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कोरोना संकट: व्यापार हुआ चौपट, किराए देने के लिए भी दुकानदारों के पास नहीं हैं पैसे - Secretary of Chamber of Commerce and Industries

लॉकडाउन के बाद अनलॉक होने के बावजूद छोटे दुकानदारों, व्यापारियों और हाथ ठेले वालों को राहत नहीं मिली है, क्योंकि कोरोना वायरस के डर के चलते लोग उनकी दुकानों पर नहीं आ रहे है. जिससे उनकी माली हालात खराब हो गई है.

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दुकानों पर नहीं पहुंच रहे ग्राहक
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Published : Jul 17, 2020, 10:16 AM IST

Updated : Jul 17, 2020, 1:32 PM IST

ग्वालियर। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया. जिससे लोगों को कई तरह परेशानियों का सामना करना पड़ा. वहीं अब अनलॉक होने के बावजूद छोटे दुकानदारों, व्यापारियों और हाथ ठेले वालों को राहत नहीं मिली है, जिसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब होती जा रही है. रियायत मिलने के बाद भी लोग कोरोना संक्रमण के डर से घरों से बाहर बहुत कम निकल रहे हैं. ऐसे में उनके पास ना तो घर चालाने के लिए पैसे हैं और ना ही दुकान का किराया भरने के लिए. अगर यही स्थिति रही तो लोग रोटी के लिए भी मोहताज हो जाएंगे.

छोटे दुकानदार हो रहे परेशान

ग्वालियर जिले में लगातार कोरोना संक्रमण फैल रहा है, इसी के चलते जिला प्रशासन ने समय-समय पर लॉकडाउन का आदेश जारी कर दिया है, लेकिन शहर में जो छोटे दुकानदार और हाथ ठेले वाले हैं, उनका काम- धंधा पूरी तरह से चौपट हो चुका है. सरकार से रियायते मिलने के बाद जब भी ये लोग अपना ठेला या दुकान लगाते हैं, तो कोरोना के डर से कोई ग्राहक नहीं आता.

कोरोना के डर से दुकानें हुई खाली

ठंडे पेय पदार्थों की इस बार नहीं हुई बिक्री

गर्मी के सीजन में आइसक्रीम, फालूदा और जो ठंडे पेय पदार्थ हैं, इनका कारोबार पूरे शहर में करोड़ों रुपए का होता था, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार पूरा धंधा चौपट हो गया. यही वहज है कि, अब छोटे दुकानदार परेशान हैं, जिनके दुकानों का किराया भी नहीं निकल पा रहा है. उनका कहना है कि, अगर यही स्थिति साल भर रही तो दुकानें खाली करनी पड़ेंगी.

व्यापारियों का धंधा हुआ मंदा

थोक विक्रेता, व्यापारी और ज्वेलर्स की बात की जाए, तो सभी दुकानें खाली पड़ी हैं. भले ही जिला प्रशासन ने लोगों को छूट दे दी हो, लेकिन लोग कोरोना संक्रमण के डर से दुकानों में नहीं आ रहे हैं. इन दुकानदारों का कहना है कि, किराया 40 से 50 हजार हर महीने देना होता है, जिसमें बिजली का बिल अलग है. इन चार महीनों में व्यापार पूरी तरह से चौपट हो चुका है. दुकान का किराया चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं.

दुकानों पर नहीं आ रहे ग्राहक

कई दुकानदारों की स्थिति ऐसी है कि, वे दुकान खाली करके अपने घर में बैठे हैं. सोने-चांदी के व्यापारियों को हर साल शादी के सीजन में अच्छे कारोबार की उम्मीद रहती है, लेकिन इस साल शादी का सीजन पूरी तरह लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया. सोने-चांदी के दामों में बढ़ोतरी हो जाने से ग्राहकों की कमी है.

मॉल के दुकानदार नहीं दे पा रहे किराया

ऐसे ही हालात ग्वालियर में बने, शहर में दो मॉल के भी हैं, कई दुकानें खाली हो चुकी हैं. जिला प्रशासन ने मॉल को खोलने की अनुमति दे दी थी, लेकिन इस अनुमति के बाद भी लोग संक्रमण के डर से नहीं पहुंच रहे हैं. इन मॉल में दुकानों का किराया 50 से 60 हजार तक होता है, लेकिन बिक्री नहीं होने के चलते ये दुकानदार किराया भी नहीं दे पा रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि, प्रशासन हर बार शहर में लॉकडाउन का आदेश जारी कर देता है.

'कोरोना को खत्म करने का लॉक डाउन कोई उपाय नहीं'

चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सचिव डॉक्टर प्रवीण अग्रवाल का कहना है कि, कोरोना को जड़ से खत्म करने के लिए लॉकडाउन कोई उपाय नहीं है. इस लॉकडाउन की वजह से अब मजदूर, व्यापारी, दूसरे के यहां मजदूरी करने वाले लोगों की हालत बहुत दयनीय हो चुकी है.

