गुना। भले ही राज्य सरकार खुद के किसान हितैषी के लाख दावे करे लेकिन हकीकत इससे उलट है. प्रदेश में खाद के लिए किसान परेशान हैं. दो से तीन दिन तक लाइन में लगकर भी किसानों को खाद नहीं मिल रहा है. गुना जिले की कुंभराज की सहकारी समिति पर खाद लेने पहुंचे किसान को खाद तो नहीं मिला, मौत जरूर मिल गई. दो दिन तक लाइन में खड़े रहने के बाद जब किसान राम प्रसाद कुशवाह की तबियत बिगड़ी और वह बेसुध होकर गिर पड़ा तो दूसरे किसान खाद लेने के लिए लाइन में ही खड़े रहे.
केवल दो बीघा जमीन किसान के पास : रामप्रसाद जब काफी देर तक नहीं उठा तो लोगों ने उसके हाथ की मुट्ठी में पकड़े एक थैले में से कागजात निकाले, तब उसके बारे में जानकारी मिली. जब तक परिजनों को सूचना दी गई, तब तक रामप्रसाद कुशवाह की मौत हो चुकी थी. मृतक किसान के परिजनों ने बताया कि रामप्रसाद शुक्रवार को सुबह 8 बजे घर से रवाना हुआ था. साथ में दो बोरी उड़द भी ले गया था, जिसे बेचकर खाद खरीदने वाला था. महज 2 बीघा जमीन के लिए खाद की जरूरत थी. घर का खर्च मजदूरी से चलता था. केवल 2 बीघा जमीन में खाने की व्यवस्था हो पाती थी.
सभी दावों की पोल खुली : किसान की मौत ने सोसायटी पर खाद वितरण के प्रशासनिक दावों की पोल खोल दी है. प्रशासन ने दावा किया था कि गांव की सोसायटियों पर खाद उपलब्ध कराई जा रही है. किसान नकद पैसे चुकाकर खाद ले सकते हैं. लेकिन ज्यादातर किसानों को खाद के लिए विपणन संघ के डबल लॉक भंडारण केंद्रों पर ही जाना पड़ रहा है. केवल 7 केंद्रों पर ही वितरण हो पा रहा है. इस मामले में कलेक्टर फ्रेंक नोबल ने आनन-फानन में मृतक किसान के परिवार को 1.20 लाख की आर्थिक सहायता दी.
खाद नहीं मिलने से किसानों का अनोखा प्रदर्शन, मौके पर नहीं पहुंचे जिम्मेदार
विधायक लक्ष्मण सिंह ने चेतावनी : कलेक्टर ने दावा किया है कि जिले में अब तक 86 सोसायटियों पर 2849 टन डीएपी पहुंचाया गया है, जिसमें से 1893 टन डीएपी वितरित कर दिया गया है. चाचौड़ा विधायक लक्ष्मण सिंह ने किसान की मौत पर प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं. लक्ष्मण सिंह ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि खाद की कालाबाज़ारी पर रोक नहीं लगाई गई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा. (MP lack of urea) (Farmers in line two days) (Farmers worried fertilizer) (Guna farmer death) (Non availability fertilizers in mp)