ग्वालियर। मानसिक रूप से अस्वस्थ सुरेश ने अपनी मां की हत्या का कलंक ना सिर्फ झेला बल्कि 13 साल जेल में सजा भी काटी. सरकार की ओर से उसकी आपराधिक पुनर्विचार याचिका में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि आरोपी मानसिक रूप से अस्वस्थ है.
निचली अदालत ने इस तथ्य को देखा ही नहीं और ना ही पुलिस ने अपनी विवेचना में इसका उल्लेख किया है. अब हाईकोर्ट ने भोपाल जेल में बंद सुरेश को निर्दोष बताते हुए सरकार को अपने खर्चे पर इलाज करवाने का आदेश दिया है.पुलिस विवेचना और निचली अदालत के फैसले में कई ऐसे बिंदु उठाए गए जिन पर गौर नहीं किया गया था. सुरेश मानसिक अस्वथ्य था इसलिए उसे हाई कोर्ट के आदेश पर विधिक सहायता के जरिए महिला वकील उपलब्ध कराई गई.
महिला अधिवक्ता का कहना था कि मानसिक रूप से बीमार रहने वाला सुरेश अपने भाई बहन पर बोझ नहीं बन जाए इसलिए उस पर हत्या का मामला दर्ज कराया गया। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने महिला अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए सुरेश को निर्दोष बताया और उसके पूरे इलाज की जिम्मेवारी सरकार को दी है. इलाज के बाद स्वस्थ होने पर सुरेश को रिहा करने के आदेश दिए हैं.