ग्वालियर। कोरोना कहर के बीच मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव की तारीखों का भले ही ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. पूर्व सीएम कमलनाथ से लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेता अपने दावों से सूबे का सियासी तापमान लगातार बढ़ा रहे हैं. तो वहीं कोरोना संक्रमण के बीच चल रही उपचुनाव की तैयारी में अब मास्क ने भी एंट्री मार दिया है. कांग्रेस नेताओं ने मास्क वितरण अभियान शुरू किया है.
उपचुनाव में मास्क की एंट्री
दरअसल ग्वालियर- चंबल संभाग में उपचुनाव प्रचार का आगाज करते हुए पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने "बिकाऊ नहीं टिकाऊ चाहिए, फिर से कमलनाथ सरकार चाहिए" लिखे मास्क बनवाकर उसका वितरण करवा रहे हैं. ये मास्क कार्यकर्ता अपने-अपने इलाकों में कोरोना संक्रमण काल में आम लोगों को बांटेंगे. इससे पार्टी का प्रचार- प्रसार भी इस मास्क के जरिए कहीं न कहीं हो जाएगा.
मास्क से बनी जीत की उम्मीद
कोरोना महामारी के इस दौर में जिस तरीके से कोरोना संक्रमण में मास्क लोगों को संक्रमण से बचा रहा है, वैसे ही अब ये मास्क पार्टियों के लिए भी उम्मीद बन रहा है. यही वजह है कि, मध्यप्रदेश की राजनीति में बयानों के बाद अब मास्क की एंट्री हो चुकी है. ग्वालियर- चंबल संभाग में चुनाव प्रचार का आगाज करते हुए पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने "बिकाऊ नहीं टिकाऊ चाहिए फिर से कमलनाथ सरकार चाहिए" लिखे मास्क जारी कर दिए हैं.
बीजेपी भी कर रही मास्क से प्रचार
हालांकि इससे पहले बीजेपी मास्क के जरिए अपना प्रचार- प्रसार कर रही है. कार्यकर्ताओं के साथ- साथ हर विधानसभा में मास्क वितरित किए जा रहे हैं. मतलब अब कहा जा सकता है, कोरोना संक्रमणकाल मे मास्क लोगों की सुरक्षा तो करेगा ही, लेकिन इस चुनाव में भी इन दलों के लिए प्रचार- प्रसार में मुख्य भूमिका भी निभाएगा. यही वजह है कि, बीजेपी के बाद अब कांग्रेस में भी मास्क की एंट्री हो चुकी है.
घर- घर मास्क बांटने का लक्ष्य
उपचुनाव प्रभारी एवं कांग्रेस प्रवक्ता एसके मिश्रा का कहना है कि, इस समय कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. यही वजह है कि, पार्टी प्रचार- प्रसार करने में लोगों से ज्यादा संपर्क नहीं कर सकती है. इसलिए कांग्रेस अपनी बात को जनता तक पहुंचाने के लिए मास्क का सहारा ले रही हैं. कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं के साथ-साथ जनता तक मास्क पहुंचाने के लिए कमर कस ली है.
किसका मास्क किस पर होगा भारी ?
खैर अब तक उपचुनाव की तारीखों का एलान नहीं है, लेकिन दोनों प्रमुख पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं, जहां कांग्रेस जनता का विश्वास जीतने की बात कर रही है, तो वहीं बीजेपी अपने विकास कार्यों को लेकर उपचुनाव के मैदान पर उतरी है, लिहाजा कौन किस पर भारी होगा, इसका फैसला तो रिजल्ट के दिन EVM करेगी.