गुना। मध्यप्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 30 यानि चाचौड़ा विधानसभा, ये प्रदेश की एक हाई प्रोफाइल सीट है जिस पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह बतौर मुख्यमंत्री उपचुनाव जीत चुके हैं. वहीं वर्तमान भी यह सीट राघोगढ़ राजघराने के पास है, यहां दिग्विजय सिंह की छोटे भाई लक्ष्मण सिंह अभी विधायक हैं. लेकिन यहां बीजेपी से लेकर आम आदमी पार्टी तक सेंध लगाने की तैयारी में है. बीजेपी ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है, कांग्रेस से फिर लक्ष्मण सिंह चुनाव को मैदान में उतारा हैं. ऐसे में जानते हैं चाचौड़ा विधानसभा सीट पर किस तरह के समीकरण बन रहे हैं.
कांग्रेस ने फिर लक्ष्मण सिंह पर खेला दांव: गुना जिले के चाचौड़ा सीट से 12 प्रत्याशी मैदान में हैं. कांग्रेस ने एक बार फिर लक्ष्मण सिंह पर दांव खेला है. वहीं भाजपा ने प्रियंका पेंची को मैदान में उतारा है. बता दें कि लक्ष्मण सिंह वर्तमान में चाचौड़ा से विधायक हैं.
चाचौड़ा विधानसभा की खासियत: यह क्षेत्र अपने ऐतिहासिक किले के लिए भी जाना जाता है. चाचौड़ा में स्थित चंपावती दुर्ग प्रदेश का एक मात्र ऐसा किला है, जो यहां की रानी के नाम से जाना जाता है. साथ ही चाचौड़ा घाटी भी पर्यटकों को लुभाती है, वहीं चाचौड़ा मध्यप्रदेश का प्रस्तावित जिला है, ऐसे में जिला बनने से इस क्षेत्र के विकास को नए आयाम मिलेंगे. स्थानीय लोगों के लिए जिला मुख्यालय भी यहीं होगा, तो कलेक्ट्रेट, न्यायलय और तहसील के कार्यों के लिए भी उन्हें ज्यादा भाग दौड़ नही करनी पड़ेगी.
चाचौड़ा विधानसभा सीट के मतदाता: मध्य प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 30 चचौड़ा में इस बार मतदाताओं की कुल संख्या (2.08.2023 के अनुसार) 2,31,837 हैं, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,21,135 हैं. वहीं इस क्षेत्र में 1,10,700 महिला वोटर हैं, जबकि इस विधानसभा क्षेत्र में 2 थर्ड जेंडर वोटर भी शामिल हैं. जो आगामी विधानसभा चुनाव में ये मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
चाचौड़ा विधानसभा सीट के जातीय समीकरण: बात जातिगत समीकरण की करें तो इस क्षेत्र में सर्वाधिक संख्या मीणा वोटर्स की है, जो करीब 60 हजार हैं. इसके बाद लगभग 32 हजार वोट अनुसूचित जाति के हैं, वहीं करीब 15 हजार मतदाता गुर्जर समाज से हैं. कुशवाह, ब्राह्मणों की संख्या भी करब 30 हजार से अधिक है, वहीं अन्य समाज के भी मतदाता हैं, जिनके वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं. हालांकि मीणा समाज को साधने वाली पार्टी के लिए जीत की राह काफी आसान होगी.
चाचौड़ा विधानसभा सीट का पॉलिटिकल सिनारियो: चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र मध्य प्रदेश के उन निर्वाचन क्षेत्र में से है, जिसे वीआईपी सीट माना जाता है क्योंकि सीट पर राजघराने का वर्चस्व तो लंबे समय तक रहा है मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी 1994 में यहां से उपचुनाव लड़े थे. वहीं आज भी इस विधानसभा सीट पर उनके भाई लक्ष्मण सिंह बतौर विधायक काबिज हैं. 1951 में अस्तित्व में आई यह विधानसभा सेट लंबे समय तक कांग्रेस के कब्जे में रही है, सटीक कहा जाए तो मध्य प्रदेश विधानसभा का हिस्सा बनने के बाद अब तक यहां 14 बार विधानसभा और एक बार विधानसभा उपचुनाव हुआ है, जिनमें यह सीट नो बार कांग्रेस के खाते में रही है. इसके अलावा एक बार निर्दलीय एक बार स्वतंत्र पार्टी, भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी को यहां जीतने का मौका सन 1977 तक ही मिला था.
