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Raghogarh Hilla festival: राघोगढ़ में धूमधाम से मना हिल्ला, राजपरिवार आज भी निभा रहा 207 साल पुरानी परंपरा

राघोगढ़ में होली के तीसरे दिन 207 साल पुरानी परंपरा को निभाया गया. हिल्ला उत्सव के दौरान दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्द्धन सिंह ने ग्रामीणों के साथ होली मनाई. उत्सव मनाने बड़ा संख्या में लोग राघोगढ़ किले पहुंचे थे. सभी ने एक दूसरे को गुलाल और अबीर लगाया. बता दें कि हिल्ला की शुरुआत सन 1816 में हुई थी. हिंदूपथ नरेश राघोगढ़ रियासत के राजा जयसिंह ने अंग्रेजों से लड़ाई में विजय हांसिल की थी तभी से हिल्ला मनाया जाने लगा.

Hilla festival celebrated in Raghogarh
राघोगढ़ में धूमधाम से मना हिल्ला
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Published : Mar 11, 2023, 7:08 AM IST

Updated : Mar 11, 2023, 7:45 AM IST

राघोगढ़ में धूमधाम से मना हिल्ला

गुना। राघोगढ़ में हर साल की तरह इस बार भी होली की तीज़ के दिन "हिल्ला" का आयोजन किया गया. राघोगढ़ राजपरिवार द्वारा "हिल्ला" की परंपरा को पिछले 207 वर्षों से लगातार निभाया जा रहा है. राघोगढ़ के राजा दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्द्धन सिंह ने हजारों लोगों के साथ हिल्ला उत्सव मनाया. हिल्ला के बाद जयवर्द्धन सिंह ने अपनी पत्नी सृजाम्या सिंह और परिजनों के साथ भी हिल्ला मनाया. हिल्ला उत्सव में शामिल होने के लिए बड़ी तादाद में लोग राघोगढ़ किले में एकत्रित हुए थे.

इसलिए मनाया जाता है हिल्ला उत्सव: हिल्ला की शुरुआत सन 1816 में हुई थी. हिंदूपथ नरेश राघोगढ़ रियासत के राजा जयसिंह ने अंग्रेजों से लड़ाई में विजय हांसिल की थी तभी से हिल्ला की शुरुआत हुई है. अंग्रेज़ी हुकूमत के समय फ्रांसीसी कर्नल माइकल फ्लॉज़ द्वारा बसंत पंचमी के दिन बजरंगढ़ किले से अपनी सेना के साथ राघोगढ़ किले के लिए कूच किया गया था. कर्नल ने अपनी सेना के साथ राघोगढ़ रियासत की घेराबंदी कर ली थी. लेकिन राजा जयसिंह ने अंग्रेज़ी हुकूमत के सामने हार नहीं मानी और बड़ी ही सूझबूझ से श्योपुर किले में कर्नल के परिजनों को बंधक बना लिया था.

राघोगढ़ किले को हासिल नहीं कर सके अंग्रेज: हिंदूपथ नरेश राजा जयसिंह और कर्नल के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें अंग्रेज़ी सेना राघोगढ़ से अपने पांव वापस खींच लिए. अंग्रेजों ने राघोगढ़ किला फतह करने का विचार त्याग दिया. अंग्रेजों से लड़ाई में जीत की खबर मिलते ही 4 गांव नांदेड़, खातीबाड़ा, मलियाटोडी और लठ्या के ग्रामीणों ने सूचना राघोगढ़ किले तक पहुंचाई थी. जीत की खुशी का पैगाम लेकर आये गांव वालों के साथ राजपरिवार ने इस विशेष अवसर को उत्सव के रूप में मनाया. जिसमें ढोल नगाड़े बजाकर खूब हल्ला हुआ. तभी से राघोगढ़ में हिल्ला उत्सव मनाया जाने लगा. राघोगढ़ किले पर कभी भी अंग्रेजों ने आधिपत्य हासिल नहीं किया.

Also Read: होली से जुड़ी अन्य खबरें यहां पढ़ें

हिल्ला उत्सव तीज पर मनाया जाता है: हिल्ला उत्सव होली के तीसरे दिन यानी तीज़ पर मनाया जाता है. राघोगढ़ राजपरिवार का युवराज किले के समीप वटवृक्ष के नीचे बैठकर चारों गांव के लोगों का अभिवादन करते हैं. ग्रामीण अभिवादन स्वीकार करते हैं और किला परिसर में पहुंचकर लोकगीत गाकर एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं. गुलाल और अबीर के रंगों में सराबोर होकर ढोल नगाड़ों की धुन के साथ पारंपरिक हिल्ला उत्सव मनाया जाता है. हिल्ला मनाने की परंपरा का निर्वहन पिछले 207 वर्षों से किया जा रहा है. पहले दिग्विजय सिंह और अब उनके पुत्र जयवर्द्धन सिंह हिल्ला मनाते हैं. जयवर्द्धन सिंह अपने पुत्र सहस्त्र जय सिंह को भी संस्कृति और परम्पराओं से जोड़कर रखते हैं.

राघोगढ़ में धूमधाम से मना हिल्ला

गुना। राघोगढ़ में हर साल की तरह इस बार भी होली की तीज़ के दिन "हिल्ला" का आयोजन किया गया. राघोगढ़ राजपरिवार द्वारा "हिल्ला" की परंपरा को पिछले 207 वर्षों से लगातार निभाया जा रहा है. राघोगढ़ के राजा दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्द्धन सिंह ने हजारों लोगों के साथ हिल्ला उत्सव मनाया. हिल्ला के बाद जयवर्द्धन सिंह ने अपनी पत्नी सृजाम्या सिंह और परिजनों के साथ भी हिल्ला मनाया. हिल्ला उत्सव में शामिल होने के लिए बड़ी तादाद में लोग राघोगढ़ किले में एकत्रित हुए थे.

इसलिए मनाया जाता है हिल्ला उत्सव: हिल्ला की शुरुआत सन 1816 में हुई थी. हिंदूपथ नरेश राघोगढ़ रियासत के राजा जयसिंह ने अंग्रेजों से लड़ाई में विजय हांसिल की थी तभी से हिल्ला की शुरुआत हुई है. अंग्रेज़ी हुकूमत के समय फ्रांसीसी कर्नल माइकल फ्लॉज़ द्वारा बसंत पंचमी के दिन बजरंगढ़ किले से अपनी सेना के साथ राघोगढ़ किले के लिए कूच किया गया था. कर्नल ने अपनी सेना के साथ राघोगढ़ रियासत की घेराबंदी कर ली थी. लेकिन राजा जयसिंह ने अंग्रेज़ी हुकूमत के सामने हार नहीं मानी और बड़ी ही सूझबूझ से श्योपुर किले में कर्नल के परिजनों को बंधक बना लिया था.

राघोगढ़ किले को हासिल नहीं कर सके अंग्रेज: हिंदूपथ नरेश राजा जयसिंह और कर्नल के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें अंग्रेज़ी सेना राघोगढ़ से अपने पांव वापस खींच लिए. अंग्रेजों ने राघोगढ़ किला फतह करने का विचार त्याग दिया. अंग्रेजों से लड़ाई में जीत की खबर मिलते ही 4 गांव नांदेड़, खातीबाड़ा, मलियाटोडी और लठ्या के ग्रामीणों ने सूचना राघोगढ़ किले तक पहुंचाई थी. जीत की खुशी का पैगाम लेकर आये गांव वालों के साथ राजपरिवार ने इस विशेष अवसर को उत्सव के रूप में मनाया. जिसमें ढोल नगाड़े बजाकर खूब हल्ला हुआ. तभी से राघोगढ़ में हिल्ला उत्सव मनाया जाने लगा. राघोगढ़ किले पर कभी भी अंग्रेजों ने आधिपत्य हासिल नहीं किया.

Also Read: होली से जुड़ी अन्य खबरें यहां पढ़ें

हिल्ला उत्सव तीज पर मनाया जाता है: हिल्ला उत्सव होली के तीसरे दिन यानी तीज़ पर मनाया जाता है. राघोगढ़ राजपरिवार का युवराज किले के समीप वटवृक्ष के नीचे बैठकर चारों गांव के लोगों का अभिवादन करते हैं. ग्रामीण अभिवादन स्वीकार करते हैं और किला परिसर में पहुंचकर लोकगीत गाकर एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं. गुलाल और अबीर के रंगों में सराबोर होकर ढोल नगाड़ों की धुन के साथ पारंपरिक हिल्ला उत्सव मनाया जाता है. हिल्ला मनाने की परंपरा का निर्वहन पिछले 207 वर्षों से किया जा रहा है. पहले दिग्विजय सिंह और अब उनके पुत्र जयवर्द्धन सिंह हिल्ला मनाते हैं. जयवर्द्धन सिंह अपने पुत्र सहस्त्र जय सिंह को भी संस्कृति और परम्पराओं से जोड़कर रखते हैं.

Last Updated : Mar 11, 2023, 7:45 AM IST
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