रवैया बेहद कड़ा रहा. परिवार का आरोप है कि 75 साल से ऊपर के कैदियों को सरकार वैसे ही छोड़ देती है तो 85 साल के भागीरथ की जमानत क्यों बार-बार रद्द की गई. क्या वे इस उम्र कोई अपराध कर सकते थे. लिहाजा लोगों ने जांच की मांग की है.

ग्वालियर। भिंड जेल से इलाज के लिए ग्वालियर लेकर आ रहे बुजुर्ग कैदी की रास्ते में ही मौत हो गई. वहीं परिवार का आरोप है कि भिंड से रेफर किए जाने के बाद भी बुजुर्ग भागीरथ सिंह के साथ उनके फौजी बेटे को पुलिसकर्मियों ने साथ नहीं जाने दिया. लिहाजा देखरेख के अभाव में बुजुर्ग की मौत हो गई.


दरअसल पिछले साल अक्टूबर में भिंड के मेहगांव थाना क्षेत्र में रेत के अवैध परिवहन को लेकर वनकर्मियों और पुलिस पर हमले का मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में एक दर्जन आरोपी बनाए गए थे. जिसमें 11 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके थे, लेकिन भागीरथ को कुछ समय पहले गिरफ्तार किया गया था. बुजुर्ग पर भी सरकारी काम में बाधा और बलवा जैसी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया.


खास बात यह है कि भागीरथ की उम्र करीब 85 साल थी. भागीरथ का रेत के अवैध परिवहन में क्या हाथ था, यह भी साबित नहीं हो सका है. भागीरथ के परिवार का कहना है कि पुलिस ने उनका नाम जबरन लिख लिया था. जबकि वे बहुत ही कमजोर और वृद्ध थे, उन्हें 4 महीने से जेल में बंद रखा था. जहां उनकी हालत खराब हो गई. परिजनों ने कहा कि 8 दिन पहले उन्हें भिंड जेल से ग्वालियर रेफर किया गया था. लेकिन सही इलाज न होने के बाद भी उन्हें वापस भिंड भेज दिया गया.

बुजुर्ग कैदी की मौत


वहीं शुक्रवार को फिर उनकी हालत खराब हो गई और दोबारा उन्हें ग्वालियर रेफर ग्वालियर किया गया. लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई. बता दें भागीरथ के परिवार में ज्यादातर सदस्य फौज और पुलिस में हैं. इसके बाद भी भागीरथ के खिलाफ पुलिस का रवैया बेहद कड़ा रहा. परिवार का आरोप है कि 75 साल से ऊपर के कैदियों को सरकार वैसे ही छोड़ देती है तो 85 साल के भागीरथ की जमानत क्यों बार-बार रद्द की गई. क्या वे इस उम्र कोई अपराध कर सकते थे. लिहाजा लोगों ने जांच की मांग की है.

Intro:ग्वालियर
भिंड जेल से इलाज के लिए ग्वालियर लाए जा रहे एक बुजुर्ग कैदी की रास्ते में ही मौत हो गई ।परिवार के लोगों का आरोप है कि भिंड जिला अस्पताल द्वारा रेफर किए जाने के बावजूद भागीदार भागीरथ सिंह गुर्जर के साथ उनके फौजी बेटे को पुलिसकर्मियों ने साथ में नहीं जाने दिया और देखरेख के अभाव में उनकी मौत हो गई ।बुजुर्ग होने के बावजूद उन्हें मेहगांव भिंड और ग्वालियर हाई कोर्ट से जमानत का लाभ भी नहीं दिया गया।


Body:दरअसल पिछले साल अक्टूबर में भिंड जिले के मेहगांव थाना क्षेत्र में रेत के अवैध परिवहन को लेकर वनकर्मियों तथा पुलिस पर हमले का एक मामला दर्ज किया गया था इस मामले में एक दर्जन आरोपी बनाए गए थे ।11 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके थे लेकिन भागीरथ को कुछ समय पहले गिरफ्तार किया गया था उन पर भी शासकीय कार्य में बाधा बलवा जैसी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। खास बात यह है कि भागीरथ की उम्र तकरीबन 85 साल की थी उनका रेत के अवैध परिवहन में क्या हाथ था यह भी साबित नहीं हो सका है परिवार के लोगों का कहना है कि पुलिस ने उनका नाम जबरन लिख लिया था बेहद कमजोर और वृद्ध भागीरथ सिंह गुर्जर 4 महीने से जेल में बंद थे जहां उनकी हालत खराब हो गई 8 दिन पहले उन्हें भिंड जिला जेल से ग्वालियर रेफर किया गया था।


Conclusion:लेकिन पूरा इलाज नहीं होने के बावजूद उन्हें वापस भिंड भेज दिया। शुक्रवार को फिर उनकी हालत खराब हो गई और दोबारा उन्हें रेफर ग्वालियर किया गया लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई। भागीरथ के परिवार के अधिकांश सदस्य फौज तथा पुलिस में कार्यरत है इसके बावजूद भागीरथ के खिलाफ पुलिस का रवैया बेहद कड़ा रहा। परिवार का आरोप है कि 75 साल से ऊपर के कैदियों को सरकार वैसे ही छोड़ देती है तो 85 साल के भागीरथ की जमानत क्यों बार-बार रद्द की गई क्या वे इस उम्र कोई अपराध कर सकते थे इसकी जांच की मांग परिवार के लोगों ने की है।
देवेंद्र सिंह... भागीरथ के परिजन
कमलेश सिंह... प्रधान आरक्षक भिंड पुलिस
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