इसके बाद से लगातार यह सीट कांग्रेस के हाथ रही साल 2013 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की ममता मीणा ने यहां से जीत कर बीजेपी का खाता खोला था. ममता मीना ने भी तत्कालीन विधायक शिवनारायण मीणा जो पिछले तीन चुनाव से लगातार विधायक थे, उन्हें करीब 35,000 वोटो से हराया था चाचौड़ा सीट पर इतने वोटो से अपने प्रतिद्वंद्वी को हराने वाली ममता मीना ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया था. हालांकि 2018 में यह सीट वापस कांग्रेस के खाते में आ गई और यहां से विधायक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह बने, उसे दौरान चुनाव में बीजेपी की प्रत्याशी और सिटिंग विधायक रही ममता मीणा को हार का सामना करना पड़ा था.
इस बार भी यह चुनाव देखने लायक होगा, क्योंकि यहां भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट में ही इस बार IRS अधिकारी की पत्नी प्रियंका मीणा को चुनाव मैदान में अपना प्रत्याशी घोषित कर उतार दिया है, तो वहीं इस विधानसभा सीट पर 2013 में बीजेपी का खाता खुलवाने वाली पूर्व विधायक ममता मीणा टिकट कटने पर पार्टी से नाराज होकर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गई हैं और उन्हें खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने सदस्यता दिलाई है. ऐसे में माना जा रहा है वे आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं. इन हालातों में कहीं कहीं नुकसान बीजेपी को होगा क्योंकि वर्चस्व की लड़ाई में ममता मीणा बीजेपी के ही वोट काटेंगी जिसका फायदा कांग्रेस को होगा. कयास हैं कि एक बार फिर लक्षण सिंह कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार हो सकते हैं.
चाचौड़ा विधानसभा सीट का 2018 का रिजल्ट: साल 2018 में जब चुनाव हुए तो भाजपा ने तीसरी बार ममता मीणा को टिकट दिया चुनाव हुए तो उन्हें 72,111 वोट मिले , वही कांग्रेस ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को प्रत्याशी बनाया था जिन्होने मीणा को हराते हुए 81,909 वोट हांसिल किए. इस चुनाव में जीत का मार्जिन 9,798 मत का रहा था.
चाचौड़ा विधानसभा सीट का 2008 का रिजल्ट: 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 8 प्रत्याशी थे जिनमे कांग्रेस के तत्कालीन विधायक शिवनारायण मीणा एक बार फिर कांग्रेस से उम्मीदवार बने उन्हें 34,063 वोट मिले वहीं बीजेपी से पहली बार चुनाव में उतरी ममता मीणा दूर स्थान पर रहीं थी उन्हें 26,041 वोट हांसिल हुए थे इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी 8,022 वोट के साथ तीसरी बार विधायक चुने गए थे.
चाचौड़ा विधानसभा सीट के स्थानीय मुद्दे: साल 2020 मार्च में गुना से अलग कर चाचौड़ा को जिला बनाने का फैसला लिया गया था, बिल कमलनाथ कैबिनेट में भी मंजूर हुआ, लेकिन सत्ता बदलने के तीन साल बाद भी यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में हैं. यह क्षेत्र 80 फीसदी ग्रामीण परिवेश से ताल्लुकात रखता है, राजशाही सीट होने के बाद भी यहां लोग सड़क, पानी, रोजगार शिक्षा जैसी सुविधाओं के लिए परेशान हैं. इस क्षेत्र की एक बड़ी समस्या चाचौड़ा-राजगढ़ रोड भी है, जो सिंगल लेन है. इस सड़क के दोहरीकरण की मांग भी लंबे समय से चली आ रही है . जलसमस्या की अनदेखी बड़ी परेशानी है, यहां खानपुर सिंचाई परियोजना स्वीकृत होने के बाद भी कम नही हुआ, लोगों को एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई होता है, पार्वती और घोड़ापछाड नदी परियोजना शुरू करने की लोगों ने कई बार उठायी है, इसके जरिये पेयजल संकट से उबरा जा सकता है.