गुना। बमोरी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी महेंद्र सिंह सिसोदिया ने जीत हासिल की है. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के कन्हैयालाल अग्रवाल 52 हजार 624 मतों से हराया है. बमोरी विधानसभा का यह उपचुनाव पुराने सभी कीर्तिमान को ध्वस्त करने वाले नतीजे लेकर सामने आया है. इस हाईप्रोफाइल सीट पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के साथ राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख भी दांव पर थी.
बमोरी विधानसभा में हुई 23 राउंड की मतगणना के दौरान महेंद्र सिंह सिसोदिया ने लगातार कांग्रेस प्रत्याशी केएल अग्रवाल पर बढ़त बनाए हुए थे. किसी भी राउंड में केएल अग्रवाल बीजेपी प्रत्याशी सिसोदिया से आगे नहीं निकल सके. अंतिम परिणाम घोषित होने पर महेंद्र सिंह सिसोदिया के खाते में 1,01,124 मत आए, जबकि कांग्रेस के कन्हैयालाल अग्रवाल को सिर्फ 47971 मतों से संतोष करना पड़ा.
जीत को लेकर आश्वस्त थे महेंद्र सिंह सिसोदिया
बमोरी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की जीत इतनी शानदार रही कि, कांग्रेस प्रत्याशी जीत के अंतर के बराबर भी मत प्राप्त नहीं कर सके. बमोरी पीजी कॉलेज में सुबह 8 बजे से शुरु हुई मतगणना की गति काफी तेज थी. करीब 3.30 बजे तक सभी राउंड की गिनती खत्म हो गई थी और नतीजे घोषित कर दिए गए. जीत की संभावना को देखते हुए बीजेपी प्रत्याशी सिसोदिया के पुराने एबी रोड स्थित आवास पर सुबह से ही समर्थकों का जमावड़ा लग गया. सिसोदिया अपनी जीत को लेकर इतने आश्वस्त थे कि, एक दिन पहले ही उन्होंने अपने आवास पर बड़ी स्क्रीन और टेंट लगवा दिए थे. वहीं उनके आवास के पास स्थित कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैयालाल अग्रवाल के कार्यालय से धीरे-धीरे समर्थक नदारद होते गए. सुबह इस कार्यालय पर चहल-पहल थी, लेकिन जैसे-जैसे हार का अंतर बढ़ता गया, वैसे-वैसे कांग्रेस नेता गायब होते रहे और उनके कार्यालय पर कुछ गिने-चुने लोग ही बचे.
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बीजेपी में बढ़ेगा सिंधिया का कद
विधानसभा उपचुनाव में जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी में सिंधिया के साथ-साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का कद बढ़ना तय माना जा रहा हैं. साल 2008 में बमोरी से चुनाव जीतकर कन्हैयालाल अग्रवाल बीजेपी में बड़े नेता के रूप में उभरे थे. उस समय बीजेपी की तमाम गतिविधियां कन्हैयालाल और उनके इस कार्यालय के इर्द-गिर्द रहती थीं.
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कहीं के नहीं रहे कन्हैयालाल
कांग्रेस के टिकट पर बमोरी से चुनाव लड़े कन्हैयालाल अग्रवाल के राजनीतिक भविष्य पर संशय खड़ा हो गया है. भाजपा के कद्दावर नेता रहे कन्हैयालाल अग्रवाल 2013 में टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़े थे. कन्हैयालाल की वजह से ही बमोरी में बीजेपी प्रत्याशी बृजमोहन सिंह आजाद की हार हुई. इसके एक साल बाद ही कन्हैयालाल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को समर्थन दे दिया. इस घटनाक्रम की वजह से बीजेपी से उनकी दूरियां और बढ़ गईं. अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के बाद भी उनकी हार से उनके राजनीतिक भविष्य पर संकट गहरा गया है. कन्हैयालाल को क्षेत्र में जनाधार वाला नेता माना जाता रहा है. लेकिन हार-जीत के इस आंकड़े ने उनकी छवि को खासा धूमिल किया है.
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'नोटा' से हार गए 9 प्रत्याशी
बमोरी विधानसभा में उपचुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से 9 तो सिर्फ 'नोटा' से ही हार गए. विधानसभा उपचुनाव में 2042 लोगों ने सभी प्रत्याशियों को नकारते हुए नोटा का बटन दबाया. जबकि भाजपा और कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रमेश डाबर ही नोटा से आगे निकल सके. उन्हें 5357 मत मिले. हालांकि डाबर खुद 2018 में पार्टी को प्राप्त 7,176 मतों के आंकड़ों से दूर रह गए. बसपा के अलावा भाकपा के मनोहर मिरोटा को 1964, अम्बेडकर पार्टी ऑफ इंडिया के अमित खरे को 472, जवसंत सिंह को 200, सपा के रामनाथ बघेल को 233, सपाक्स पार्अी के शिशुपाल सिंह यादव को 516, निर्दलीय किशन प्रजापति को 325, निर्दलीय प्रत्याशी गिरराज जाट को 590, रविंद्र कुमार श्रीवास्तव को 1421 और हेमंत सिंह कुशवाह को 767 मत मिले.