ग्वालियर। कोरोना की तीसरी लहर आने और बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करने की खबरों के बीच एक राहत देने वाली खबर ग्वालियर से आई है. ग्वालियर के जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने 18 साल से कम उम्र के बच्चों में न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट (एंटीबॉडी टेस्ट) करवाया था. इस टेस्ट के परिणाम में सामने आया है कि जिले के 65 फीसदी बच्चों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई है.
शहरों और गांवों से लिए गए थे सैंपल
चौंकाने वाली बात यह है कि सर्वे में वो बच्चे भी शामिल है, जिनके परिवार का कोई भी सदस्य कोरोना की पहली या दूसरी लहर में संक्रमित नहीं हुआ था. इसके बाद भी उन बच्चों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनी है. इस टेस्ट के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 4 वर्गों से 50-50 सैंपल लिए थे. इसके लिए 225 सैंपल शहर क्षेत्रों से और 200 सैंपल ग्रामीण क्षेत्र से लिए गए थे.
425 बच्चों के लिए गए थे सैंपल
इस न्यूट्रलाइजिंग टेस्ट के लिए ग्वालियर जिले के 425 बच्चों के सैंपल लिए गए थे, जिसमें 225 सैंपल शहरों के बच्चे और 200 सैंपल ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों से लिए गए थे. इस सर्वे के लिए अलग-अलग तरह के बच्चों का चयन किया गया था, कुछ बच्चे ऐसे थे जिनके घर में किसी को कोरोना नहीं हुआ, कुछ ऐसे थे जिनके परिवार में किसी को वैक्सीन नहीं लगी थी, कुछ ऐसे भी बच्चे थे जिनके परिवार के सदस्यों को वैक्सीन लग चुकी है. इन सभी बच्चों के ब्लड सैंपल लेकर जांच की गई थी.
जैसे की तीसरी लहर के बारे में बताया जाता है कि बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की संभावना है. इसके लिए ग्वालियर में बच्चों में एंटीबॉडी टेस्ट किया गया था. इस टेस्ट में 65% बच्चों में एंटीबॉडी मौजूद पाई गई है. यह एक अच्छा संकेत है कि बच्चों में एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी है. इसका मतलब यह है कि बच्चों में इंफेक्शन हुआ था लेकिन उनमें लक्षण नहीं देखे गए क्योंकि उनकी इम्युनिटी अच्छी थी. हमने 18 साल से कम उम्र के बच्चों के एंटीबॉडी टेस्ट किए थे.
डॉ. मनीष शर्मा, सीएमएचओ, ग्वालियर
इंफेक्शन होने के बाद बनी एंटीबॉडी
इस मामले में ग्वालियर के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मनीष शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में 65 फीसदी बच्चों में कोरोना की एंटी बॉडी पाई गई है. इसका मतलब साफ है कि बच्चे संक्रमित हुए थे लेकिन उनकी इम्युनिटी मजबूत होने के कारण उन्हें कोरोना के लक्षण नहीं दिखाई दिए.