गुना। श्री वनखंडी बालाजी सरकार के मंदिर में स्थापित मूर्तियां कई वर्ष पुरानी हैं. जंगल में स्थित होने के कारण कम ही लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते थे, लेकिन अब इस मंदिर पर भक्तों का तांता लगा रहता है. श्री वनखंडी बालाजी सरकार मंदिर की स्थापना अंग्रेज़ी हुकूमत में सन् 1916 में सेठ लक्ष्मीनारायण द्वारा की गई थी. सेठ लक्ष्मीनारायण द्वारा मंदिर के ठीक सामने एक छत्री का भी निर्माण कराया गया था. छत्री में किवदंतियों को कारीगरों ने नक्काशी द्वारा उकेरा है.
![Shri Vankhandi Balaji Sarkar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-08-2023/mp-gun-01balajisarkar_21082023091513_2108f_1692589513_856.jpg)
कई रोगों का निवारण : अंग्रेज़ी शासन में सेठ लक्ष्मीनारायण के बेटों ने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए अपने प्राण त्यागे थे. सेठ लक्ष्मीनारायण ने भी आजादी की लड़ाई में योगदान दिया था. छत्री पर अंकित की गई कहानियां आज भी अंग्रेज़ी शासन में आजादी के दीवानों की दीवानगी का बखान कर रही हैं. वनखंडी बालाजी सरकार मंदिर की खासियत ये है कि यहां श्रद्धालुओं के रोगों का निवारण होता है. पथरी, पाइल्स, महिला रोगों के अलावा अन्य रोगों का इलाज पाकर रोगी संतुष्ट हो जाते हैं. इलाज के लिए अन्य राज्यों से भी रोगी मंदिर पहुंचते हैं.
![Shri Vankhandi Balaji Sarkar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/21-08-2023/mp-gun-01balajisarkar_21082023091513_2108f_1692589513_65.jpg)
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कन्या विवाह समारोह भी होते हैं : मंदिर के संरक्षक अशोक मिड्रे बताते हैं कि हनुमान जी में भक्तों की गहरी आस्था है. वनखंडी मंदिर पर सामाजिक आयोजन भी कराए जाते हैं. इस मंदिर पर अब तक 74 बेटियों का विवाह संपन्न कराया जा चुका है. जिसमें से 14 बेटियों के माता-पिता भी नहीं थे. ये बेटियां हनुमान जी को अपने माता-पिता मानती हैं. मंदिर के आसपास के क्षेत्र में जड़ी-बूटी का भंडार है. इसी जड़ी-बूटी से रोगियों के रोग दूर किये जाते हैं. श्री वनखंडी बालाजी सरकार मंदिर में हनुमान जी खेड़ापति के रूप में विराजमान हैं. मंदिर में भगवान विष्णु की सैंकड़ों वर्ष पुरानी प्रतिमा है. भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग भी है.