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पहले स्वतंत्रता संग्राम के शहीद संतों के शस्त्रों का किया गया पूजन, दी गई तोप की सलामी - शहीद संतो के शस्त्रों

1857 के पहले आंदोलन में अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद होने वाले संतों के शस्त्रों की पूजा की गई. इसके बाद तोप की सलामी भी दी गई.

शहीद संतों के शस्त्रों का किया गया पूजन
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Published : Oct 9, 2019, 1:45 AM IST

ग्वालियर। शहर की ऐतिहासिक गंगा दास की बड़ी शाला में मंगलवार को विधि विधान से उन संतों के शस्त्रों का पूजन किया गया, जो 1857 के पहले आंदोलन में अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे. इस मौके पर तोप से सलामी भी दी गई. यह वह संत थे जो वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई की अंग्रेजों से भिड़ंत के बाद उन्हें बचाते हुए शहीद हुए थे.

शहीद संतों के शस्त्रों का किया गया पूजन

इस दौरान जो शस्त्र साधुओं ने इस्तेमाल किए थे, उनका हर दशहरे के पर्व पर पूजन किया जाता है. इस मौके पर संत समाज के कई प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं. पहले स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लड़ते हुए ग्वालियर तक आ गई थीं. अंग्रेज उनका पीछा करते हुए यहां आए थे.

फूल बाग के नजदीक अंग्रेजों की सेना और लक्ष्मीबाई की सेना के बीच भीषण भिड़ंत हुई थी. इस दौरान 700 साधुओं ने भी अपने प्राणों की आहुति दी थी. हर साल की तरह उन्हें मंगलवार को भी याद किया गया और उनके शस्त्रों को पूजा गया. बाद में संतों ने वहां रखी पुरानी तोप से साधु याद में सलामी दी.

ग्वालियर। शहर की ऐतिहासिक गंगा दास की बड़ी शाला में मंगलवार को विधि विधान से उन संतों के शस्त्रों का पूजन किया गया, जो 1857 के पहले आंदोलन में अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे. इस मौके पर तोप से सलामी भी दी गई. यह वह संत थे जो वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई की अंग्रेजों से भिड़ंत के बाद उन्हें बचाते हुए शहीद हुए थे.

शहीद संतों के शस्त्रों का किया गया पूजन

इस दौरान जो शस्त्र साधुओं ने इस्तेमाल किए थे, उनका हर दशहरे के पर्व पर पूजन किया जाता है. इस मौके पर संत समाज के कई प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं. पहले स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लड़ते हुए ग्वालियर तक आ गई थीं. अंग्रेज उनका पीछा करते हुए यहां आए थे.

फूल बाग के नजदीक अंग्रेजों की सेना और लक्ष्मीबाई की सेना के बीच भीषण भिड़ंत हुई थी. इस दौरान 700 साधुओं ने भी अपने प्राणों की आहुति दी थी. हर साल की तरह उन्हें मंगलवार को भी याद किया गया और उनके शस्त्रों को पूजा गया. बाद में संतों ने वहां रखी पुरानी तोप से साधु याद में सलामी दी.

Intro:ग्वालियर
ग्वालियर की ऐतिहासिक गंगा दास की बड़ी शाला में मंगलवार को विधि विधान से उन संतो के शस्त्रों का पूजन किया गया जो 1857 के पहले आंदोलन में अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। इस मौके पर तोप से सलामी भी दी गई।Body:दरअसल यह वह संत थे जो वीरांगना लक्ष्मी बाई की ग्वालियर में अंग्रेजों से भिड़ंत के बाद उन्हें बचाते हुए शहीद हुए थे। उस समय जो शस्त्र साधुओं ने इस्तेमाल किए थे उनका हर दशहरे के पर्व पर पूजन किया जाता है इस मौके पर संत समाज के कई प्रतिनिधि मौजूद थे।Conclusion:पहले स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लड़ते हुए ग्वालियर तक आ गई थी। अंग्रेज उनका पीछा करते हुए यहां आए थे फूल बाग के नजदीक अंग्रेजों की सेना और लक्ष्मीबाई की सेना के बीच भीषण भिड़ंत हुई थी। इसमें 700 साधुओं ने भी अपने प्राणों की आहुति दी थी ।हर साल की तरह उन्हें याद किया गया और उनके शस्त्रों को पूजा गया बाद में संतों ने वहां रखी पुरानी तोप से साधु याद में सलामी दी ।
बाइट रामसेवक दास महंत गंगा दास की बड़ी शाला ग्वालियर
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