गुना। जिले के शहरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास प्रोजेक्ट अधर में लटका है. अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत 130 करोड़ की लागत से बनने वाले पीएम आवासों पर आर्थिक संकट गहरा गया है. जगनपुर चक में बनने वाले पीएम आवास का काम वर्ष 2017 से शुरू हुआ था, जिसे 2019 के अंत तक समाप्त करना था. लेकिन आर्थिक अभाव में प्रोजेक्ट अटका हुआ है.
5 साल पहले प्रोजेक्ट की कीमत 130 करोड़ : साल 2017 में प्रोजेक्ट की कीमत 130 करोड़ आंकी गई थी. प्रदेश सरकार की ओर से 37.8 करोड़ रुपये मिलने थे. यह राशि सिर्फ ईडब्ल्यूएस के लिए बनने वाले 720 आवास के लिए सब्सिडी के रूप में मिलनी थी. नगरपालिका के अधिकारियों ने बताया कि ईडब्ल्यूएस आवासों की मूल कीमत 7.25 लाख रुपये थी, जबकि हितग्राहियों को हर आवास 2 लाख में दिया जाना था. हितग्राहियों से 20-20 हजार रुपये एडवांस भी जमा कराए गए थे. बैंक से 1.80 लाख रुपये स्वीकृत किये जाने थे. ऐसे में हितग्राहियों को 14.40 करोड़ रुपये मिलते.
कोई भी फ्लैट कंप्लीट नहीं : वहीं एलआईजी के लिए 336 आवासों पर 55.44 करोड़ और एमआईजी के 120 आवासों के लिए 23.40 करोड़ रुपये थे. ये राशि हितग्राहियों को आवास बेचकर वसूली जानी थी. वर्तमान में प्रोजेक्ट की स्थिति के तहत ईडब्ल्यूएस 720 फ्लैट हैं. लेकिन अब तक कोई भी फ्लैट संपूर्ण तौर पर तैयार नहीं हो पाया है. इसी तरह एलआईजी व एमआईजी के भी हालात हैं. केवल स्ट्रक्चर बनाकर खड़े कर दिए गए हैं. शासन से राशि आवंटित नहीं होने के कारण गति अवरुद्ध हो गई है.
निर्माण सामग्री की कीमत बढ़ी : सरिया, सीमेंट, गिट्टी, टाइल्स, लेबर समेत अन्य चीजों के रेटों में भी इजाफा हो गया है, जिससे प्रोजेक्ट की लागत भी बढ़ गई है. पीएम आवास प्रोजेक्ट के ठेकेदार सोमकार सिंह ने बताया कि शासन द्वारा यदि उचित समय पर राशि उपलब्ध करा दी जाती तो प्रोजेक्ट कंप्लीट हो जाता. लालफीताशाही के चलते नगरपालिका के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. पहले ही प्रोजेक्ट 3 साल लेट हो चुका है. प्रोजेक्ट की लागत भी बढ़ रही है. ऐसे में काम करना मुश्किल होता जा रहा है. शहरी क्षेत्र के प्रधानमंत्री आवास असमंजस की स्थिति में हैं. हाल ही प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए 3 करोड़ रुपये सशर्त ऋण के तौर पर मंजूर किये गए हैं. 3 करोड़ रुपये के लोन से भी प्रोजेक्ट को गति मिला संभव नहीं है. क्योंकि बीते दो साल से कंपनी का ही 14 करोड़ रुपये बकाया है.