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सड़क पर विराजे हैं अचलेश्वर महादेव, मूर्ति को हाथियों से हटाने की हुई थी कोशिश

ग्वालियर में भगवान भोलेनाथ का चमात्कारिक मंदिर अचलेश्वर महादेव के नाम से स्थापित है. इस मंदिर की खासियत है कि यहां शिवलिंग स्वयं प्रकट हुई थी. इस शिवलिंग को यहां से हटाने के लिए हाथियों द्वारा चेन से भी खिंचवाया गया लेकिन शिवलिंग नहीं निकला...

Achaleshwar Mahadev Temple
अचलेश्वर महादेव मंदिर
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Published : Jan 1, 2021, 7:13 AM IST

Updated : Jan 1, 2021, 7:48 AM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भगवान शिव का ऐसा अनोखा मंदिर है. जहां इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग को हटाने के लिए बड़े से बड़े राजा महाराजा लगे रहे पर इस शिवलिंग को हिला नहीं सकें. उन्होंने कई हाथियों से इस शिवलिंग को हटाने का प्रयास किया लेकिन हाथियों का बल भी बेकार हो गया. इसे खोदकर निकालने की कोशिश की गई, तो खोदते खोदते पानी तो निकल आया. लेकिन शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला. लगभग 750 साल से ग्वालियर बीच चौराहे पर आज भी विराजमान हैं. भगवान भोलेनाथ का चमत्कारी शिवलिंग. लोग इसे बाबा अचलनाथ के नाम से पुकारते हैं.

अचलेश्वर महादेव मंदिर

पेड़ हटाने के बाद प्रकट हुई स्वयं शिवलिंग

लगभग 750 साल पहले जिस स्थान पर आज मंदिर है. वहां एक पीपल का पेड़ हुआ करता था. यह पेड़ सड़क के बीचों-बीच होने के कारण लोगों के आवागमन में परेशानी उत्पन्न होती थी. सबसे ज्यादा परेशानी सिंधिया परिवार को उस समय उठानी पड़ती थी. जो विजय दशमी के अवसर पर सिंधिया परिवार की शाही सवारी निकलती थी और यह मार्ग रास्ते में आता था. उस पेड़ को हटाने के लिए शासकों ने आदेश दिए. पेड़ हटते ही वहां एक स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हो गई. उसको हटाने के लिए काफी मेहनत की, पर नहीं हटी.

शिवलिंग को हटाने के लिए हाथियों का किया था इस्तेमाल

इस शिवलिंग के अगल-बगल काफी गहरी खुदाई की गई, पर कोई भी व्यक्ति शिवलिंग को नहीं हिला सका. बाद में जब सिंधिया परिवार को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने इसको हटाने के लिए हाथी भी भेजें. हाथी में जंजीर बांधकर जब पिंडी खींची गई तो जंजीर टूट गई. एक बार भगवान तत्कालीन राजापुर के सपने में आए और कहा कि यदि मूर्ति खंडित हो गई तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा. इसके बाद राजा ने पूजा-अर्चना कराई. इस पिंडी की प्रतिष्ठा कराई तब से लेकर आज तक इस मंदिर पर भक्तों की भारी भीड़ यहां आती है.

Swayambhu Shivling
स्वयंभू शिवलिंग

यहां होती है हर मुराद पूरी

अचलेश्वर महादेव के प्रति लोगों की काफी गहरी श्रद्धा है. लोग सुबह शाम भगवान अखिलेश्वर के दर्शन करने के लिए आते हैं. साथ ही भगवान अचलेश्वर महादेव पर कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां भी दर्शन करने के लिए आती है. पूरे उत्तर भारत में मान्यता है कि भगवान अचलनाथ के दरबार में जो भी मत्था टेकने पहुंचता है. अचलनाथ उसको इच्छापूर्ति का वरदान देते हैं. मान्यता है कि बाबा अचलनाथ का वरदान भी उनकी प्रतिमा की तरह चल रहता है. यानी भक्तों की हर मुराद पूरी होती है.

