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कोरोना कर्फ्यू ने सुधार दी ग्वालियर की 'हवा', AQI में आयी गिरावट

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Published : May 15, 2021, 10:21 PM IST

ग्वालियर में कोरोना कर्फ्यू के चलते आबोहवा में सुधार होने लगा है. अब शहर में प्रदूषण दर काफी कम हो गई है. 15 अप्रैल से लगे कोरोना कर्फ्यू के बाद ग्वालियर के एयर क्वालिटी इंडेक्स में काफी सुधार हुआ है.

Pollution in gwalior
ग्वालियर में प्रदूषण

ग्वालियर। पूरे प्रदेश भर के साथ-साथ ग्वालियर में 15 अप्रैल से कोरोना कर्फ्यू जारी है. इसी बीच लोगों के लिए एक राहत की खबर यह है कि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लगाए गए कोरोना कर्फ्यू के चलते शहर की आबोहवा सुधर गई है. मतलब शहर की हवा धीरे धीरे प्रदूषण मुक्त हो रही है. पिछले 15 अप्रैल से शहर में कोरोना कर्फ्यू लगातार जारी है, जिसमें सभी लोगों को बेवजह घर से निकलने पर हिदायत दी गई है. यही वजह है कि सड़कों पर लोगों के साथ-साथ वाहनों का आवागमन भी काफी कम संख्या में हो रहा है. साथ ही जिला प्रशासन ने शहर में चार पहिया वाहनों और ऑटो को भी पूरी तरह से बंद कर दिया है, इस कारण शहर की हवा लोगों के लिए सांस लेने के लायक हो गई है.

कोरोना कर्फ्यू के बाद ग्वालियर के एयर क्वालिटी इंडेक्स में काफी सुधार हुआ है.

लगातार घट रही एयर क्वालिटी इंडेक्स
जिले में 14 अप्रैल से लगातार कोरोना कर्फ्यू जारी है. इसका असर अब शहर की हवा पर दिखने लगा है. यही वजह है कि अब लगातार शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स धीरे-धीरे घट रहा है. 14 अप्रैल को एयर क्वालिटी इंडेक्स 147 था, जो अब घटकर लगभग 90 के आसपास पहुंच गया है. इसके साथ ही PM10 और 2.5 की बात करें तो इनमें भी लगातार गिरावट दर्ज की गयी है. पीएम 2.5 में तेजी से गिरावट की गई है. इसके पीछे प्रमुख कारण गाड़ियों का कम चलना है. शहर में 90 फीसदी गाड़ियां पूरी तरह से बंद हैं. चार पहिया वाहन के अलावा शहर में चलने वाले ऑटो और टैक्सी पूरी तरह से बंद हैं. इस कारण सबसे ज्यादा पीएम 2.5 में गिरावट देखने को मिल रही है, लेकिन PM10 में इतनी गिरावट दर्ज नहीं हो पाई है.

सांस लेने लायक हुई शहर की हवा
पिछले एक महीने से कोरोना कर्फ्यू के कारण शहर में आवागमन पूरी तरह से बंद है. इसका असर सबसे ज्यादा शहर की वायु गुणवत्ता पर पड़ा है. शहर की हवा इस समय काफी शुद्ध हो चुकी है. इसका सबसे ज्यादा असर बुजुर्ग और बच्चों पर पड़ेगा. शहर का वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा खराब रहता है. यही वजह है कि हर साल शहर में अस्थमा और टीवी के मरीजों की संख्या सबसे अधिक रहती है. शहर की हवा सामान्य दिनों की अपेक्षा 80 फीसदी शुद्ध हो चुकी है.

ग्वालियर की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित
सामान्य दिनों की अगर बात करें तो ग्वालियर में वायु प्रदूषण अधिक रहता है. प्रदेश की राजधानी भोपाल और इंदौर से भी अधिक ग्वालियर का वायु प्रदूषण है. हालात ऐसे हैं कि हवा में गुणवत्ता मानक से 5 गुना ज्यादा जहर घुल चुका है. शहर में वायु प्रदूषण के मुख्य वजह खुद ही सड़कों पर धुआं छोड़ते वाहन और फैक्ट्रियां हैं. शहर की जहरीली हवा लोगों को लगातार बीमार भी करती रहती है. कोरोना संक्रमण के कारण जब 2020 में लॉकडाउन लगा तो उसके बाद शहर की हवा पूरी तरह से शुद्ध हो चुकी थी और अब साल 2021 में कोरोना कर्फ्यू कारण हवा धीरे-धीरे शुद्ध होती जा रही है.

मंत्री इमरती देवी ने मीडिया पर लगाया ग्वालियर में प्रदूषण को लेकर अफवाह फैलाने का आरोप

स्वास्थ्य के लिए हवा बेहद लाभदायक
पर्यावरण विशेषज्ञ की माने तो वर्तमान में शहर की आबोहवा व्यक्ति के स्वार्थ के लिए काफी लाभदायक है. पहले जहां लोग साफ हवा लेने के लिए पार्क या अधिक भीड़ वाले इलाकों में मॉर्निंग और इवनिंग वॉक पर निकलते थे, अब उसी प्रकार की शुद्ध हवा उन्हें घर पर मिल रही है. वर्तमान समय में पीएम 2.5 का लेवल 58.83 की रिकॉर्ड किया जा रहा है. यह लेवल यदि 60 होता है तो उसे संतोषजनक माना जाता है. मतलब इस समय लोग घर से बाहर निकल सकते हैं.

