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बेजुबानों की 'मसीहा' बनीं छाया, 10 सालों से रोज खिला रहीं स्ट्रीट डॉग्स को खाना

ग्वालियर की छाया तोमर स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाने का काम कर रहीं हैं. वो इस जिम्मेदारी को करीब 10 सालों से निभा रही हैं.

chhaya tomar feeds street dogs for 10 years in mandla
बेजुबानों की 'मसीहा' बनीं छाया
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Published : May 14, 2020, 4:47 PM IST

ग्वालियर। इस समय पूरे देश भर में कोरोना महामारी और लोगों की वजह से गरीब और मजदूर लोगों का हाल बेहाल है. उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. हालांकि प्रशासन और सामाजिक संगठन इनको राशन देने में मदद कर रहे हैं. लेकिन सड़क पर घूमने वाले बेजुबानों का भी हाल भी बेहाल है. दिन-रात भटकने पर भी रोटी के एक टुकड़े को मोहताज हो जाते हैं. लेकिन शहर में एक महिला ऐसी भी हैं, जो स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाती हैं. इनका नाम है छाया तोमर.

बेजुबानों की 'मसीहा' बनीं छाया

छाया स्ट्रीट डॉग्स के लिए मसीहा से कम नहीं हैं. कोरोना काल में उन्हें इन बेजुबानों की फिक्र है. लिहाजा खुद की स्कूटी पर दूध, बिस्किट और तमाम खाने की चीजें रखकर सड़कों पर निकल जाती हैं और जहां कहीं भी ये स्ट्रीट डॉग दिखते उनकी भूख मिटातीं हैं. हालांकि वे इस काम को पिछले 10 सालों से करतीं आ रहीं हैं.

इन बेजुबानों से हुई दोस्ती

छाया तोमर रोज दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक और शाम 7 बजे से रात 12 बजे तक अपनी स्कूटी से कुत्तों के खाने-पीने का सामान रखकर निकलती हैं और जहां उनको आवारा कुत्तों का झुंड दिखता है वहां पर उनको खाना खिलाती हैं. आलम ये है कि अब ये स्ट्रीट डॉग छाया की स्कूटी आवाज सुनकर उनके पास दौड़े चले आते हैं और मजे से खाना खाते हैं.

'आसान नहीं ये काम'

छाया तोमर बतातीं हैं कि एक महिला के लिए ये सब करना आसान नहीं है. कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विरोध के बावजूद भी वे इस काम को अब छोड़ नहीं सकतीं. क्योंकि अब उनका मकसद ही इन बेजुबान जानवरों की मदद करना है. छाया तोमर इस काम को 10 साल से कर रही हैं. एक अंदाजा के हिसाब से करीब 300 स्ट्रीट डॉग्स का पेट भरतीं हैं.

'पति करते हैं पूरा सहयोग'

छाया तोमर का कहना है कि वे अपने घर के काम निपटाने के बाद इनकी मदद करने के लिए निकलतीं हैं. इस काम में उनके पति का काफी सहयोग रहता है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि इन बेजुबानों की मदद के लिए आगे आएं, ताकि ये भी भूख ना रहें.

ग्वालियर। इस समय पूरे देश भर में कोरोना महामारी और लोगों की वजह से गरीब और मजदूर लोगों का हाल बेहाल है. उन्हें दो वक्त की रोटी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. हालांकि प्रशासन और सामाजिक संगठन इनको राशन देने में मदद कर रहे हैं. लेकिन सड़क पर घूमने वाले बेजुबानों का भी हाल भी बेहाल है. दिन-रात भटकने पर भी रोटी के एक टुकड़े को मोहताज हो जाते हैं. लेकिन शहर में एक महिला ऐसी भी हैं, जो स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाती हैं. इनका नाम है छाया तोमर.

बेजुबानों की 'मसीहा' बनीं छाया

छाया स्ट्रीट डॉग्स के लिए मसीहा से कम नहीं हैं. कोरोना काल में उन्हें इन बेजुबानों की फिक्र है. लिहाजा खुद की स्कूटी पर दूध, बिस्किट और तमाम खाने की चीजें रखकर सड़कों पर निकल जाती हैं और जहां कहीं भी ये स्ट्रीट डॉग दिखते उनकी भूख मिटातीं हैं. हालांकि वे इस काम को पिछले 10 सालों से करतीं आ रहीं हैं.

इन बेजुबानों से हुई दोस्ती

छाया तोमर रोज दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक और शाम 7 बजे से रात 12 बजे तक अपनी स्कूटी से कुत्तों के खाने-पीने का सामान रखकर निकलती हैं और जहां उनको आवारा कुत्तों का झुंड दिखता है वहां पर उनको खाना खिलाती हैं. आलम ये है कि अब ये स्ट्रीट डॉग छाया की स्कूटी आवाज सुनकर उनके पास दौड़े चले आते हैं और मजे से खाना खाते हैं.

'आसान नहीं ये काम'

छाया तोमर बतातीं हैं कि एक महिला के लिए ये सब करना आसान नहीं है. कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विरोध के बावजूद भी वे इस काम को अब छोड़ नहीं सकतीं. क्योंकि अब उनका मकसद ही इन बेजुबान जानवरों की मदद करना है. छाया तोमर इस काम को 10 साल से कर रही हैं. एक अंदाजा के हिसाब से करीब 300 स्ट्रीट डॉग्स का पेट भरतीं हैं.

'पति करते हैं पूरा सहयोग'

छाया तोमर का कहना है कि वे अपने घर के काम निपटाने के बाद इनकी मदद करने के लिए निकलतीं हैं. इस काम में उनके पति का काफी सहयोग रहता है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि इन बेजुबानों की मदद के लिए आगे आएं, ताकि ये भी भूख ना रहें.

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