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छोटे से अमरपुरा पाटई की रीना ने गांव का नाम किया रोशन, मल्टी नेशनल कंपनी ने ऑफर की जॉब - Reena's selection in Multi National Company

गुना के राघोगढ़ के अमरपुरा पाटई गांव में रहने वाली इस बेटी को एक निजी कंपनी ने 3 लाख से ऊपर के पैकेज पर जॉब ऑफर किया है.

Multi National Company offers 3 lakh 75 thousand to Reena
कमर पुरा पाटई की रहने वाली रीना ने गांव का नाम रोशन
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Published : Dec 1, 2019, 1:39 PM IST

गुना। राघोगढ़ तहसील के छोटे से गांव की बेटी ने ना केवल सफलता की नई इबारत लिखी है, बल्कि ये भी साबित कर दिया कि सामाजिक मर्यादा, रिश्तों का बंधन और सुविधाओं का अभाव भी शिक्षा के आड़े नहीं आ सकता. जी हां राघोगढ़ के कमरपुरा पाटई गांव में रहने वाली बेटी को एक मल्टी नेशनल कंपनी में 3 लाख 75 हजार के पैकेज पर जॉब ऑफर किया है. जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए माता-पिता ने कर्ज लिया था.

कमर पुरा पाटई जैसे छोटे से गांव में रहने वाली रीना ढीमर एक आशा की किरण बनी हैं जो कोसों दूर तक फैले अंधेरे की खाई को अपनी रोशनी से पाट देता है. रीना के माता-पिता लघु किसान हैं जो अपनी 6 बीघा के खेत में सब्जियां लगाकर किसी तरह अपनी चार बेटी और दो बेटों का जीवन यापन करने के साथ उन्हें पढ़ा लिखा रहे हैं.

कमर पुरा पाटई की रहने वाली रीना ने गांव का नाम रोशन

फीस चुकान के नहीं थे पैसे

रीना के माता-पिता के पास हॉस्टल की फीस चुकाने के लिए पैसे नहीं थे और यहां तक कि कई बार फीस की भरपाई भी कर्ज के जरिए होती थी. अपने माता-पिता के सपनों को साकार करने में जुटी इस बेटी ने कॉलेज से घर तक की 6 किलोमीटर की दूरी प्रतिदिन पैदल ही तय की और आज वो अपने माता-पिता की ही नहीं बल्कि समाज की होनहार बेटियों में शुमार हो गई है.

गुना। राघोगढ़ तहसील के छोटे से गांव की बेटी ने ना केवल सफलता की नई इबारत लिखी है, बल्कि ये भी साबित कर दिया कि सामाजिक मर्यादा, रिश्तों का बंधन और सुविधाओं का अभाव भी शिक्षा के आड़े नहीं आ सकता. जी हां राघोगढ़ के कमरपुरा पाटई गांव में रहने वाली बेटी को एक मल्टी नेशनल कंपनी में 3 लाख 75 हजार के पैकेज पर जॉब ऑफर किया है. जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए माता-पिता ने कर्ज लिया था.

कमर पुरा पाटई जैसे छोटे से गांव में रहने वाली रीना ढीमर एक आशा की किरण बनी हैं जो कोसों दूर तक फैले अंधेरे की खाई को अपनी रोशनी से पाट देता है. रीना के माता-पिता लघु किसान हैं जो अपनी 6 बीघा के खेत में सब्जियां लगाकर किसी तरह अपनी चार बेटी और दो बेटों का जीवन यापन करने के साथ उन्हें पढ़ा लिखा रहे हैं.

कमर पुरा पाटई की रहने वाली रीना ने गांव का नाम रोशन

फीस चुकान के नहीं थे पैसे

रीना के माता-पिता के पास हॉस्टल की फीस चुकाने के लिए पैसे नहीं थे और यहां तक कि कई बार फीस की भरपाई भी कर्ज के जरिए होती थी. अपने माता-पिता के सपनों को साकार करने में जुटी इस बेटी ने कॉलेज से घर तक की 6 किलोमीटर की दूरी प्रतिदिन पैदल ही तय की और आज वो अपने माता-पिता की ही नहीं बल्कि समाज की होनहार बेटियों में शुमार हो गई है.

Intro:गुना जिले के राघोगढ़ तहसील के छोटे से गांव की बेटी ने ना केवल सफलता की अमिट इबारत लिख डाली बल्कि यह भी साबित कर दिया कि सामाजिक मर्यादा, रिश्तो का बंधन और सुविधाओं का अभाव भी शिक्षा के आड़े नहीं आ सकते। जी हां राघोगढ़ के अमरपुरा पाटई गांव में रहने वाली इस बेटी को सोनी एरिकसन कंपनी में तीन लाख पिछत्तर हजार के पैकेज पर जॉब ऑफर किया है। जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में पढ़ने वाली इस बेटी को उसके माता-पिता ने कर्ज लेकर पढ़ाया है। कई बार इस बेटी को कॉलेज में पढ़ने को लेकर उलाहना, ताने और मारपीट तक का सामना करना पड़ा। लेकिन इस बीच साथ रहे वह माता पिता जिन्होंने बेटे और बेटी के बीच का फर्क ही कभी महसूस नहीं किया।


Body:कमर पुरा पाटई जैसे छोटे गांव में रहने वाली रीना ढीमर एक ऐसा दीपक साबित हुई हैं जो कोसों दूर तक फैले अंधेरे की खाई को अपनी रोशनी से पाट देता है। रीना के माता-पिता लघु किसान हैं जो अपने 6 बीघा के खेत में सब्जियां लगाकर किसी तरह अपनी चार बेटी और दो बेटों का जीवन यापन करने के साथ उन्हें पढ़ा लिखा रहे हैं। उनके इन्हीं बच्चों में से एक है 22 साल की रीना जिसने माता-पिता की कमजोरी बनने के बजाय उनकी ढाल बनने का रास्ता चुना। इस होनहार छात्रा को सफलता यू नहीं मिली बल्कि उसके पीछे संघर्ष की एक मार्मिक दास्तान भी छिपी हुई है। रीना के माता-पिता के पास हॉस्टल की फीस चुकाने के लिए पैसे नहीं थे। और यहां तक कि कई बार फीस की भरपाई भी कर्ज के जरिए होती थी। अपने माता पिता के सपनों को साकार करने में जुटी इस बेटी ने कॉलेज से घर तक की 6 किलोमीटर की दूरी प्रतिदिन पैदल ही तय की और आज वह अपने माता-पिता की ही नहीं बल्कि समाज की होनहार बेटियों में शुमार हो गई है।


Conclusion:बाइट एक:- रीना ढीमर छात्रा।
बाइट दो:- प्रियंका ढीमर छात्रा की बहन।
बाइट तीन:- नन्नू लाल ढीमर छात्रा के पिता।
बाइट चार:- माया बाई रीना की मां ।
बाइट फाइव:- दिग्विजय सिंह चौहान, डिप्टी रजिस्ट्रार जेपी यूनिवर्सिटी।
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