सरकार भले ही लोगों तक मदद पहुंचाने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. उनका व्यापार पूरी तरह से चौपट हो चुका है. अगर यही स्थिति आगे भी बनी रही, तो गरीब मजदूर और व्यापारी भूखों मर जाएंगे.

ग्वालियर। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया. जिससे लोगों को कई तरह परेशानियों का सामना करना पड़ा. वहीं अब अनलॉक होने के बावजूद छोटे दुकानदारों, व्यापारियों और हाथ ठेले वालों को राहत नहीं मिली है, जिसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब होती जा रही है. रियायत मिलने के बाद भी लोग कोरोना संक्रमण के डर से घरों से बाहर बहुत कम निकल रहे हैं. ऐसे में उनके पास ना तो घर चालाने के लिए पैसे हैं और ना ही दुकान का किराया भरने के लिए. अगर यही स्थिति रही तो लोग रोटी के लिए भी मोहताज हो जाएंगे.

छोटे दुकानदार हो रहे परेशान

ग्वालियर जिले में लगातार कोरोना संक्रमण फैल रहा है, इसी के चलते जिला प्रशासन ने समय-समय पर लॉकडाउन का आदेश जारी कर दिया है, लेकिन शहर में जो छोटे दुकानदार और हाथ ठेले वाले हैं, उनका काम- धंधा पूरी तरह से चौपट हो चुका है. सरकार से रियायते मिलने के बाद जब भी ये लोग अपना ठेला या दुकान लगाते हैं, तो कोरोना के डर से कोई ग्राहक नहीं आता.

कोरोना के डर से दुकानें हुई खाली

ठंडे पेय पदार्थों की इस बार नहीं हुई बिक्री

गर्मी के सीजन में आइसक्रीम, फालूदा और जो ठंडे पेय पदार्थ हैं, इनका कारोबार पूरे शहर में करोड़ों रुपए का होता था, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार पूरा धंधा चौपट हो गया. यही वहज है कि, अब छोटे दुकानदार परेशान हैं, जिनके दुकानों का किराया भी नहीं निकल पा रहा है. उनका कहना है कि, अगर यही स्थिति साल भर रही तो दुकानें खाली करनी पड़ेंगी.

व्यापारियों का धंधा हुआ मंदा

थोक विक्रेता, व्यापारी और ज्वेलर्स की बात की जाए, तो सभी दुकानें खाली पड़ी हैं. भले ही जिला प्रशासन ने लोगों को छूट दे दी हो, लेकिन लोग कोरोना संक्रमण के डर से दुकानों में नहीं आ रहे हैं. इन दुकानदारों का कहना है कि, किराया 40 से 50 हजार हर महीने देना होता है, जिसमें बिजली का बिल अलग है. इन चार महीनों में व्यापार पूरी तरह से चौपट हो चुका है. दुकान का किराया चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं.

दुकानों पर नहीं आ रहे ग्राहक

कई दुकानदारों की स्थिति ऐसी है कि, वे दुकान खाली करके अपने घर में बैठे हैं. सोने-चांदी के व्यापारियों को हर साल शादी के सीजन में अच्छे कारोबार की उम्मीद रहती है, लेकिन इस साल शादी का सीजन पूरी तरह लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया. सोने-चांदी के दामों में बढ़ोतरी हो जाने से ग्राहकों की कमी है.

मॉल के दुकानदार नहीं दे पा रहे किराया

ऐसे ही हालात ग्वालियर में बने, शहर में दो मॉल के भी हैं, कई दुकानें खाली हो चुकी हैं. जिला प्रशासन ने मॉल को खोलने की अनुमति दे दी थी, लेकिन इस अनुमति के बाद भी लोग संक्रमण के डर से नहीं पहुंच रहे हैं. इन मॉल में दुकानों का किराया 50 से 60 हजार तक होता है, लेकिन बिक्री नहीं होने के चलते ये दुकानदार किराया भी नहीं दे पा रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि, प्रशासन हर बार शहर में लॉकडाउन का आदेश जारी कर देता है.

'कोरोना को खत्म करने का लॉक डाउन कोई उपाय नहीं'

चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सचिव डॉक्टर प्रवीण अग्रवाल का कहना है कि, कोरोना को जड़ से खत्म करने के लिए लॉकडाउन कोई उपाय नहीं है. इस लॉकडाउन की वजह से अब मजदूर, व्यापारी, दूसरे के यहां मजदूरी करने वाले लोगों की हालत बहुत दयनीय हो चुकी है.

सरकार भले ही लोगों तक मदद पहुंचाने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. उनका व्यापार पूरी तरह से चौपट हो चुका है. अगर यही स्थिति आगे भी बनी रही, तो गरीब मजदूर और व्यापारी भूखों मर जाएंगे.

Last Updated : Jul 17, 2020, 1:32 PM IST
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