गुना। अपने विवादित बयानों के लेकर हमेशा सुर्खियां में रहने वाले पूर्व विधायक पन्नालाल शाक्य ने अपनी पार्टी को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया कि वहां मौजूद भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष गजेंद्र सिंह सिकरवार भी सकते में आ गए. उन्होंने कहा कि चुनाव आ रहे हैं, किसी ऐसे को मत टिकट दे देना जो मीर जाफर सिद्ध हो जाए या जयचंद सिद्ध हो जाए.
'दो दिन पुराने किसी व्यक्ति को उठाकर हमारा बाप बना देते हैं'
रविवार को गुना के एक निजी गार्डन में कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम में वे बतौर अतिथि पहुंचे थे. यहां पार्टी की रीति-नीति और आगामी निकाय चुनावों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अध्यक्ष चुनाव में पार्टी किसी ऐसे शूरवीर को चुनाव ना लड़ा दें, जो मीर जाफर और जयचंद सिद्ध हो जाए. हाल ही में गठित राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर भी पन्नालाल ने अपने शब्दों में व्यक्त करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि गुना से बीजेपी का कोई सदस्य नेता बने, लेकिन ये दो दिन पुराने किसी व्यक्ति को उठाकर हमारा बाप बना देते हैं.
कार्यकर्ताओं को दी नसीहत
पन्नालाल शाक्य के विवादित बोल यही नहीं थमे. उन्होंने बीजेपी जिलाध्यक्ष की मौजूदगी में उनके ही सामने कार्यकर्ताओं को नसीहत दी कि हम में इतनी ताकत होनी चाहिए कि अगर बीजेपी जिला अध्यक्ष (गजेंद्र सिंह सिकरवार) गलत करें तो हम उसके खिलाफ विरोध जता सकें. उनकी इस नसीहत के बाद मौजूद लोगों और कार्यकर्ताओं ने जमकर तालियां बजाईं, लेकिन बीजेपी नेता जरा असहज नजर आए.
विराट-अनुष्का की देशभक्ति पर उठाए थे सवाल
पूर्व विधायक पन्नालाल शाक्य ने भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली और बॉलिवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा के इटली में शादी करने पर उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि दोनों (कोहली और अनुष्का) को भारत में ही किसी स्थान को विवाह संस्कार के लिए चुनना चाहिए था.
CAA पर दे चुकें हैं बयान
CAA का समर्थन करते हुए पन्नालाल शाक्य ने कहा था कि SC-ST और OBC वर्ग किसी के बहकावे में नहीं आने वाला है. न ही इस समाज का कोई गलत फायदा उठा सकता है और न ही इस समाज को किसी के टुकड़ों की जरुरत है. ये समाज बिकाऊ नहीं है.
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उन्होंने CAA का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि इस कानून के नाम पर देश को बांटने का काम किया जा रहा है. देश का माहौल बिगड़ने की कोशिश की जा रही है. जबकि नागरिकता संशोधन कानून किसी नागरिक की सिटीजनशिप लेने का कानून नहीं, देने का कानून है.