भोपाल। 13-14 सितंबर की दरम्यानी रात विघ्नहर्ता को विदाई देते वक्त 11 लोग उसी तालाब में समा गये, जिसमें गणपति बप्पा को विसर्जित किया गया था, जब तक उन्हें निकाला जाता, तब तब उनकी सांसें थम चुकी थी, बॉडी शिथिल पड़ चुकी थी. जिसके बाद चौतरफा अफरातफरी मच गई, जश्न का माहौल गमगीन हो गया, इसके बाद गोताखोर एक एक कर तालाब से लाशें निकालने लगे. 11 लाशों के साथ ही इस गिनती पर ब्रेक लगी.
गुरुवार को गणेश विसर्जन के दौरान राजधानी भोपाल के छोटा तालाब में नाव पलटने से 11 लोगों की मौत हो गई. इस हादसे ने सबकी आंखें नम कर दी. खटलापुरा घाट पर देर रात गणेश विसर्जन करते वक्त नाव पलट गई थी, जिसमें 11 लोगों की डूबने से मौत हो गई, जबकि छह लोगों को रेस्क्यू कर बचा लिया गया है. सभी मृतक पिपलानी स्थित 100 क्वॉर्टर के निवासी थे.
देर रात खुशी से किया जा रहा बप्पा का विसर्जन अचानक दुख में बदल गया और कई परिवारों के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए, जो लौटकर अब कभी नहीं आएंगे, सरकार ने भी अपना काम कर दिया है, जांच के आदेश और मुआवजे की घोषणा भी कर दी गई है, लेकिन क्या ऐसी घटनाओं की सही से जांच होगी क्योंकि ये पहला हादसा नहीं है, जब दर्जनों लोग मौत के मुंह में समा गए हैं.
पहले भी कई ऐसे हादसे हो चुके हैं
साल 2001 से 2015 तक के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. अब तक 1568 नाव हादसे हो चुके हैं. इस दौरान 1614 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कुछ लोग घायल हो गए थे. ये आंकड़ा सिर्फ 2015 का है. बीते चार साल में हुए हादसों की संख्या को इसमें जोड़ दिया जाए तो आंड़कों में बड़ा इजाफा हो जाता है.
मृतकों के परिवारों को सहायता राशि
हादसे में कुल 11 लोगों की मौत हुई है, जबकि छह लोगों को बचा लिया गया है, वहीं दो की तलाश अब भी जारी है. घटना के बाद सीएम कमलनाथ ने शोकसंवेदना व्यक्त करते हुए दोषियों के खिलाफ जांच और मृतकों के परिजनों को 11-11 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है.