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रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का हुआ दहन, तीन सौ से ज्यादा सुरक्षाकर्मी रहे तैनात

छत्री बाजार में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में रावण और उसके भाई कुंभकरण के साथ पुत्र मेघनाथ के पुतलों का दहन किया गया.

छत्री बाजार की रामलीला
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Published : Oct 9, 2019, 3:08 PM IST

Updated : Oct 9, 2019, 3:32 PM IST

ग्वालियर। शहर की सबसे पुरानी रामलीला, छत्री बाजार में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में रावण का दहन किया गया, साथ ही उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ के पुतलों का भी दहन किया गया. इस मौके पर मैदान में करीब बीस हजार से ज्यादा लोग मौजूद रहे.

छत्री बाजार की रामलीला

छत्री बाजार की रामलीला करीब 72 साल पुरानी है. इसे सिंधिया शासकों ने शुरू कराया था. यहां शहर के सबसे बड़े साठ फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया. साथ ही कुंभकरण पुतला 55 फिट व मेघनाद का 50 फीट का था. बता दें कि इन पुतलों को बनाने में 15 मजदूर पिछले एक पखवाड़े से जुटे हुए थे. इन पुतलों में 3 क्विंटल रद्दी दो सौ से ज्यादा पटाखे, दो सौ बांस, 2 क्विंटल मैदा और 1 क्विंटल धान का इस्तेमाल किया गया था.

रात करीब बारह बजे राम रावण युद्ध के बाद इन पुतलों को दहन किया गया. इस मौके पर छत्री बाजार में बीस हजार से ज्यादा लोग मौजूद थे. महाराज बाड़े से लेकर छत्री बाजार तक तीन सौ से ज्यादा सुरक्षाकर्मी व्यवस्था संभालने के लिए तैनात थे. इसके अलावा फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां भी मौके पर मौजूद थी.

ग्वालियर। शहर की सबसे पुरानी रामलीला, छत्री बाजार में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में रावण का दहन किया गया, साथ ही उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ के पुतलों का भी दहन किया गया. इस मौके पर मैदान में करीब बीस हजार से ज्यादा लोग मौजूद रहे.

छत्री बाजार की रामलीला

छत्री बाजार की रामलीला करीब 72 साल पुरानी है. इसे सिंधिया शासकों ने शुरू कराया था. यहां शहर के सबसे बड़े साठ फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया. साथ ही कुंभकरण पुतला 55 फिट व मेघनाद का 50 फीट का था. बता दें कि इन पुतलों को बनाने में 15 मजदूर पिछले एक पखवाड़े से जुटे हुए थे. इन पुतलों में 3 क्विंटल रद्दी दो सौ से ज्यादा पटाखे, दो सौ बांस, 2 क्विंटल मैदा और 1 क्विंटल धान का इस्तेमाल किया गया था.

रात करीब बारह बजे राम रावण युद्ध के बाद इन पुतलों को दहन किया गया. इस मौके पर छत्री बाजार में बीस हजार से ज्यादा लोग मौजूद थे. महाराज बाड़े से लेकर छत्री बाजार तक तीन सौ से ज्यादा सुरक्षाकर्मी व्यवस्था संभालने के लिए तैनात थे. इसके अलावा फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां भी मौके पर मौजूद थी.

Intro:ग्वालियर
शहर की सबसे पुरानी रामलीला छत्री बाजार में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक रावण का दहन किया गया। रावण के साथ ही उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ का पुतलों का भी दहन किया गया। खचाखच भरे छत्री मैदान में करीब 20,000 से ज्यादा लोग मौजूद थे।Body:ग्वालियर की छत्री बाजार की रामलीला करीब 72 साल पुरानी है ।इसे सिंधिया शासकों ने शुरू कराया था यहां शहर के सबसे बड़े साठ फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया । भाई कुंभकरण उसका पुतला 55 फीट का बनाया गया था जबकि पुत्र मेघनाद का पुतला 50 फीट का था। इन पुतलों को बनाने में 15 मजदूर पिछले एक पखवाड़े से जुड़े हुए थे। इसमें 3 क्विंटल रद्दी 200 से ज्यादा पटाखे 200 बांस 2 क्विंटल मैदा और 1 क्विंटल धान का इस्तेमाल किया गया था।Conclusion:रात करीब 11:30 बजे राम रावण युद्ध के बाद इन पुतलों को दहन किया गया। इस मौके पर छत्री बाजार में 20,000 से ज्यादा लोग मौजूद थे। महाराज बाड़े से लेकर छत्री बाजार तक 300 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी व्यवस्था संभालने के लिए लगाए गए थे। इसके अलावा फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां भी मौके पर मौजूद थी। पुतलो के दहन को देखने के लिए शहर भर के दूरदराज से लोग अपने परिवार के साथ पहुंचे थे।
बाइट सत्येंद्र तोमर एएसपी ग्वालियर
Last Updated : Oct 9, 2019, 3:32 PM IST
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