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ग्वालियरः नाबालिगों के साथ यौन हिंसा के मामलों में आई गिरावट

ग्वालियर में नाबालिगों के साथ दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए जाने वाले मामलों में गिरावट आई है. साल 2019 में जनवरी से नवंबर तक 165 मामलों में पॉक्सो एक्ट के तहत न्यायालय में चालान पेश किए गए थे. वहीं इस साल सिर्फ ये संख्या करीब 100 के आस-पास ही है.

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Published : Dec 29, 2020, 5:46 PM IST

ग्वालियर। इस साल भले ही कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है. लेकिन इसके कुछ सकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं. ग्वालियर में नाबालिगों के साथ दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए जाने वाले मामलों में गिरावट आई है.

पिछले साल 2019 में जनवरी से नवंबर तक 165 मामलों में पॉक्सो एक्ट के तहत न्यायालय में चालान पेश किए गए थे. वहीं इस साल सिर्फ ये संख्या करीब 100 के आस-पास ही है. एक्सपर्ट मानते हैं कि इसके पीछे बच्चों का अपने परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताना और परिजनों का साथ मिलना है. जिसकी वजह से छेड़छाड़ और दुष्कर्म जैसे मामलों में कमी आई है.

महिला बाल विकास विभाग तो ऐसे मामलों में 60 फीसदी की कमी होने का दावा कर रहा है. वहीं बाल कल्याण समिति से जुड़े लोग मानते हैं बच्चों के घर में रहने से इन अपराधों में कमी आई है. अपराधियों को ज्यादा मौका नहीं मिला. रिश्तेदारों द्वारा किया जाने वाले बच्चों के शोषण के केस भी कम हुए. क्योंकि बच्चों के आस-पास उनके परिजन मौजूद रहे.

ग्वालियर। इस साल भले ही कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है. लेकिन इसके कुछ सकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं. ग्वालियर में नाबालिगों के साथ दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए जाने वाले मामलों में गिरावट आई है.

पिछले साल 2019 में जनवरी से नवंबर तक 165 मामलों में पॉक्सो एक्ट के तहत न्यायालय में चालान पेश किए गए थे. वहीं इस साल सिर्फ ये संख्या करीब 100 के आस-पास ही है. एक्सपर्ट मानते हैं कि इसके पीछे बच्चों का अपने परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताना और परिजनों का साथ मिलना है. जिसकी वजह से छेड़छाड़ और दुष्कर्म जैसे मामलों में कमी आई है.

महिला बाल विकास विभाग तो ऐसे मामलों में 60 फीसदी की कमी होने का दावा कर रहा है. वहीं बाल कल्याण समिति से जुड़े लोग मानते हैं बच्चों के घर में रहने से इन अपराधों में कमी आई है. अपराधियों को ज्यादा मौका नहीं मिला. रिश्तेदारों द्वारा किया जाने वाले बच्चों के शोषण के केस भी कम हुए. क्योंकि बच्चों के आस-पास उनके परिजन मौजूद रहे.

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