ग्वालियर। ग्वालियर चम्बल अंचल मध्यप्रेदश की राजनीतिक दशा और दिशा दोनों ही तय करता है, लेकिन इस अंचल के दो बड़े दिग्गज नेताओं की पतवार ही डगमगाने लगी हैं. जिस वजह से उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी है.राजघराने से तालुल्क रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया जो एक समय में पार्टी में अपना दमखम रखते थे और दूसरे नेताओं को टिकट दिलवाते थे वो आज अपनों को टिकट दिलवाने के लिए जहद्दोजहद कर रहे हैं, यही वजह है कि वो खुद न बोलकर जिला कांग्रेस कमेटी और अपने खास मंत्रियों से प्रियदर्शनीराजे का समर्थन करवा रहे हैं लेकिन ये राह इतनी आसान नहीं है इसके साथ ही उन्हें इसका विरोध भी झेलना पड़ रहा है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया की चिंता का एक कारण पारंपरिक सीट गुना से उनका जनाधार भी है.यही वजह है कि इस बार पार्टी उन्हें इंदौर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बना सकती हैदूसरी ओर बीजेपी के कद्दावर नेता और ग्वालियर चंबल अंचल की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी संकट से जूझ रहे हैं. इसका एक कारण ये भी है कि विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के डर से तोमर ग्वालियर सीट छोड़कर मुरैना से चुनाव लड़ रहे है. इतना ही नहीं तोमर को टिकट न मिलने से नाराज नेताओं के भीतरघात का भी डर सताने लगा है.
बहरहाल, ग्वालियर चम्बल अंचल मध्यप्रेदश की राजनीति में ये दोनों ही संकट के दौर से गुजर रहे हैं हालांकि दोनों की चिंता अलग है लेकिन अब देखना होगा की पार्टी में अपना दमखम रखने वाले नेता अपना वर्चस्व बचाने में कामयाब होते है या नहीं ...ग्वालिय से अनिल गौर ईटीवी भारत