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अखिल भारतीय किसान सभा ने रेलवे स्टेशन पर किया प्रदर्शन, ट्रेन रोकने जा रहे किसानों को रेलवे पुलिस ने रोका - कृषि कानून

ग्वालियर में अखिल भारतीय किसान सभा ने आज किसान आंदोलन के समर्थन में रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया. इस दौरान किसानों ने रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रोकने की भी कोशिश की. किसान सभा ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है.

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अखिल भारतीय किसान सभा ने रेलवे स्टेशन पर किया प्रदर्शन
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Published : Dec 14, 2020, 3:13 PM IST

ग्वालियर। केंद्र सरकार के कृषि कानून को लेकर दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन पूरे प्रदेश में किया जा रहा है. जहां ग्वालियर में आज अखिल भारतीय किसान सभा ने कृषि कानून के विरोध में रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया. किसानों ने एकजुट होकर रेलवे स्टेशन में घुसकर रेल रोकने की कोशिश की, लेकिन भारी संख्या में मौजूद रेलवे पुलिस ने किसानों को गेट पर ही रोक लिया.

अखिल भारतीय किसान सभा ने रेलवे स्टेशन पर किया प्रदर्शन

किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेताओं का कहना है कि हमारे साथी 2 सप्ताह से अधिक समय से दिल्ली बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर बैठे हुए हैं. यही कारण है कि हम लोग उनका समर्थन अपने स्तर पर कर रहे हैं. उन्होंने मांग की है कि तीनों कानून वापस लिए जाने चाहिए. यह किसानों पर जबरन थोपे जा रहे हैं और उनको किसान हितैषी बताया जा रहा है. जबकि इस कानून के लागू होने पर किसान परेशान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि 1967 में गठित किए गए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू किया जाना चाहिए.

ग्वालियर। केंद्र सरकार के कृषि कानून को लेकर दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन पूरे प्रदेश में किया जा रहा है. जहां ग्वालियर में आज अखिल भारतीय किसान सभा ने कृषि कानून के विरोध में रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया. किसानों ने एकजुट होकर रेलवे स्टेशन में घुसकर रेल रोकने की कोशिश की, लेकिन भारी संख्या में मौजूद रेलवे पुलिस ने किसानों को गेट पर ही रोक लिया.

अखिल भारतीय किसान सभा ने रेलवे स्टेशन पर किया प्रदर्शन

किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेताओं का कहना है कि हमारे साथी 2 सप्ताह से अधिक समय से दिल्ली बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर बैठे हुए हैं. यही कारण है कि हम लोग उनका समर्थन अपने स्तर पर कर रहे हैं. उन्होंने मांग की है कि तीनों कानून वापस लिए जाने चाहिए. यह किसानों पर जबरन थोपे जा रहे हैं और उनको किसान हितैषी बताया जा रहा है. जबकि इस कानून के लागू होने पर किसान परेशान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि 1967 में गठित किए गए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू किया जाना चाहिए.

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