ग्वालियर। पूरे प्रदेश भर के साथ-साथ ग्वालियर में 15 अप्रैल से कोरोना कर्फ्यू जारी है. इसी बीच लोगों के लिए एक राहत की खबर यह है कि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लगाए गए कोरोना कर्फ्यू के चलते शहर की आबोहवा सुधर गई है. मतलब शहर की हवा धीरे धीरे प्रदूषण मुक्त हो रही है. पिछले 15 अप्रैल से शहर में कोरोना कर्फ्यू लगातार जारी है, जिसमें सभी लोगों को बेवजह घर से निकलने पर हिदायत दी गई है. यही वजह है कि सड़कों पर लोगों के साथ-साथ वाहनों का आवागमन भी काफी कम संख्या में हो रहा है. साथ ही जिला प्रशासन ने शहर में चार पहिया वाहनों और ऑटो को भी पूरी तरह से बंद कर दिया है, इस कारण शहर की हवा लोगों के लिए सांस लेने के लायक हो गई है.

कोरोना कर्फ्यू के बाद ग्वालियर के एयर क्वालिटी इंडेक्स में काफी सुधार हुआ है.

लगातार घट रही एयर क्वालिटी इंडेक्स
जिले में 14 अप्रैल से लगातार कोरोना कर्फ्यू जारी है. इसका असर अब शहर की हवा पर दिखने लगा है. यही वजह है कि अब लगातार शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स धीरे-धीरे घट रहा है. 14 अप्रैल को एयर क्वालिटी इंडेक्स 147 था, जो अब घटकर लगभग 90 के आसपास पहुंच गया है. इसके साथ ही PM10 और 2.5 की बात करें तो इनमें भी लगातार गिरावट दर्ज की गयी है. पीएम 2.5 में तेजी से गिरावट की गई है. इसके पीछे प्रमुख कारण गाड़ियों का कम चलना है. शहर में 90 फीसदी गाड़ियां पूरी तरह से बंद हैं. चार पहिया वाहन के अलावा शहर में चलने वाले ऑटो और टैक्सी पूरी तरह से बंद हैं. इस कारण सबसे ज्यादा पीएम 2.5 में गिरावट देखने को मिल रही है, लेकिन PM10 में इतनी गिरावट दर्ज नहीं हो पाई है.

सांस लेने लायक हुई शहर की हवा
पिछले एक महीने से कोरोना कर्फ्यू के कारण शहर में आवागमन पूरी तरह से बंद है. इसका असर सबसे ज्यादा शहर की वायु गुणवत्ता पर पड़ा है. शहर की हवा इस समय काफी शुद्ध हो चुकी है. इसका सबसे ज्यादा असर बुजुर्ग और बच्चों पर पड़ेगा. शहर का वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा खराब रहता है. यही वजह है कि हर साल शहर में अस्थमा और टीवी के मरीजों की संख्या सबसे अधिक रहती है. शहर की हवा सामान्य दिनों की अपेक्षा 80 फीसदी शुद्ध हो चुकी है.

ग्वालियर की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित
सामान्य दिनों की अगर बात करें तो ग्वालियर में वायु प्रदूषण अधिक रहता है. प्रदेश की राजधानी भोपाल और इंदौर से भी अधिक ग्वालियर का वायु प्रदूषण है. हालात ऐसे हैं कि हवा में गुणवत्ता मानक से 5 गुना ज्यादा जहर घुल चुका है. शहर में वायु प्रदूषण के मुख्य वजह खुद ही सड़कों पर धुआं छोड़ते वाहन और फैक्ट्रियां हैं. शहर की जहरीली हवा लोगों को लगातार बीमार भी करती रहती है. कोरोना संक्रमण के कारण जब 2020 में लॉकडाउन लगा तो उसके बाद शहर की हवा पूरी तरह से शुद्ध हो चुकी थी और अब साल 2021 में कोरोना कर्फ्यू कारण हवा धीरे-धीरे शुद्ध होती जा रही है.

मंत्री इमरती देवी ने मीडिया पर लगाया ग्वालियर में प्रदूषण को लेकर अफवाह फैलाने का आरोप

स्वास्थ्य के लिए हवा बेहद लाभदायक
पर्यावरण विशेषज्ञ की माने तो वर्तमान में शहर की आबोहवा व्यक्ति के स्वार्थ के लिए काफी लाभदायक है. पहले जहां लोग साफ हवा लेने के लिए पार्क या अधिक भीड़ वाले इलाकों में मॉर्निंग और इवनिंग वॉक पर निकलते थे, अब उसी प्रकार की शुद्ध हवा उन्हें घर पर मिल रही है. वर्तमान समय में पीएम 2.5 का लेवल 58.83 की रिकॉर्ड किया जा रहा है. यह लेवल यदि 60 होता है तो उसे संतोषजनक माना जाता है. मतलब इस समय लोग घर से बाहर निकल सकते हैं.

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