गुना। नाबालिग के गुम होने के मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देश पर पुलिस अधीक्षक द्वारा डीएसपी महेंद्र गौतम एवं टीआई रवि गुप्ता को जांच सौंपी गई है. बता दें कि आरोन से 2 किमी की दूरी पर स्थित सिरसी गांव में नाबालिग (14साल) अपने पिता के साथ रहती थी. वर्ष 2017 में नाबालिग सामान लेने के लिए बाजार गई थी. उसके बाद से वह लापता है. बेटी को ढूंढने के लिए जब पिता थाने पहुंचा तो उसकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई. तत्कालीन थाना प्रभारी अभय प्रताप सिंह की लापरवाही के कारण शुरुआती दौर में सही जांच नहीं हो पाई.
कोर्ट ने दिए पुलिस को ट्रेनिंग के निर्देश : पुलिस की लापरवाही के कारण 6 साल गुजरने के बाद आज भी नाबालिग लापता है. पुलिस ने गीताबाई को ढूंढने के लिए पोस्टर भी जारी किये थे. कई लोगों से पूछताछ की गई. यहां तक कि नार्को टेस्ट भी कराया गया लेकिन नतीजा शून्य रहा. पीड़ित पिता ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका लगाई. जिसके बाद पुलिस को बारीकी से जांच करने और जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन 6 साल के बाद आज भी पुलिस खाली हाथ है. हाईकोर्ट ने गुना पुलिस की लापरवाही को देखते हुए पूरे मध्यप्रदेश की पुलिस को ट्रेनिंग करने के निर्देश दिए थे.
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आज भी भटक रहा पीड़ित पिता : नाबालिग के गुम होने के मामले में पुलिस ने लापरवाही बरती. इस दौरान कई तथ्य सामने आए. हाईकोर्ट ने लिखा था कि अपराधों के तौर तरीकों के बारे में पुलिस बल को प्रशिक्षित किया जाए. जिसके बाद पूरे मध्यप्रदेश में पुलिस को प्रशिक्षण लेने पड़ा था. ट्रेनिंग की रिपोर्ट बाकायदा कोर्ट के समक्ष पेश की गई थी. हाईकोर्ट ग्वालियर ने पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सगर से नाबालिग के गुम होने के केस के वर्तमान स्टेटस के बारे में जानकारी मांगी. गुमशुदा के पिता पिछले 6 वर्षों से बेटी को ढूंढने की लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं.