गुना। पुरानी कहावत है गृहस्थी चलाने में आटे दाल के भाव याद आ जाते हैं.. यही कहावत अब चरितार्थ भी हो रही है. बढ़ती हुई महंगाई के कारण गेंहूं पिसवाना भी अब महंगा हो गया है. यदि आप आटा चक्की पर गेंहूं ,मक्का , ज्वार, बाजरा पिसवाने जा रहे हैं तो आपको जेब हल्की करनी पड़ेगी और आटा पिसवाने के लिए डेढ़ गुना अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा. बता दें कि मक्का, ज्वार, बाजरा पिसवाने के लिए 2 से 3 रुपये प्रति किलो का इजाफा हो गया है. आटा चक्की संघ के सदस्य ने बताया कि बिजली की बढ़ती हुई दरों एवं महंगाई के कारण दाम बढ़ाये गए हैं, ग्राहक को आटा पिसवाने के लिए अब पहले से ज्यादा पैसे देने होंगे.
बढ़ती महंगाई में गृहस्थी चलाना मुश्किल: मध्यमवर्गीय घरेलू महिलाओं से जब आटे दाल के भाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि, "गृहस्थी बजट देखकर चलानी पड़ती है, महंगाई के चलते गृहस्थी चलाना पहले से कठिन हो गया है. पहले घरेलू खर्च के बाद भी बचत हो जाती थी, लेकिन अब पैसे बचाने मुश्किल हो रहे हैं. बढ़ती हुई महंगाई के कारण खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है. दूध, दही, तेल, गैस सिलेंडर लगातार महंगे हो रहे हैं."
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महंगाई को लेकर राजनैतिक पार्टियां आमने-सामने: महंगाई से जुड़े आटे दाल के मुद्दे पर विपक्ष भी सत्ताधारी दल के खिलाफ हमलावर है. विपक्ष का आरोप है कि "पिछले कुछ वर्षों में महंगाई ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. कमरतोड़ महंगाई ने मध्यमवर्गीय परिवार के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है, हालात बेकाबू हो गए हैं. सामान्य परिवारों के लिए जहर खाने की नौबत आ गई है." वहीं विपक्ष के आरोपों पर भाजपा ने सफाई देते हुए कहा कि "महंगाई पहले भी थी, लेकिन अब कांग्रेस को दिखाई देने लगी है. 70 साल के राज में कांग्रेस ने महंगाई को चरम पर पहुंचाया है, भाजपा ने तो महंगाई से लड़ने के लिए रोजगार के अवसर पैदा किये हैं."