महाशिवरात्रि पर्व और हर सोमवार को होती है श्रद्धालुओं की काफी भीड़

अचलेश्वर महादेव मंदिर पर शिवरात्रि के पर्व पर यहां लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं. यहां पर बड़ा मेला भी आयोजित होता है. शिवरात्रि के पर्व पर यहां सुरक्षा व्यवस्था की भी पूरे इंतजाम होते हैं. पुलिस के साथ-साथ सीसीटीवी से भी यहां निगरानी की जाती है. वहीं हर सोमवार को शहर के हजारों श्रद्धालु भगवान का अचलेश्वर के यहां आते हैं.

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भगवान शिव का ऐसा अनोखा मंदिर है. जहां इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग को हटाने के लिए बड़े से बड़े राजा महाराजा लगे रहे पर इस शिवलिंग को हिला नहीं सकें. उन्होंने कई हाथियों से इस शिवलिंग को हटाने का प्रयास किया लेकिन हाथियों का बल भी बेकार हो गया. इसे खोदकर निकालने की कोशिश की गई, तो खोदते खोदते पानी तो निकल आया. लेकिन शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिला. लगभग 750 साल से ग्वालियर बीच चौराहे पर आज भी विराजमान हैं. भगवान भोलेनाथ का चमत्कारी शिवलिंग. लोग इसे बाबा अचलनाथ के नाम से पुकारते हैं.

अचलेश्वर महादेव मंदिर

पेड़ हटाने के बाद प्रकट हुई स्वयं शिवलिंग

लगभग 750 साल पहले जिस स्थान पर आज मंदिर है. वहां एक पीपल का पेड़ हुआ करता था. यह पेड़ सड़क के बीचों-बीच होने के कारण लोगों के आवागमन में परेशानी उत्पन्न होती थी. सबसे ज्यादा परेशानी सिंधिया परिवार को उस समय उठानी पड़ती थी. जो विजय दशमी के अवसर पर सिंधिया परिवार की शाही सवारी निकलती थी और यह मार्ग रास्ते में आता था. उस पेड़ को हटाने के लिए शासकों ने आदेश दिए. पेड़ हटते ही वहां एक स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हो गई. उसको हटाने के लिए काफी मेहनत की, पर नहीं हटी.

शिवलिंग को हटाने के लिए हाथियों का किया था इस्तेमाल

इस शिवलिंग के अगल-बगल काफी गहरी खुदाई की गई, पर कोई भी व्यक्ति शिवलिंग को नहीं हिला सका. बाद में जब सिंधिया परिवार को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने इसको हटाने के लिए हाथी भी भेजें. हाथी में जंजीर बांधकर जब पिंडी खींची गई तो जंजीर टूट गई. एक बार भगवान तत्कालीन राजापुर के सपने में आए और कहा कि यदि मूर्ति खंडित हो गई तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा. इसके बाद राजा ने पूजा-अर्चना कराई. इस पिंडी की प्रतिष्ठा कराई तब से लेकर आज तक इस मंदिर पर भक्तों की भारी भीड़ यहां आती है.

Swayambhu Shivling
स्वयंभू शिवलिंग

यहां होती है हर मुराद पूरी

अचलेश्वर महादेव के प्रति लोगों की काफी गहरी श्रद्धा है. लोग सुबह शाम भगवान अखिलेश्वर के दर्शन करने के लिए आते हैं. साथ ही भगवान अचलेश्वर महादेव पर कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां भी दर्शन करने के लिए आती है. पूरे उत्तर भारत में मान्यता है कि भगवान अचलनाथ के दरबार में जो भी मत्था टेकने पहुंचता है. अचलनाथ उसको इच्छापूर्ति का वरदान देते हैं. मान्यता है कि बाबा अचलनाथ का वरदान भी उनकी प्रतिमा की तरह चल रहता है. यानी भक्तों की हर मुराद पूरी होती है.

महाशिवरात्रि पर्व और हर सोमवार को होती है श्रद्धालुओं की काफी भीड़

अचलेश्वर महादेव मंदिर पर शिवरात्रि के पर्व पर यहां लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं. यहां पर बड़ा मेला भी आयोजित होता है. शिवरात्रि के पर्व पर यहां सुरक्षा व्यवस्था की भी पूरे इंतजाम होते हैं. पुलिस के साथ-साथ सीसीटीवी से भी यहां निगरानी की जाती है. वहीं हर सोमवार को शहर के हजारों श्रद्धालु भगवान का अचलेश्वर के यहां आते हैं.

Last Updated : Jan 1, 2021, 7:48 AM IST
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