ग्वालियर। जिले के घाटीगांव इलाके में हुई एक वारदात के सिलसिले में आरोपी को तलाशने के लिए एसडीओपी संतोष पटेल नया गांव स्थित क्रेशर कॉलोनी गए. वहां उन्होंने चिलचिलाती धूप में पेड़ के नीचे बैठे पानी मांग रहे युवक को देखा तो उनसे रहा नहीं गया. उसके शरीर पर सिर्फ हाफ पेंट थी. युवक के पास जाकर उन्होंने बात करने की कोशिश की लेकिन न तो वह उनकी बात सुन रहा था और न ही देख पा रहा था. पड़ताल करने पर पता चला कि 4 महीने पहले तक यह युवक इंदर सिंह आदिवासी अच्छा भला था और मजदूरी के लिए सागर गया हुआ था. वहां उसके साथ क्या अनहोनी हुई, जिससे उसकी देखने और सुनने की क्षमता खत्म हो गई.
एसडीओपी संतोष पटेल की मानवीयता : युवक और उसके माता-पिता की लाचारी देखकर मानवीय पहलू पर पैनी नजर रखने वाले डीएसपी संतोष पटेल ने इंदर सिंह की कहानी को अपने सोशल मीडिया अकाउंट शेयर किया. उन्होंने मुख्यमंत्री को भी टैग किया था. इसके बाद मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह का ध्यान इस ओर गया. उन्होंने इंदर सिंह के साथ हुई घटना को गंभीर माना और जयारोग्य अस्पताल प्रशासन को निर्देशित किया कि हर हाल में इस गरीब, मजदूर और आदिवासी युवक का यथासंभव इलाज किया जाए.
सीएम की पत्नी साधना सिंह ने की बात : सीएम शिवराज की पत्नी ने घाटीगांव एसडीओपी संतोष पटेल से मरीज के बारे में पूरी जानकारी हासिल की. एसडीओपी ने साधना सिंह को बताया कि वह खुद नया गांव की क्रेशर कॉलोनी में रहने वाले इंदर सिंह आदिवासी को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. जैसे ही एसडीओपी मंगलवार सुबह आदिवासी युवक को अपने साथ लेकर हजार बिस्तरों वाले अस्पताल में पहुंचे तो वहां के संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक डॉ.आरकेएस धाकड़ चिकित्सकों की टीम के साथ उन्हें अटेंड किया. अधीक्षक एवं नेत्र विशेषज्ञों ने तुरंत पीड़ित युवक को अपने सुपरविजन में लिया और उसे आई वार्ड में भर्ती कराया.
मरीज के परिजनों के लिए इंतजाम किए : जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक डॉ.आरकेएस धाकड़ ने मरीज के साथ ही उसके परिजनों के रहने और खाने-पीने का इंतजाम करने के भी निर्देश दिए हैं. बता दें कि जो ठेकेदार उसे मेहनत मजदूरी के लिए यहां से लेकर गया था, वह होली के पर्व के दौरान उसे नया गांव स्थित क्रेशर कॉलोनी में माता-पिता के पास छोड़ गया था. जब युवक के माता-पिता ने अपने युवा पुत्र की ऐसी हालत देखी तो वे परेशान हो गए, लेकिन गरीबी और अशिक्षित होने के कारण से युवक को कहीं भी नहीं दिखाने के लिए ले जा पा रहे थे.