ग्वालियर। कोरोना संक्रमित मरीज के परिजनों को 12000 रुपए में रेमडेसिविर बेचने की कोशिश करने वाले आरोपी को कोर्ट ने अग्रिम जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में जब लोग ऑक्सीजन, दवाईयां और दूसरी परेशानियों से जूझ रहे हैं, ऐसे में जीवन रक्षक दवाईयों की कालाबाजारी करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी वीरेंद्र धाकड़ को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.
12 हजार में बेच रहे थे रेमडेसिविर इंजेक्शन
बहोडापुर थाना क्षेत्र के एक नर्सिंग होम में कोरोना संक्रमित मरीज का इलाज चल रहा था. डॉक्टरों ने परिजन की हालत गंभीर देखते हुए उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन लाने को कहा था. मरीज के परिजन इंजेक्शन के लिए बेहद परेशान थे क्योंकि यह इंजेक्शन उन्हें नहीं मिल पा रहा था. इस बीच अस्पताल के एक कर्मचारी के जरिए एक शख्स से बात करवाई थी. जिसने मरीज के परिजन को एक इंजेक्शन 12 हजार रुपए में बेचने की बात कही थी.
फरार आरोपियों ने लगाया था अग्रिम जमानत आवेदन
मरीज के परिजन ने इसकी शिकायत पुलिस से कर दी थी. शिकायत के बाद पुलिस ने एक आरोपी को जाल बिछाकर पकड़ लिया था, जबकि 2 अन्य आरोपी मौके से फरार हो गए थे. इन दोनों आरोपियों ने अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दिया था जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.