ETV Bharat / state

बिना जुर्म के ही 13 साल बेटे ने काटी मां के हत्या की सजा, हाईकोर्ट ने बताया निर्दोष - मध्य प्रदेश समाचार

ग्वालियर में एक बेटे ने मां की हत्या के जुर्म में 13 साल सजा काटी.अपराध न साबित होने पर कोर्ट ने उसे बरी कर दिया है. कोर्ट के मुताबिक वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है.

अंकिता माथुर आरोपी सुरेश की अधिवक्ता
author img

By

Published : Aug 7, 2019, 6:13 AM IST

ग्वालियर। मानसिक रूप से अस्वस्थ सुरेश ने अपनी मां की हत्या का कलंक ना सिर्फ झेला बल्कि 13 साल जेल में सजा भी काटी. सरकार की ओर से उसकी आपराधिक पुनर्विचार याचिका में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि आरोपी मानसिक रूप से अस्वस्थ है.

मां की हत्या के जुर्म में 13 साल काटी सजा,कोर्ट ने बताया निर्दोष .

निचली अदालत ने इस तथ्य को देखा ही नहीं और ना ही पुलिस ने अपनी विवेचना में इसका उल्लेख किया है. अब हाईकोर्ट ने भोपाल जेल में बंद सुरेश को निर्दोष बताते हुए सरकार को अपने खर्चे पर इलाज करवाने का आदेश दिया है.पुलिस विवेचना और निचली अदालत के फैसले में कई ऐसे बिंदु उठाए गए जिन पर गौर नहीं किया गया था. सुरेश मानसिक अस्वथ्य था इसलिए उसे हाई कोर्ट के आदेश पर विधिक सहायता के जरिए महिला वकील उपलब्ध कराई गई.

महिला अधिवक्ता का कहना था कि मानसिक रूप से बीमार रहने वाला सुरेश अपने भाई बहन पर बोझ नहीं बन जाए इसलिए उस पर हत्या का मामला दर्ज कराया गया। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने महिला अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए सुरेश को निर्दोष बताया और उसके पूरे इलाज की जिम्मेवारी सरकार को दी है. इलाज के बाद स्वस्थ होने पर सुरेश को रिहा करने के आदेश दिए हैं.

ग्वालियर। मानसिक रूप से अस्वस्थ सुरेश ने अपनी मां की हत्या का कलंक ना सिर्फ झेला बल्कि 13 साल जेल में सजा भी काटी. सरकार की ओर से उसकी आपराधिक पुनर्विचार याचिका में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि आरोपी मानसिक रूप से अस्वस्थ है.

मां की हत्या के जुर्म में 13 साल काटी सजा,कोर्ट ने बताया निर्दोष .

निचली अदालत ने इस तथ्य को देखा ही नहीं और ना ही पुलिस ने अपनी विवेचना में इसका उल्लेख किया है. अब हाईकोर्ट ने भोपाल जेल में बंद सुरेश को निर्दोष बताते हुए सरकार को अपने खर्चे पर इलाज करवाने का आदेश दिया है.पुलिस विवेचना और निचली अदालत के फैसले में कई ऐसे बिंदु उठाए गए जिन पर गौर नहीं किया गया था. सुरेश मानसिक अस्वथ्य था इसलिए उसे हाई कोर्ट के आदेश पर विधिक सहायता के जरिए महिला वकील उपलब्ध कराई गई.

महिला अधिवक्ता का कहना था कि मानसिक रूप से बीमार रहने वाला सुरेश अपने भाई बहन पर बोझ नहीं बन जाए इसलिए उस पर हत्या का मामला दर्ज कराया गया। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने महिला अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए सुरेश को निर्दोष बताया और उसके पूरे इलाज की जिम्मेवारी सरकार को दी है. इलाज के बाद स्वस्थ होने पर सुरेश को रिहा करने के आदेश दिए हैं.

Intro: ग्वालियर
उस बेटे ने अपनी मां की हत्या का कलंक ना सिर्फ झेला बल्कि 13 साल जेल में भी बिताए लेकिन सरकार की ओर से उसकी आपराधिक पुनर्विचार याचिका में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि आरोपी मानसिक रूप से अस्वस्थ है निचली अदालत ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को देखा ही नहीं और ना ही पुलिस ने अपनी विवेचना में इस तथ्य का उल्लेख किया। अब हाईकोर्ट ने भोपाल जेल में बंद सुरेश को निर्दोष बताते हुए सरकार को आदेश दिया है कि वह उसका अपने खर्चे पर इलाज कराए।


Body:दरअसल विदिशा थाना क्षेत्र के पर्धा गांव में रहने वाले सुरेश धानुक को सिरोंज के एडिशनल सेशन कोर्ट ने मां चंपा बाई की हत्या के आरोप में 2008 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी दीपनखेड़ा गांव में चंपा बाई अपने दो बेटों सुरेश और मोहर सिंह के अलावा बेटी छुटिया बाई के साथ रहती थी सुरेश की मानसिक स्थिति खराब थी इसके चलते भाई बहनों में 24 अप्रैल 2006 को घर में झगड़ा हुआ इस झगड़े में बके का इस्तेमाल किया गया। महिला चंपा बाई की बके के हमले के कारण मौत हो गई ।जबकि छुटिया बाई घायल हो गई उसका भाई मोहर सिंह भागने में कामयाब हो गया इस तरह का मामला दीपनखेड़ा थाने में दर्ज कराया गया था। अपने ही भाई सुरेश के खिलाफ छुटिया बाई और मोहर सिंह ने गवाही दी थी । जिसके चलते उसे उम्र कैद की सजा हुई थी इन दिनों सुरेश भोपाल जेल में बंद है। 2008 में उसकी आपराधिक पुनर्विचार याचिका शुरू हुई क्योंकि सुरेश मानसिक अस्वथ्य था इसलिए उसे हाई कोर्ट के आदेश पर विधिक सहायता के जरिए महिला वकील उपलब्ध कराई गई।


Conclusion:महिला अधिवक्ता ने पुलिस विवेचना और निचली अदालत के फैसले में कई ऐसे बिंदु उठाए जिन पर गौर नहीं किया गया था हत्या जैसे संगीन मामले में पुलिस विवेचना और निचली अदालत ने सुरेश के मानसिक अस्वस्थ होने जैसे तथ्य को नजरअंदाज किया महिला अधिवक्ता का कहना था कि मानसिक रूप से बीमार रहने वाला सुरेश अपने भाई बहन पर बोझ नहीं बन जाए इसलिए उस पर हत्या का मामला दर्ज कराया गया। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने महिला अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए सुरेश को निर्दोष बताया और उसके पूरे इलाज की जिम्मेवारी सरकार को दी है। इलाज के बाद स्वस्थ होने पर सुरेश को रिहा करने के आदेश दिए हैं।
बाइट अंकिता माथुर... आरोपी रहे सुरेश की अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.