ग्वालियर। कोरोना संक्रमण की वजह से हुए लॉकडाउन के दाैरान सबसे अधिक चिकन यदि खाया गया ताे वह है कड़कनाथ चिकन. जिले के कृषि विज्ञान केंद्र और इससे जुड़े मुर्गी पालकों ने महज ढाई महीने में 5600 कड़कनाथ मुर्गे बेचे हैं. जबकि लॉकडाउन से पहले इतने ही समय में महज 200 से 300 मुर्गे ही बिके थे.
कड़कनाथ से मिलते हैं ये विटामिन
दरअसल कड़कनाथ में अन्य नस्ल के मुर्गा की तुलना में प्रोटीन ज्यादा होता है. इसमें वसा 0.73 से 1.05 प्रतिशत तक होता है, जबकि अन्य नस्लों में 13 से 25 प्रतिशत तक पाया जाता है. वसा कम होने से कोलेस्ट्रॉल भी कम पाया जाता है. इसके साथ ही कड़कनाथ के मांस में विभिन्न प्रकार के अमीनो एसिड अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. विटामिन बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, के साथ विटामिन सी औ विटामिन ई भी कड़कनाथ में अधिक मात्रा में होते हैं.
लॉकडाउन में बढ़ी मांग
बता दे कि लॉकडाउन से पहले कड़कनाथ की बिक्री सामान्य थी, लेकिन जब से अफवाह उड़ी के सामान्य मुर्गी संक्रमित हो सकते हैं तो कड़कनाथ की बिक्री में उछाल आ गया. वहीं दूसरे तौर पर इस कड़कनाथ मुर्गे में अन्य मुर्गों की अपेक्षा प्रोटीन और विटामिन अधिक मात्रा में होती है. इसलिए लोगों ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इसका सबसे ज्यादा सेवन किया है. कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक राज सिंह कुशवाहा का कहना है कि लॉकडाउन में अचानक कड़कनाथ की बिक्री में उछाल आया है, जिसकी वजह यह देखी जा रही है कि कड़कनाथ मुर्गे को औषधीय गुण के रूप में देखा जाता है. इसलिए सामान्य दिनों की अपेक्षा लॉकडाउन के अंतराल में सबसे ज्यादा कड़कनाथ की बिक्री हुई है.
फायदेमंद होता है कड़कनाथ
बताया जाता है कि कड़कनाथ में वसा कम होता है जबकि प्रोटीन की मात्रा अन्य प्रजाति के मुर्गों की अपेक्षा ज्यादा होती है. वसा कम होने और प्रोटीन ज्यादा होने से ही यह फायदेमंद होता है. प्रोटीन के कारण ही इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है.वहीं जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सुनील अग्रवाल का भी कहना है दूसरे मुर्गों की अपेक्षा कड़कनाथ का चिकन काफी लाभदायक होता है. इसे एक तरीके से इम्यूनिटी बूस्टर भी कह सकते हैं