ग्वालियर। विधानसभा उपचुनाव को लेकर भले ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच टक्कर मानी जा रही हो, लेकिन ग्वालियर चंबल संभाग की 4 सीटें ऐसी हैं, जहां बीएसपी के प्रत्याशियों की स्थिति मजबूत मानी जा सकती है. इसके पीछे 2 साल पहले हुए जातीय दंगे को मुख्य वजह माना जा रहा है, जिससे बसपा के वोटों का ध्रुवीकरण हो गया है.
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ये है पूरा मामला
दरअसल, 2 साल पहले यानी 2 अप्रैल 2018 को आरक्षण को लेकर जातीय दंगे हुए थे, जिसमें दलित समुदाय के आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की हत्या हुई थी. यह घटना अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के दिमाग पर छाई हुई है. लोगों का मानना है कि, चुनाव के समय ही वह अपने दबे हुए आक्रोश को जाहिर कर सकते हैं.
ग्वालियर की डबरा सहित मुरैना, जौरा और अंबाह की सुरक्षित सीट पर भी बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार जोर आजमाइश में लगे हैं, जो अपनी जी-तोड़ ताकत झोंक रहे है. जहां दोनों विपक्षी प्रमुख दलों के प्रत्याशी उन्हें टक्कर के रूप में प्रमुख रूप से देख रहे हैं.
बहुजन समाज पार्टी का दावा है कि, इस विधानसभा उपचुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग की कई सीटों पर सीधी टक्कर में है, तो कई सीटों पर दोनों ही दलों को कड़ी चुनौती देंगे. इससे साफ तौर पर राजनीतिक जानकारों के समीकरण बिगड़ने के भी कयास लगाए जा रहे हैं.