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'फायर सेफ्टी सिस्टम' एक्ट तो हो गया लागू लेकिन नगर निगम को फिक्र कहां? - Gwalior news

पिछले दिनों भोपाल और उज्जैन के अस्पतालों में हुई आगजनी ने फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए थे. भविष्य में ऐसी स्थिति से जानोमाल का नुकसान ना हो इसे लेकर ही फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर एक्ट प्रदेश भर में लागू कराया गया है. इसके तहत पुरानी और नई मंजिलों के लिए फायर NOC लेना जरूरी होगा. इस फरमान के बाद भी न तो नगर निगम और न ही भवन मालिक संजीदा हैं.

fire brigade office
फायर ब्रिगेड ऑफिस
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Published : Jun 10, 2021, 11:10 AM IST

ग्वालियर। पिछले दिनों भोपाल और उज्जैन के अस्पतालों में हुई आगजनी ने फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए थे. भविष्य में ऐसी स्थिति से जानोमाल का नुकसान ना हो इसे लेकर ही फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर एक्ट प्रदेश भर में लागू कराया गया है. इसके तहत पुरानी और नई मंजिलों के लिए फायर NOC लेना जरूरी होगा. एक्ट के बावजूद ग्वालियर में फायर एनओसी (NOC) को लेकर न तो भवन मालिक गंभीर है और न ही इसे जारी करने वाली नगर निगम ही सख्त है.

पुराने और नए मंजिलों को फायर NOC लेना जरूरी

निगम ने अभी तक सिर्फ 300 बिल्डिंग को ही फायर एनओसी (NOC) दी है. भोपाल और उज्जैन के अस्पतालों में पिछले दिनों आगजनी की घटनाएं हुई थी. इसके बाद फायर सेफ्टी एक्ट लागू किया गया है. नगर निगम ने 9 मीटर ऊंचे भवनों को फायर एनओसी (NOC) जारी करने के लिए नोटिस जारी किए थे. 3 मंजिला मकान को भी अब फायर एनओसी (NOC) लेना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर 10,000 रुपए का जुर्माने का भी प्रावधान है.

नई और पुरानी मंजिलों पर NOC लेना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर आदेश दिए गए हैं कि नगर निगम सीमा में नई और पुरानी मंजिलों पर फायर एनओसी (NOC) लेना बेहद जरूरी है. जहां रसायन और दूसरे प्रज्ज्वलनशील पदार्थों का कारोबार होता है उनके लिए भी फायर एनओसी (NOC) जरूरी है, लेकिन अधिकांश भवनों पर नगर निगम से जारी की जाने वाली फायर एनओसी नहीं है. नगर निगम का कहना है कि उन्होंने अपने इंजीनियरों से शहर भर के भवनों का सर्वे कराना शुरू कर दिया है.

आने वाले समय में फायर सेफ्टी का पालन कराया जाएगा
नगर निगम नए मकानों को बिना फायर एनओसी (NOC) के भवन निर्माण की मंजूरी नहीं दे रही है, लेकिन शहर भर में पुराने और रियासत कालीन मकानों की भी बड़ी संख्या है. वहां, फायर सिस्टम भी नहीं है पुराने ढर्रे पर ही आग बुझाने के प्रावधान है. नगर निगम का कहना है कि आने वाले दिनों में फायर सेफ्टी एक्ट का सख्ती से पालन कराया जाएगा

ग्वालियर। पिछले दिनों भोपाल और उज्जैन के अस्पतालों में हुई आगजनी ने फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए थे. भविष्य में ऐसी स्थिति से जानोमाल का नुकसान ना हो इसे लेकर ही फायर सेफ्टी सिस्टम को लेकर एक्ट प्रदेश भर में लागू कराया गया है. इसके तहत पुरानी और नई मंजिलों के लिए फायर NOC लेना जरूरी होगा. एक्ट के बावजूद ग्वालियर में फायर एनओसी (NOC) को लेकर न तो भवन मालिक गंभीर है और न ही इसे जारी करने वाली नगर निगम ही सख्त है.

पुराने और नए मंजिलों को फायर NOC लेना जरूरी

निगम ने अभी तक सिर्फ 300 बिल्डिंग को ही फायर एनओसी (NOC) दी है. भोपाल और उज्जैन के अस्पतालों में पिछले दिनों आगजनी की घटनाएं हुई थी. इसके बाद फायर सेफ्टी एक्ट लागू किया गया है. नगर निगम ने 9 मीटर ऊंचे भवनों को फायर एनओसी (NOC) जारी करने के लिए नोटिस जारी किए थे. 3 मंजिला मकान को भी अब फायर एनओसी (NOC) लेना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर 10,000 रुपए का जुर्माने का भी प्रावधान है.

नई और पुरानी मंजिलों पर NOC लेना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर आदेश दिए गए हैं कि नगर निगम सीमा में नई और पुरानी मंजिलों पर फायर एनओसी (NOC) लेना बेहद जरूरी है. जहां रसायन और दूसरे प्रज्ज्वलनशील पदार्थों का कारोबार होता है उनके लिए भी फायर एनओसी (NOC) जरूरी है, लेकिन अधिकांश भवनों पर नगर निगम से जारी की जाने वाली फायर एनओसी नहीं है. नगर निगम का कहना है कि उन्होंने अपने इंजीनियरों से शहर भर के भवनों का सर्वे कराना शुरू कर दिया है.

आने वाले समय में फायर सेफ्टी का पालन कराया जाएगा
नगर निगम नए मकानों को बिना फायर एनओसी (NOC) के भवन निर्माण की मंजूरी नहीं दे रही है, लेकिन शहर भर में पुराने और रियासत कालीन मकानों की भी बड़ी संख्या है. वहां, फायर सिस्टम भी नहीं है पुराने ढर्रे पर ही आग बुझाने के प्रावधान है. नगर निगम का कहना है कि आने वाले दिनों में फायर सेफ्टी एक्ट का सख्ती से पालन कराया जाएगा

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